Aksai Chin किसे कहते है? कैसे बना कश्मीर से Aksai Chin, भारत के हांथो से कैसे निकला Aksai Chin
अक्साई चिन या अक्सेचिन चीन, पाकिस्तान और भारत के संयोजन में तिब्बती पठार के उत्तरपश्चिम में स्थित एक विवादित क्षेत्र है। यह कुनलुन
पर्वतों के ठीक नीचे पर स्थित है।
Aksai Chin
ऐतिहासिक रूप से Aksai Chin भारत को रेशम मार्ग से जोड़ने का ज़रिया था और भारत हज़ारों साल से मध्य एशिया के पूर्वी इलाकों (जिन्हें तुर्किस्तान भी कहा जाता है) और भारत के बीच संस्कृति, भाषा और व्यापार का रास्ता रहा है।
POK का 5180 बर्ग किलोमीटर क्षेत्र पाकिस्तान ने चीन को गिफ्ट में दे दिया और चीन 38000 हज़ार बर्ग किलोमीटर क्षेत्र पहले से ही कब्ज़ा कर के बैठा है तो इस हिसाब Aksai Chin या अक्सेचिन चीन, पाकिस्तान और भारत के संयोजन में तिब्बती पठार के उत्तरपश्चिम में स्थित एक विवादित क्षेत्र है। यह कुनलुन पर्वतों के ठीक नीचे पर स्स्थित है।
ऐतिहासिक रूप से अक्साई चिन भारत को रेशम मार्ग से जोड़ने का ज़रिया था और भारत और हज़ारों साल से मध्य एशिया के पूर्वी इलाकों (जिन्हें तुर्किस्तान भी कहा जाता है) और भारत के बीच संस्कृति, भाषा और व्यापार का रास्ता रहा है।
POK का 5180 बर्ग किलोमीटर क्षेत्र पाकिस्तान ने चीन को गिफ्ट में दे दिया और चीन 38000 हज़ार बर्ग किलोमीटर क्षेत्र पहले से ही कब्ज़ा कर के बैठा है तो इस हिसाब से 43180 बर्ग किलोमीटर हो गया, तो अब भारत चीन से इतना ही एरिया वापस लेगा।से 43180 बर्ग किलोमीटर हो गया, तो अब भारत चीन से इतना ही एरिया वापस लेगा।
पश्चिमी सेक्टर में लद्दाख और अक्साई चिन का इलाका है। Aksai Chin कश्मीर का हिस्सा रहा है, इसलिए कश्मीर के भारत में विलय के बाद यह इलाका भी भारत का होगा। लेकिन चीन ने अक्साई चिन को अपने शिनच्यांग प्रदेश का इलाका बताया है।
भारत का कहना है कि चीन ने 1962 की लड़ाई में Aksai Chin के 38 हजार वर्ग मील इलाके पर कब्जा कर लिया था। अक्साई चिन का यह इलाका वीरान और बर्फीला है
जम्मू कश्मीर की 5 हजार वर्ग मील वाली शक्सगाम घाटी का इलाका पाकिस्तान ने अपने गुलाम कश्मीर वाले इलाके से निकालकर चीन को 1963 में दे दिया जिससे होकर चीन ने कराकोरम राजमार्ग बना लिया है।
लेकिन चीन इस इलाके की चर्चा नहीं करना चाहता।
अक्साई चिन’ का नाम उईग़ुर भाषा से आया है, जो एक तुर्की भाषा है। उईग़ुर में ‘अक़’ का मतलब ‘सफ़ेद’ होता है और ‘साई’ का अर्थ ‘घाटी’ या ‘नदी की वादी’ होता है। उईग़ुर का एक और शब्द ‘चोअल’ है, जिसका अर्थ है ‘वीराना’ या ‘रेगिस्तान’, जिसका पुरानी ख़ितानी भाषा में रूप ‘चिन’ था।
‘अक्साई चिन’ के नाम का अर्थ ‘सफ़ेद पथरीली घाटी का रेगिस्तान’ निकलता है। चीन की सरकार इस क्षेत्र पर अधिकार जताने के लिए ‘चिन’ का मतलब ‘चीन का सफ़ेद रेगिस्तान’ निकालती है, लेकिन अन्य लोग इसपर विवाद रखते हैं।
अक्साई चिन एक बहुत ऊंचाई (लगभग 5 ,000 मीटर) पर स्थित एक नमक का मरुस्थल है। इसका क्षेत्रफल 42685 किमी (16489 वर्ग मील) के आसपास है। भौगोलिक दृष्टि से अक्साई चिन तिब्बती पठार का भाग है और इसे ‘खारा मैदान’ भी कहा जाता है।
यह क्षेत्र लगभग निर्जन है और यहां पर स्थायी बस्तियां नहीं है। इस क्षेत्र में ‘अक्साई चिन’ (अक्सेचिन) नाम की झील और ‘अक्साई चिन’ नाम की नदी है। यहां वर्षा और हिमपात ना के बराबर होता है क्योंकि हिमालय और अन्य पर्वत भारतीय मानसूनी हवाओं को यहां आने से रोक देते हैं।
चीन ने जब 1950 के दशक में तिब्बत पर क़ब्ज़ा किया तो वहाँ कुछ क्षेत्रों में विद्रोह भड़के जिनसे चीन और तिब्बत के बीच के मार्ग के कट जाने का ख़तरा बना हुआ था। चीन ने उस समय शिंजियांग-तिब्बत राजमार्ग का निर्माण किया जो अक्साई चिन से निकलता है और चीन को पश्चिमी तिब्बत से संपर्क रखने का एक और ज़रिया देता है।
भारत को जब यह ज्ञात हुए तो उसने अपने इलाक़े को वापस लेने का यत्न किया। यह 1962 के भारत-चीन युद्ध का एक बड़ा कारण बना। वह रेखा जो भारतीय कश्मीर के क्षेत्रों को अक्साई चिन से अलग करती है ‘वास्तविक नियंत्रण रेखा’ के रूप में जानी जाती है। Aksai Chin भारत और चीन के बीच चल रहे दो मुख्य सीमा विवाद में से एक है। चीन के साथ अन्य विवाद अरुणाचल प्रदेश से भी संबंधित है।