अमेरिका के एक वरिष्ठ सांसद फ्रैंक पालोन ने बाइडन प्रशासन से अपील की है कि भारत के पावर ग्रिड पर चीनी साइबर हमले के मामले में वो भारत का पक्ष लें.
सोमवार को एक ट्वीट में फ्रैंक पलोन ने लिखा, “अमेरिका को अपने रणनीतिक साझेदार का साथ देना चाहिए और भारत के पावर ग्रिड पर चीन के ख़तरनाक हमले का विरोध करना चाहिए. इस हमले के महामारी के दौरान कारण अस्पतालों में बिजली कट गई और उन्हें जेनेरेटरों का सहारा लेना पड़ा.”
उन्होंने लिखा, “हम चीन को ताकत और धमकी के बल पर इलाक़े में प्रभुत्व कायम नहीं करने दे सकते.”
The U.S. must stand by our strategic partner and condemn China’s dangerous cyber-attack on India's grid, which forced hospitals to go on generators in the midst of a pandemic.
We cannot allow China to dominate the region through force and intimidation. https://t.co/1pMi2TMy3p
— Rep. Frank Pallone (@FrankPallone) March 1, 2021
भारत ने क्या कहा
इधर अमेरिकी कंपनी के शोध पर सोमवार को भारत के विद्युत मंत्रालय ने साइबर हमले में बारे में कहा था कि हमले का कोई असर नहीं पड़ा है. मंत्रालय ने न तो चीन साइबर हमले का ज़िक्र किया और न ही मुबंई पावर ग्रिड का.
मंत्रालय ने कहा, “जिस ख़तरे की बात रिपोर्ट में की गई है उसके बारे में पावर सिस्टम ऑपरेशन कोऑपरेशन क केम पर कोई असर नहीं पड़ा है. इस तरह की घटना से न तो कोई डेटा लॉस हुआ है, न ही डेटा चुराया गया है.”
अमेरिकी सरकार ने क्या कहा
अमेरिकी गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि उन्हें बारे में जानकारी है. प्रवक्ता ने कहा, “अधिक जानकारी के लिए हम आपको उस कंपनी के बारे में बता सकते हैं जिसने ये स्टडी की है. लेकिन साइबरस्पेस में ख़तरे के इस तरह के मामलों में गृह मंत्रालय अपने सहयोगियों के साथ मिल कर काम करता है.”
प्रवक्ता ने कहा, “साइबरस्पेस में किसी एक देश के ख़तरनाक कदम पर हम गंभीरता से विचार करते हैं और हम एक बार ये दोहराना चाहते हैं कि साइबर सुरक्षा, क्रिटिकल इंफ्रांस्ट्रक्चर और सप्लाई चेक की सुरक्षा को लेकर हम सहयोगियों के साथ मिल कर काम करते हैं.”
साइबर सिक्योरिटी कंपनी की स्टडी
इससे पहले विभिन्न देशों के इंटरनेट के इस्तेमाल का अध्ययन करने वाली अमेरिका की मैसाचुसेट्स स्थित साइबर सिक्योरिटी कंपनी रिकॉर्डेड फ्यूचर ने अपनी हाल के एक रिपोर्ट में बताया था कि चीनी सरकार से जुड़े एक समूह के हैकर्स ने मैलवेयर के ज़रिए भारत के महत्वपूर्ण पावर ग्रिड को निशाना बनाया था.
रिपोर्ट के अनुसार रेडएको नामक एक समूह ने भारतीय पावर सेक्टर को अपना निशाना बनाया है. इस गतिविधि की बड़े पैमाने पर ऑटोमेटेड नेटवर्क ट्रैफिक एनालिटिक्स और विश्लेषणों का मिलान कर पहचान की गई है. साइबर हमले की पहचान करने के लिए रिकॉर्डेड फ्यूचर प्लेटफॉर्म, सिक्योरिटी ट्रेल्स, स्पर, फारसाइट, आम ओपन सोर्स टूल्स और तकनीक के डेटा का इस्तेमाल किया गया.
सोमवार को महाराष्ट्र के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने इस बारे में अपने एक बयान में कहा कि 12 अक्तूबर 2020 को मुंबई में कई घंटों के पावर कट में साइबर घुसपैठ की संभावना के बारे में बिजली विभाग की शिकायत के आधार पर राज्य साइबर पुलिस विभाग ने जांच की है और इसकी रिपोर्ट मुझे और गृह मंत्री अनिल देशमुख को सौंप दी गई है. मैं इस पर विधानसभा में जानकारी दूंगा.
Based on Energy Department's complaint about possibility of cyber sabotage in #Mumbaipoweroutage on October 12,2020. State Cyber Police Department investigated this & report was handed over to me today by Home Minister @AnilDeshmukhNCP ji. I will speak on this in legislature. pic.twitter.com/AU5Ivp0XJH
— Dr. Nitin Raut (@NitinRaut_INC) March 1, 2021
12 अक्तूबर को मुंबई में क्या हुआ था?
12 अक्तूबर 2020 को मुंबई के एक बड़े हिस्से में ग्रिड फेल होने के कारण बिजली चली गई थी. इससे मुंबई और आस-पास के महानगर क्षेत्र में जनजीवन पर गंभीर असर पड़ा था.
इसकी वजह से लोकल ट्रेनें अपने सफ़र के बीच में ही रुक गई थीं और कोरोना महामारी के बीच हो रही छात्रों की ऑनलाइन कक्षाएँ भी बाधित हुई थीं.
बिजली गुल होने से उस दौरान मुंबई सेंट्रल, थाणे, जोगेश्वरी, वडाला, चेंबूर, बोरीवली, दादर, कांदीवली और मीरा रोड जैसे इलाक़े बुरी तरह प्रभावित हुए थे.
2020 की शुरुआत से ही रिकॉर्डेड फ्यूचर्स इनसिक्ट ग्रुप को चीन के इस प्रोयोजित समूह की ओर से भारतीय प्रतिष्ठानों पर बड़े पैमाने पर लक्षित घुसपैठ की गतिविधि देखने को मिली है.
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में छपी इस ख़बर के बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या मुंबई में 12 अक्तूबर को हुआ पावर कट चीन की तरफ से भारत को एक सख्त चेतावनी तो नहीं थी.
दूसरी तरफ चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिंग ने सोमवार को इन आरोपों को ख़ारिज करते हुए इसे बिना सबूत ‘गैरज़िम्मेदाराना और ग़लत इरादों’ से लगाया गया आरोप बताया है.