क्यों झुकी जा रही है शनि ग्रह की धुरी, शोधकर्ताओं का पता चली असली वजह
शनि ग्रह (Saturn) की धूर्णन की धुरी (Axis of Rotation) के झुकाव (Tilting) का असली कारण उसके चंद्रमाओं (Moons)का उस पर प्रभाव है. वैज्ञानिकों ने इसके अगले अरबों सालों में होने वाले बदलाव की गणना भी की है.
System) के रहस्य भी कुछ कम नहीं हैं. ऐसा ही एक है शनि ग्रह (Saturn) की धुरी (Axis) के टेढ़े होने का रहस्य. हालिया शोध में वैज्ञानिकों ने इस रहस्य से पर्दा उठाया है. इतना ही नहीं उन्होंने यह भी बता दिया है कि अगले कुछ अरब सालों में इसमें क्या और किस तरह का बदलाव आएगा. इस शोध में शोधकर्ताओं ने शनि की धुरी में बदलाव का जिम्मेदार उसके चंद्रमाओं (Moon) को बताया है.
इंस्टीट्यूट ऑफ सेलिसियल मैकेनिक्स एंड एफीमेरिस कैलक्युलेशन (पेरिस ऑबजर्वेटरी) के CNRS और सोरबॉन यूनिवर्सिटी के दो वैज्ञानिकों ने बताया है कि शनि (Saturn) के उपग्रहों का प्रभाव इस विशाल गैस के ग्रह की धुरी के झुकाव (Tilt of Axis) की व्याख्या कर सकता है. उनका यह कार्य पिछले सप्ताह ही नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में प्रकाशित हुआ है. वैज्ञानिकों का यहां तक कहना है कि अगले कुछ अरब सालों में यह झुकाव और बढ़ेगा
शनि (Saturn) के इस झुकाव की वजह उसके चंद्रमा (Moon) हैं यह निष्कर्ष CNRS, सोरबॉन यूनिवर्सिटी और पीसा यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के अध्ययन से निकला है. इसके मुताबिक शनि के चंद्रमा या उपग्रहों के विस्थापन (Migration) ही शनि की धुरी का झुकाव (Tilt of Axis) हुआ है. शोधकर्ताओं का कहना है कि इसके लिए सबसे बड़ा जिम्मेदार शनि का सबसे बड़ा चंद्रमा टाइटन (Titan) ही है.
शनिग्रह (Saturn) और उसके आसपास के हालिया अवलोकन बताते हैं कि टाइटन (Titan)और शनि के दूसरे चंद्रमा (Moon) धीरे-धीरे दूर जा रहे हैं. इस अध्ययन में पता चला है कि यह विस्थापन (Migration) जितना कि खगोलविद सोच रहे थे उससे कहीं ज्यादा तेज है. इस तेज दर को अपनी गणना में शामिल करने के पर शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुंचे कि यह पूरी प्रक्रिया शनि के अपनी धुरी पर झुकाव (Tilting of Axis) को प्रभावित कर रही है. ये उपग्रह जितनी ज्यादा दूर जाते हैं धुरी और ज्यादा झुकती चली जाती है.
वह निर्णायक घटना जिसने शनि (Saturn)में ज्यादा झुकाव पैदा किया है हाल ही में हुई मानी जा रही थी. जबकि उससे पहले निर्माण के बाद से तीन अरब सालों तक शनि की घूर्णन की धुरी केवल जरा सी झुकी थी. केवल एक ही अरब साल पहले शनि के चंद्रमा धीरे धीरे दूर होने लगे. इसकी वजह अनुकंपनात्मक प्रक्रिया (resonance phenomenon) है जो नेप्च्यून (Neptune) की कक्षा से अंतरक्रिया की वजह से हुई जो आज भी जारी है और यह धुरी 27 डिग्री तक पहुंच गई है.
ऐसा नहीं है कि खगोलविदों को इस अनुकंपनात्मक (Resonance) घटना के बारे में पहली बार पता चला है. उन्हें पहले से ही इस घटना की जानाकरी थी, लेकिन उन्हें लगता था कि यह घटना चार अरब साल पहले घटी हुई होगी. वह भी उन्हें लगता था कि यह नेप्च्यून (Neptune)की कक्षा में आए बदलाव की वजह हुई होगी. उस समय तक शनि (Saturn) की धुरी स्थिर थी. हकीकत यह है कि यह धुरी (Axis) आज भी झुकती ही जा रही है. आज जो हम देख रहे हैं वह केवल इसमें एक बदलाव दिख रहा है. अगले कुछ अरब सालों में यह झुकाव दोगुना ज्यादा हो सकता है.
केवल शनिग्रह (Saturn) पर ही उसके चंद्रमाओं (Moon) का ऐसा प्रभाव नहीं हो रहा है. शोधकर्ताओं ने इसी तरह के निष्कर्ष गुरू ग्रह (Jupiter) के बारे में भी निकाले थे. गुरू ग्रह में भी इस तरह का झुकाव अपने चार चंद्रमा के विस्थापन और यूरेनस (Uranus) की कक्षा से अनुकंपनता (Resonance) के कारण हो रहा है. अगले 5 अरब सालों में गुरू की इस धुरी के 3 से 30 डिग्री अधिक तक बढ़ सकती है.