allopathy in hindi: एलोपैथी क्या है, इसके जनक कौन थे, ये कितनी पुरानी है?

By | June 2, 2021
allopathy in hindi

allopathy in hindi : एलोपैथी (allopathy) में बीमार होने पर दवाओं के अलावा, सर्जरी और प्रिवेंटिव मेडिसिन भी मिलती है, जैसे वैक्सीन, जो बीमारी होने से रोकती है. साथ ही कोई दवा देने से पहले क्लिनिकल रिसर्च और फिर ह्यूमन ट्रायल (human trial) होता है.

allopathy in hindi: एलोपैथी और आयुर्वेद के बीच उपजा विवाद कम होने की बजाए बढ़ता जा रहा है. योग गुरु रामदेव ने बीते दिनों एलोपैथ पर विवादित बयान देते हुए उसे कम कारगर बताया. साथ ही कोरोना के इलाज के दौरान दवाओं की ऊंची कीमत को लेकर भी हमलावर हैं. साथ ही उन्होंने एलोपैथ को नई विधा कह दिया. वैसे ये बात किसी हद तक सही भी है कि एलोपैथ, आयुर्वेद की तुलना में ज्यादा आधुनिक विज्ञान है.

अलग तरह से काम करती है एलोपैथिक दवाएं 

एलोपैथ टर्म का सबसे पहले इस्तेमाल साल 1810 में हुआ था, जिसे जर्मन चिकित्सक सैमुअल हेनिमैन (Samuel Hahnemann) ने दिया था. ये शब्द ग्रीक टर्म से आया, एलोस यानी अलग और पैथोज यानी सफरिंग. इसके तहत जो दवाएं दी जाती हैं, वो होमियोपैथी (वैकल्पिक चिकित्सा) से एकदम अलग होती हैं.

होमयोपैथी में उस तत्व की हल्की खुराक दी जाती है, जिसके कारण बीमारी होती है. वहीं एलोपैथी में लक्षण के विपरीत यानी उसे दबाने की दवा दी जाती है. जैसे कब्जियत के मरीज को लैक्जेटिव दिया जाता है. या फिर शरीर का तापमान बढ़ने पर बुखार घटाने की दवा देते हैं.

कहते हैं मॉडर्न साइंस 

शुरुआत में लोग इलाज के इसके तरीकों से दूर भागते लेकिन कुछ ही समय में ये लोकप्रिय विधा हो गई. इसे आधुनिक या पश्चिमी चिकित्सा विज्ञान भी कहते हैं. कई बार इसे ऑर्थोडॉक्स मेडिसिन भी कहा जाता है. इसके तहत डॉक्टर, नर्स, फार्मासिस्ट, और दूसरे हेल्थकेयर प्रोफेशनल डिग्री-डिप्लोमा लेकर और फिर लाइसेंस लेकर प्रैक्टिस कर सकते हैं.

ऑपरेशन को बड़ी खूबी मानते हैं 

इसके तहत दवाएं, सर्जरी, रेडिएशन और दूसरी तरह की थैरेपी आती हैं. सर्जरी एलोपैथी की सबसे अहम खूबी मानी जाने लगी है, जो चिकित्सा के दूसरे किसी वैकल्पिक मैथड में नहीं. होमयोपैथी, नैचुरोपैथी, यूनानी या आयुर्वेद में फिलहाल सर्जरी नहीं होती है.

इस तरह की हैं दवाएं 

ट्रीटमेंट के इस दायरे को बढ़ाकर देखें तो इसके तहत एंटीबायोटिक, ब्लड प्रेशर से जुड़ी दवाएं, डायबिटीज की दवा, कीमोथैरेपी जैसी चिकित्सा विधियां अपनाई जाती हैं. हॉर्मोन से जुड़ी समस्याओं का इलाज भी एलोपैथी में खूब होता है. ये तो वे दवाएं हुईं, जिन्हें चिकित्सक अपने प्रिस्क्रिप्शन में लिखता है. इसके अलावा कई ओवर-द-काउंटर (OTC) दवाएं भी होती हैं, यानी वो दवा जो दवा दुकान से सीधे खरीदी जा सकती है. जैसे दर्द की दवा, कफ और दूसरी तरह की ड्रग्स.

एलोपैथी में प्रिवेंटिव मेडिसिन का भी बंदोबस्त है

इसका अर्थ है, बीमारी से पहले ही उसे रोका जा सकना. ये काम एलोपैथी की शुरुआत में नहीं होता था. अमेरिकन कॉलेज ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसिन ने अपनी स्टडी में पाया कि तब वैक्सीन या ऐसी दवाएं नहीं थीं, जिससे किसी बीमारी को आने से रोका जा सके.

संगठित तरीके से काम करती है एलोपैथी

फिलहाल एलोपैथिक दवाओं पर भरोसा करने वाले लोग काफी ज्यादा हैं तो इसकी वजह भी है. असल में इसका पूरा हेल्थकेयर सिस्टम है, जिसमें पढ़ाई और अनुभव के साथ लोग डॉक्टर, नर्स या फॉर्मासिस्ट बनते हैं. किसी दवा को देने से पहले उसकी क्लिनिकल रिसर्च और फिर ह्यूमन ट्रायल होता है ताकि दवा से कोई खतरा न हो. अलग-अलग चरणों के ट्रायल में तय किया जाता है कि किस आधार पर, किसे दवा की कितनी खुराक दी जानी चाहिए.

वैश्विक संस्थाएं रखती हैं कड़ी निगरानी 

साथ ही इसपर नजर रखने के लिए कई संस्थाएं हैं, जिन्हें न्यूट्रल माना जाता है. फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) और अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन ऐसी ही संस्थाएं हैं. वहीं आयुर्वेद, होमियोपैथी, या नैचुरोपैथी में इस तरह की रिसर्च और संस्थाओं का अभाव दिखता है.

वैसे एलोपैथी के बारे में एक बात दिलचस्प है कि इसका नामकरण उस चिकित्सक ने किया, जिसे होमियोपैथी का जनक कहा जाता है. जी हां, जर्मन वैज्ञानिक और चिकित्सक सैमुअल हेनिमैन ने होमियोपैथी की जोड़ पर ये नाम दिया.

ये हैं इलाज की वैकल्पिक विधियां 

मॉर्डन चिकित्सा विज्ञान के अलावा बहुत से लोग वैकल्पिक तरीकों पर भी भरोसा करते हैं. इसे कॉम्प्लिमेंटरी एंड अल्टरनेटिव मेडिसिन (CAM) कहते हैं. हॉपकिन्स मेडिसिन वेबसाइट के मुताबिक अकेले अमेरिका में ही 38% व्यस्क और 12% बच्चे ये इलाज लेते हैं. इनमें आयुर्वेद, होमियोपैथी, नैचुरोपैथी, एक्युप्रेशर, एक्युपंक्चर और चाइनीज मेडिसिन आते हैं.

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