By | January 27, 2021
Deep Sidhu

Deep Sidhu: 26 जनवरी को प्रदर्शनकारियों का एक वर्ग किसान ट्रैक्टर परेड के निर्धारित मार्ग से अलग हो गया और लाल क़िले पर पहुँच गया.

वहाँ उन्होंने लाल क़िले पर निशान साहिब (सिखों का परंपरागत केसरिया झंडा) और किसानों के हरे-पीले झंडों को फ़हराया.

जब यह घटना हुई, तब दीप सिद्धू वहाँ मौजूद थे और वीडियो बना रहे थे. इसके बाद से ही दीप सिद्धू चर्चा में हैं.

आइए, किसान आंदोलन में दीप सिद्धू की भागीदारी, राजनेताओं और फ़िल्म जगत के लोगों के साथ उनके संबंधों पर एक नज़र डालें.

दीप सिद्धू सितंबर 2020 में किसान आंदोलन में शामिल हुए और जल्द ही सोशल मीडिया पर काफ़ी ध्यान आकर्षित करने में कामयाब रहे.

दीप का अंग्रेज़ी में पुलिस अधिकारियों के साथ बहस करने का एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें उन्हें यह कहते सुना जा सकता है कि “यह एक क्रांति है. अगर वो मुद्दे की गंभीरता को नहीं समझते हैं, तो यह क्रांति इस देश और दक्षिण एशिया की भू-राजनीति को परिभाषित करेगी.”

इस वीडियो के बाद दीप सिद्धू ने राष्ट्रीय स्तर पर सुर्ख़ियाँ बटोरीं.

जब किसान संगठनों ने दीप सिद्धू से ख़ुद को दूर कर लिया, तो सोशल मीडिया पर इस बारे में ख़ूब बहस हुई.

सामाजिक कार्यकर्ता और पेशेवर वकील सिरमजीत कौर गिल ने किसान संगठनों के रुख़ का समर्थन किया और उन मुद्दों पर प्रकाश डाला, जिनसे उन्होंने ऐसा करने का निर्णय लिया था.

किसान आंदोलन में दीप सिद्धू और नेताओं का रुख़

जब किसान आंदोलन शुरू हुआ, तो दीप सिद्धू सहित सभी यह कह रहे थे कि वो किसानों के लिए और किसान नेताओं के नेतृत्व में (यूनियनों के बैनर तले) इस आंदोलन में शामिल हैं.

लेकिन कुछ समय बाद, दीप सिद्धू ने किसान नेताओं के फ़ैसलों पर सवाल उठाना शुरू कर दिया और सिंघु बॉर्डर पर अपना ख़ुद का मंच बना लिया.

हालांकि, उनके अधिकांश भाषण तीन कृषि क़ानूनों की जगह भारत के संविधान में ग़ैर-संघीय ढाँचे पर केंद्रित थे.

कृषि क़ानूनों के बारे में बात नहीं करने के लिए किसान संगठनों ने उन्हें सिंघु बॉर्डर के मुख्य मंच से बोलने से रोक दिया.

इन किसान यूनियनों में उगराहां ग्रुप ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे किसान आंदोलन की दिशा बदल रहे हैं.

दीप सिद्धू अपने सोशल मीडिया पर जरनैल सिंह भिंडरावाले के बारे में पोस्ट करते रहते हैं, जिसकी वजह से किसान संगठनों ने उनसे ख़ुद को दूर कर लिया है.

जब किसान संगठनों ने दिल्ली की सीमाओं की ओर बढ़ने का आह्वान किया, तो दीप सिद्धू ने लोगों से वापस जाने को कहा क्योंकि उनके मुताबिक़ किसान संगठन अपने हितों के लिए उनका इस्तेमाल कर रहे थे.

26 जनवरी को ट्रैक्टर मार्च की घोषणा के बाद, दीप सिद्धू फिर से सक्रिय हो गए और उन्होंने इस मार्च के लिए लोगों को जुटाना शुरू कर दिया. हालाँकि, वे आउटर रिंग रोड पर मार्च के लिए जुट रहे थे.

इस बीच, किसान मज़दूर संघर्ष समिति, एक अन्य वामपंथी भारतीय किसान यूनियन (क्रांतिकारी) ने दिल्ली के बाहरी रिंग रोड पर योजना के अनुसार मार्च करने की बात कही.

इन बयानों ने दीप सिद्धू को संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा पुलिस के साथ सहमति से तय किए गए मार्ग से दूसरे मार्ग पर जाने का मौक़ा दिया.

सोमवार को, दीप सिद्धू और लक्खा सिधाना ने सिंघु बॉर्डर के मुख्य मंच से कहा कि वो दिल्ली के अंदर जाएँगे और पुलिस और संगठनों की ओर से तय मार्ग के अलावा मार्च करेंगे.

इसके बाद मंगलवार को प्रदर्शनकारी किसानों का एक दल लाल क़िले पर पहुँचा और दीप सिद्धू को वहाँ देखा गया.

दीप सिद्धू ठीक उस जगह मौजूद थे, जहाँ लोगों ने लाल क़िले पर झंडे लहराए और उन्होंने उसी जगह अपना एक वीडियो भी बनाया.

दीप सिद्धू का स्पष्टीकरण

दीप सिद्धू ने लाल क़िले की घटना के बाद, रात को फ़ेसबुक लाइव के माध्यम से अपना स्पष्टीकरण दिया.

उन्होंने कहा, “हमने कोई झंडा नहीं उतारा, बल्कि अपना निशान साहिब और किसान मज़दूर एकता का झंडा वहाँ लहराया. यह पूरी संगत का गुस्सा था, ना कि मेरे अकेले की कार्यवाही. मैंने किसी को आगे नहीं बढ़ाया. यह सब जोश-जोश में हुआ. किसी को उकसाया नहीं गया.”

दीप सिद्धू और देओल परिवार

दीप सिद्धू के देओल परिवार के साथ संबंधों को लेकर सिद्धू और सनी देओल के अलग-अलग दावे हैं.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दीप सिद्धू की तस्वीरों के आधार पर, सिद्धू पर भाजपा और आरएसएस के एजेंडे को आगे बढ़ाने के भी आरोप लगाए गए हैं.

हालाँकि, उन्होंने इन आरोपों का बार-बार खंडन किया है.

वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने भी दीप सिद्धू की उन तस्वीरों को ट्वीट किया है, जिनमें वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ देखे जा सकते हैं.

दीप सिद्धू ने अपने एक पुराने फ़ेसबुक लाइव वीडियो में यह दावा किया था कि वे अभिनेता सनी देओल के चुनाव अभियान के दौरान भाजपा से जुड़े थे. उन्होंने भाजपा के ‘बड़े नेताओं’ से मुलाक़ात भी की थी.

उन्होंने दावा किया कि उन्हें भाजपा में शामिल करने के प्रयास भी किए गए थे, लेकिन उन्होंने वैचारिक मतभेद के कारण ऐसा करने से इनकार कर दिया.

दीप सिद्धू के फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल पर वरिष्ठ अभिनेता और सनी देओल के पिता धर्मेंद्र और सनी के भाई बॉबी देओल के साथ भी उनकी तस्वीरें हैं.

हालाँकि, लाल क़िले की घटना के बाद, सनी देओल ने उनके और उनके परिवार और दीप सिद्धू के बीच किसी भी संबंध से इनकार करते हुए ट्वीट किया.

देओल ने लिखा, “आज लाल क़िले में जो हुआ, उसे देखकर मैं बहुत दुखी हूँ. मैंने 6 दिसंबर को ट्विटर पर पहले ही यह स्पष्ट कर दिया था कि ना तो मेरा और ना ही मेरे परिवार का दीप सिद्धू से कोई संबंध है.”

अपने 6 दिसंबर के ट्वीट में, सनी देओल ने किसानों के आंदोलन को सरकार और किसानों के बीच एक पारस्परिक मुद्दा बताया था और दीप सिद्धू के बारे में भी स्पष्ट किया था.

इस ट्वीट में उन्होंने लिखित बयान की एक तस्वीर भी साझा की थी.

उन्होंने लिखा, “दीप सिद्धू जो चुनाव के समय मेरे साथ थे, लंबे समय से मेरे साथ नहीं हैं. वे जो कर रहे हैं, अपनी मर्ज़ी से कर रहे हैं. मेरा उनकी किसी भी गतिविधि से कोई लेना-देना नहीं है.”

दीप सिद्धू की पारिवारिक पृष्ठभूमि

दीप सिद्धू का पैतृक गाँव उदेकरण है, जो पंजाब के मुक्तसर साहिब ज़िले में पड़ता है.

बठिंडा में रहने वाले दीप के चाचा बिधि सिंह ने बीबीसी को बताया कि वे छह भाई थे और दीप के पिता सरदार सुरजीत सिंह पेशे से वकील थे.

उन्होंने कहा कि सुरजीत सिंह के तीन बेटे हैं, जिनमें से नवदीप सिंह इस समय कनाडा और मनदीप क़ानून की पढ़ाई कर रहे हैं. जबकि दीप दिल्ली में किसान आंदोलन में हैं.

दीप के चाचा बिधि सिंह के अनुसार उनका परिवार खेती करता है. लेकिन दीप के पिता एक वकील के रूप में लुधियाना में क़ानून का अभ्यास करते थे और लगभग तीन साल पहले उनकी मृत्यु हो गई थी.

दीप के बारे में बिधि सिंह ने कहा, “वो क़ानून की पढ़ाई करने के लिए महाराष्ट्र के पुणे गया था और उसके बाद वो मुंबई में बस गया और वहाँ पर ही उसने क़ानून का अभ्यास शुरू कर दिया.”

बिधि सिंह ने कहा कि दीप मुंबई में अच्छी तरह से बस गया था.

उन्होंने कहा कि पहले दीप ने बालाजी फ़िल्म्स के लिए वकील के रूप में काम किया. धीरे-धीरे वह देओल परिवार के क़रीब हो गया और यहीं से उन्होंने फ़िल्मी दुनिया में प्रवेश किया.

दीप शादीशुदा हैं और उनकी एक बेटी है.

बिधि सिंह के अनुसार, देओल परिवार से निकटता के कारण ही जब सनी देओल ने गुरदासपुर से लोकसभा का चुनाव लड़ा, तो दीप सिद्धू ने उनका पूरा साथ दिया.

बिधि सिंह के अनुसार, लाल क़िले में हुई घटना के बारे में परिवार को मीडिया से ही जानकारी मिली.

दीप सिद्धू का फ़िल्मी सफ़र

साल 2017 में गीतकार से फ़िल्मकार बने अमरदीप सिंह गिल की फ़िल्म ‘ज़ोरा 10 नंबरिया’ में ज़ोरा के किरदार ने पंजाबियों को दीप सिद्धू से परिचित कराया.

उसी समय, उन्होंने पंजाबी फ़िल्म इंडस्ट्री में प्रवेश किया.

दीप ने मुंबई में एक मॉडल के रूप में कई फ़ैशन-शोज़ में हिस्सा लिया और अंत में मॉडल से अभिनय की ओर बढ़ने की तैयारी शुरू कर दी.

देओल परिवार के घरेलू बैनर ‘विजेता फ़िल्म्स’ के तहत, दीप ने 2015 में हीरो के रूप में अपनी पहली पंजाबी फ़िल्म ‘रमता जोगी’ में काम किया.

फ़िल्म का निर्देशन गुड्डू धनोआ ने किया था, जिन्होंने सनी देओल की कई फ़िल्मों का निर्देशन किया है. हालांकि, यह फ़िल्म दीप को सुर्खियों में नहीं ला पाई.

इसके बाद वर्ष 2019 में, वे वरिष्ठ पंजाबी अभिनेता गुगू गिल के साथ फ़िल्म ‘साडे आले’ में दिखाई दिए.

साल 2020 में, अमरदीप सिंह गिल के निर्देशन में ‘ज़ोरा’ का दूसरा भाग ‘ज़ोरा, सैकैंड चैप्टर’ रिलीज़ हुआ, जिसमें धर्मेंद्र पहले की तरह दीप सिद्धू के साथ थे और उनके अलावा, गुगु गिल भी थे.

ज़ोरा नामक दोनों फ़िल्मों में अब तक, दीप सिद्धू एक गैंगस्टर की भूमिका में दिखाई दिए हैं.

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