सरकार के पास कितनी जमीन है, जिसे बजट में दिया बेचने का संकेत

By | February 2, 2021

सरकार के पास कितनी जमीन है, जिसे बजट में दिया बेचने का संकेत

सरकारी डाटा के मुताबिक दिल्ली से नौ-गुनी जमीन में सबसे बड़ा हिस्सा भारतीय रेलवे (Indian railway owns largest land) का है. वहीं रक्षा मंत्रालय (defense ministry in India) के पास सबसे कम जमीन है.

देश के आम बजट में इस बार कई नई बातें हुईं. एक जिक्र तो आत्मनिर्भर भारत का था, जिसमें स्वदेशी उत्पादों के निर्माण पर जोर दिया गया. इसके अलावा एक और बड़ी बात तो दिखी, वो थी भारत सरकार की अपनी जमीनों की बिक्री में दिलचस्पी. तो हमारी सरकार के पास आखिर कितनी बड़ी जमीन है, जिसे बेचने का संकेत दिया गया? आइये, जानते हैं

डाटा के मुताबिक सरकार के पास लगभग 13,505.44 स्क्वायर किलोमीटर जमीन है. ये जमीन देश की राजधानी दिल्ली से आकार में लगभग नौ गुनी है. बता दें कि दिल्ली 1,483 स्क्वायर किलोमीटर में फैली है. साल 2016 में ही भारत सरकार ने अपनी जमीनों को खंगालने का काम शुरू किया. सालभर के भीतर देश के किस हिस्से में, कितनी जमीन है, इसका एक आंकड़ा गवर्नमेंट लैंड इंफॉर्मेशन सिस्टम (GLIS) में डाल दिया गया.

इस पोर्टल के मुताबिक दिल्ली से नौ-गुनी जमीन में सबसे बड़ा हिस्सा भारतीय रेलवे का है. हिंदुस्तान टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक रेलवे के पास जमीनों के लगभग 31,063 पट्टे हैं, जो अलग-अलग जगहों पर हैं. ये कुल मिलाकर 2,929 सक्वायर किलोमीटर है.

रक्षा मंत्रालय के पास भी बड़ा भूभाग है. हालांकि सुरक्षा कारणों को ध्यान में रखते हुए इस विभाग से सारी जमीन की जानकारी नहीं दी लेकिन जितनी जानकारी पोर्टल पर है, उसके मुताबिक उनके पास आधिकारिक तौर पर 383.62 सक्वायर किलोमीटर जमीन है. वहीं साल 2010-11 में एक ऑडिटर जनरल ने अनुमान लगाया था कि रक्षा विभाग के पास 7,000 सक्वायर किलोमीटर जमीन है, लेकिन इस बात का कोई पुष्ट प्रमाण नहीं दिया गया

लवे और रक्षा के अलावा कई दूसरे विभागों ने भी अपनी जमीनों की जानकारी दी. जैसे कोयला विभाग के पा 2,580 .92 स्क्वायर किलोमीटर जमीन है. इसी तरह से ऊर्जा के पास 1,806 स्क्वायर किलोमीटर भूभाग है. इसी तरह से शिपिंग, स्टील और होम अफेयर्स ने भी अपने आंकडे़ दिए. एग्रीकल्चर की बात करें तो डाटा के हिसाब के उसके पास केवल 589.07 स्क्वायर किलोमीटर जमीन है

साल 2012 में पूर्व वित्त सचिव विजय केलकर ने सुझाव दिया था कि सरकार को अपनी इस्तेमाल न आ रही जमीनों को इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए इस्तेमाल करना चाहिए. महाराष्ट्र और गुजरात ने इसके बाद जमीनों को लीज पर देकर पैसे जमा करने भी शुरू कर दिए. अब भी कई विभागों ने अपनी जमीन और अतिरिक्त या इस्तेमाल न आ रही जमीन के बारे में जानकारी नहीं दी है. माना जा रहा है कि सरकार के पास पूरी जमीन की जानकारी आने के बाद विकास के कई कामों में उनका इस्तेमाल हो सकेगा.

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