
ayushi singh dsp biography in hindi
वो कहते है ना पिता चाहे जैसा भी हो लेकिन बेटियां अपने पिता की ही दुलारी होती है… उनके लिए पूरी दुनिया की तमाम बुराइयों से बचाने के लिए पिता का हाथ ही ढाल बनता है… लेकिन वो दौर… जब आपके सिर से वो हाथ हमेशा के लिये छीन लिया जाये… तब प्यार इंतकाम में बदल जाता है…

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कुछ ऐसा ही मुरादाबाद की बेटी आयुषी सिंह ने कर दिखाया है… आज आयुषी DSP बन गई हैं… लेकिन इस कामयाबी के पीछे उनके संघर्ष और दर्द भरी कहानी भी है… उस समय आयुषी 11वीं में पढ़ती थी… आयुषी के पिता योगेंद्र सिंह उर्फ भूरा डिलारी के पूर्व ब्लाक प्रमुख थे…
भोजपुर के गांव हुमायूंपुर में डिलारी ब्लाक प्रमुख योगेंद्र सिंह उर्फ भूरा का नाम 4 मार्च 2013 को चर्चा में आया… उस समय हिंदू कॉलेज के छात्र नेता रिंकू चौधरी की हत्या कर दि गई थी… जिसमें डिलारी ब्लॉक प्रमुख भूरा को नामजद किया गया था… इसके बाद 20 जनवरी 2014 को भूरा ने कोर्ट में सरेंडर किया था…
23 फरवरी 2015 को पुलिस भूरा को जेल से कचहरी में पेश होने के लाई थी… तब किस को पता था की आयुषी अपने पिता को आखिरी बार देख रही है… तभी आयुषी ये सोच कि बैंच पर बैठ गई की कार्रवाही होने के बाद अपने पिता से गले लगेगी… और भूरा कोर्ट रूम के बाहर बनी बेंच पर बैठकर कोर्ट में अपनी बारी आने का इंतजार कर रहे थे…
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तभी वहां पहुंचे रिंकू के भाई सुमित ने भूरा के पैर छुए और फिर उन पर गोलियां दाग दी थीं…. आयुषी के सामने उसके पिता पर ताबड़तोड़ फायरिंग बरसा दी गई… और उसी दिन आयुषी ने ठान लिया की बनूंगी तो अफसर… छोटी से उम्र में नम आखों से आयुषी ने अपने पिता के मर्डर और नई पहचान बनाने का संकल्प लिया….
फिर बेटी आयुषी ने मुरादाबाद के केसीएम स्कूल से 10वीं और 12वीं की… साल 2019 में दिल्ली विश्वविद्यालय से 2021 में पॉलिटिकल साइंस में एमए किया… इसी बीच नेट की परीक्षा भी पास कर ली… आयुषी ने दिल्ली में रहते हुए दो साल तक यूपीपीसीएस की परीक्षा की तैयारी की… और दुसरी कोशिश में मुकाम हासिल किया…. आयुषी की मां पूनम सिंह बताती है…
आठ साल बाद आयुषी की मां पूनम सिंह की उम्मीद साफ देखी जा सकती है… आयुषी की सफलता के बाद से ही उनका पूरा परिवार खुशी से झूम रहा है… मगर एक दुख अभी भी है, जो आयुषी को सताए जा रहा है… उनके पिता का हत्यारा अभी तक पुलिस की गिरफ्त से दूर है…. जिनका हिसाब अब खुद आयुषी करेगी… आयुषी बताती है…
पापा चाहते थे कि मैं पढ़ लिखकर पुलिस अफसर बन जाऊं। पापा हमेशा से मुझे अधिकारी बनने के लिए कहते थे. पापा की हत्या के बाद ही मैंने अफसर बनने का संकल्प ले लिया था. उनकी मौत के 8 साल बाद उनके सपने को सच करके दिखाया है। हालांकि मेरा लक्ष्य PPS नहीं बल्कि IPS बनना है। जिसके लिए में मेहनत कर रही हूं और मुझे पूरा विश्वास है कि में बहुत जल्द एक IPS अफसर बनूंगी.
इससे इतना तो साफ हो गया की आयुषी अपने पिता का मर्डर का हिसाब सूत समित लेगी… जिस परिवार की पहचान उनके बदमाश पिता के तौर पर होती थी, अब वही परिवार डीएसपी आयुषी सिंह के परिवार के तौर पर जाना जाएगा… अब उसी घर पर डीएसपी आयुषी सिंह के नेम पलेट लगाई जाएगी…
अपने घर का नाम रोशन करने वाली डीएसपी आयुषी सिंह को आप भी बधाई दीजिये… और स्टोरी उन घरों तक पहुंचाये जिनके बच्चे सिर्फ दिखावे की चादर ओढ़कर सो रहे है…