जापान (Japan) के हायाबुसा-2 (Hayabusa-2) यान के आंकड़ों का अध्ययन कर वैज्ञानिकों ने यह पता लगया है कि ड्यूगू (Ryugu) क्षुद्रग्रह ने अपना पानी (Water) कैसे गंवाया था.
हाल ही में जापान (Japan) के अंतरिक्ष यान हायाबुसा-2 (Hayabusa-2) पृथ्वी (Earth) के पास एक खास क्षुद्रग्रह Asteroid) ड्यूगू (Ryugu) पर गया था. इस क्षुद्रग्रह का दूर से अध्ययन करने के बाद उसने वहां से नमूने भी जमा किए थे. इस क्षुद्रग्रह पर हुए नए शोध का मानना है कि वहां के पत्थरों ने इस क्षुद्रग्रह के निर्माण होने से पहले ही अपना बहुत सारा पानी (Water) गंवा दिया होगा. वैज्ञानिक यह अध्ययन हमारे सौरमंडल (Solar System) की शुरुआत में पानी की स्थिति को जानने के लिए कर रहे थे.
अंतरिक्ष यान के लिए गए आंकड़े
हाल ही में हायाबुसा-2 ने पृथ्वी पर ड्यूगू क्षुद्रग्रह के नमूने छोड़े थे जिसका अध्ययन अभी वैज्ञानिक कर रहे हैं, लेकिन शोधकर्ता हायाबुसा-2 अभियान के अन्य उपकरणों से लिए गए आंकड़ों का अध्ययन भी कर रहे हैं जिससे इस क्षुद्रग्रह के इतिहास के बारे में जानकारी मिली है.
पानी वाले खनिज
नेचर एस्ट्रोनॉमी में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, शोधकर्ताओं ने इस बात की व्याख्या करने का प्रयास किया है कि ड्यूगू क्यों दूसरे क्षुद्रग्रहों की तरह पानी वाले खनिजों से संपन्न नहीं रहा. अध्ययन बताता है कि वह पिंड ड्यूगू जिसका पहले हिस्सा रहा था. किसी तरह की गर्म गतिविधि की वजह से सूख गया होगा. उसके बाद ही ड्यूगू उससे अलग हुआ होगा जिससे वह उम्मीद से इतना ज्यादा सूखा है.
क्या जानना चाहते थे वैज्ञानिक
ब्राउन यूनिवर्सिटी के ग्रह वैज्ञानिक और इस अध्ययन के सहलेखक राल्फ मिलीकन ने बताया कि वे सौरमंडल के शुरुआत के समय में पानी के वितरण को समझने का प्रयास कर रहे थे और साथ ही यह कि पृथ्वी पर पानी कैसे आया होगा. माना जाता है कि इसमें पानी वाले क्षुद्रग्रह की भूमिका रही होगी. इसीलिओ ड्यूगू का नजदीक से और उसके नमूनों का अध्ययन कर शोधकर्ता इस तरह के क्षुद्रग्रहों में पानी वाले खनिजों के इतिहास और प्रचुरता को बेहतर तरह से समझ सकते हैं.
क्यों चुना गया ड्यूगू को
मिलीकन ने बताया कि ड्यूगू को इस अध्ययन के लिए चुनने का एक कारण यह था कि यह उस श्रेणी का क्षुद्रग्रह है जो गहरे रंग के होते हैं और जिनके बारे में माना जाता है कि उनमें पानी वाले खनिज और जैविक यौगिक मौजूद होने की संभावना होती है. इन क्षुद्रग्रहों के बारे में माना जाता है कि इनमें से निकले काले, पानी और कार्बन से भरपूर उल्कापिंड पृथ्वी पर पाए गए हैं.
क्यों खास हैं उल्कापिंड
इन उल्कापिंडों को कार्बनेसियस कोंड्रआइट्स (carbonaceous chondrites) कहा जाता है. इन उल्कापिंडों का दशकों से अध्ययन किया जा रहा है. लेकिन यह निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि ये उल्कापिंड किसी खास क्षुद्रग्रह से आए थे. लेकिन ड्यूगू पर उम्मीद के खिलाफ पानी से समृद्ध क्षुद्रग्रह नहीं पाया गया.
क्यों नहीं है इतना पानी
ड्यूगू पत्थरों को समूह है जो उसके गुरुत्व से जुड़े हैं. वैज्ञानिकों को लगता है कि यह एक विशाल क्षुद्रग्रह के अवशेषों से एक बड़े टकराव के कारण बना होगा. इसलिए हो सकता है कि जिस बड़े क्षुद्रग्रह से यह बना होगा वह किसी तरह की गर्म गतिविधि से सूख गया होगा. हो सकता है कि वह सूर्य के पास से गुजरने के कारण सूख गया हो.
हायाबुसा-2 अंतरिक्ष यान ने पहले एक छोटा रॉकेट ड्यूगू की सतह पर दागा जिससे वहां एक क्रेटर बना जिसका इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर से अध्ययन करने पर शोधकर्ताओं ने सतह और क्रेटर के खनिजों की तुलना की. इससे पता चला कि दोनों ही समान हैं जिससे इस धारणा को बल मिला पानी वाले खनिज ड्यूगू के निर्माण से पहले ही सूख गए होंगे. अब शोधकर्ताओं का ड्यूगू के नमूने के अध्ययन के नतीजों का इंतजार है जिससे उनके नतीजों की पुष्टि हो सके.