Mukesh Ambani लगा रहे हैं सोडियम बैटरी पर दांव, इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए लिथियम से क्यों है बेहतर

By | January 24, 2022
Mukesh Ambani

Mukesh Ambani लगा रहे हैं सोडियम बैटरी पर दांव, इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए लिथियम से क्यों है बेहतर

RIL के मुखिया मुकेश अंबानी को यह पता है कि भारत के ग्राहक कीमत को लेकर बहुत सेंसिटिव हैं और बैटरी के एनोड और कैथोड में सोडियम आयन से उन्हें बहुत फर्क पड़ने वाला नहीं है।

नई दिल्ली: इस समय स्मार्टफोन से लेकर एलन मस्क की टेस्ला की इलेक्ट्रिक कार तक लिथियम आयन बैटरी हर जगह मौजूद है। इसके बाद भी एशिया के सबसे अमीर आदमी मुकेश अंबानी ने जब इंग्लैंड में शॉपिंग करने की कोशिश की तो उन्होंने 10 करोड़ पाउंड में सोडियम बैटरी बनाने वाली कंपनी पर हाथ लगाया।

वास्तव में मुकेश अंबानी अपने पावर स्टोरेज गीगाफैक्ट्री के लिए लिथियम की तुलना में सोडियम को ज्यादा बेहतर विकल्प मान रहे हैं। अगर आप इसकी सबसे बड़ी वजह जानना चाहें तो पृथ्वी पर लिथियम की तुलना में सोडियम की मौजूदगी 300 गुना अधिक है।

इस समय दुनिया भर में इलेक्ट्रिक व्हीकल का क्रेज बढ़ रहा है और इस वजह से सिर्फ लिथियम ही नहीं बल्कि हाई ग्रेड निकल, कोबाल्ट और तकरीबन हर चीज जो एनर्जी स्टोर कर सकती है, वह इलेक्ट्रिक व्हीकल की बैटरी में लगाई जा रही है। वास्तव में धीरे-धीरे इन चीजों की उपलब्धता कम हो रही है।

स्वच्छ ऊर्जा पर बड़ा दांव

कई ऐसी रिपोर्ट आ चुकी है जिसके हिसाब से साल 2030 तक लिथियम आयन बैटरी बनाने के लिए मेटल की डिमांड 5 गुना तक बढ़ सकती है। इस हिसाब से साल 2022 में बैटरी की कीमत में वृद्धि के संकेत मिल रहे हैं। अंबानी की फ्लैगशिप कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड 76 अरब डॉलर के स्वच्छ ऊर्जा कारोबार पर बड़ा दांव खेल रही है।

सस्ती बैटरी चाहिए

मुकेश अंबानी यह चाहते हैं कि वह ऐसी तकनीक पर काम करें जो परंपरागत लेड एसिड बैटरी की तरह सस्ती हो और उसे बनाने में काम आने वाली चीजें आसानी से मिल सके। मुकेश अंबानी को यह पता है कि भारत के ग्राहक कीमत को लेकर बहुत सेंसिटिव हैं और बैटरी के एनोड और कैथोड में सोडियम आयन से उन्हें बहुत फर्क पड़ने वाला नहीं है। भारत या दुनिया भर के ग्राहकों को बैटरी के परफॉर्मेंस से अधिक फर्क पड़ता है।

सोडियम बैटरी का प्रदर्शन
अमेरिका के एक ब्रिटेन के एक वेंचर कैपिटल लिस्ट अश्विन कुमार स्वामी ने कहा, “अगर बैटरी बनाने वाली सभी कंपनियां लिथियम पर ही दांव खेलने लगे तो इससे बहुत दिनों तक काम चलने वाला नहीं है। इसके साथ ही कोबाल्ट का भी भंडार बहुत बड़ा नहीं है। इस समय उद्योग में सोडियम का इस्तेमाल नहीं के बराबर हुआ है और अगर सोडियम आयन बैटरी की बात करें तो इसके प्रति किलोग्राम इस्तेमाल से 160-170 वाट प्रति घंटे तक ऊर्जा प्राप्त की जा सकती है। नई तकनीक आने के साथ ही सोडियम की कैपेसिटी 200 वाट प्रति घंटे तक पहुंच सकती है। यह वास्तव में टेस्ला के सीन में बनने वाली मॉडल 3 के स्टैंडर्ड रेंज की तुलना में बराबर या उससे बेहतर प्रदर्शन है।”

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