कैसे लग जाती है चाय, कॉफ़ी या शराब की लत : How does addiction to tea coffee or alcohol लोगों से अगर पूछिए तो वे अपनी पसंद की कॉफी या चाय के कई अलग अलग स्वाद गिना देंगे. लेकिन सच्चाई ये है कि कॉफी, अल्कोहल यहां तक कि सोडा भी स्वाद के लिए नहीं बल्कि उन्हें पीने के बाद दिलोदिमाग में उमड़ने वाले अहसास के लिए पी जाती है.
अमेरिका की नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी के आनुवंशिकी वैज्ञानिकों की एक नई रिसर्च में ये बात पता चली है. इस रिसर्च के नतीजे ह्यूमन मॉलिक्यूलर जेनेटिक्स नामकी पत्रिका में छपी हैं. रिसर्चर मर्लिन कॉर्नेलिस ने कॉफी के उपयोग के जेनेटिक्स के बारे में पहले भी एक रिपोर्ट छापी थी. इसके बाद वो यह पता लगाना चाहती थीं कि वे कौन से स्वाद वाले जीन हैं जो यह तय करते हैं कि हम क्या पिना पसंद करेंगे.
कॉर्नेलिस और उनकी टीम हैरान रह गई जब उन्हें पता कि लोगों की पसंद उनके स्वाद वाले जीन पर आधारित नहीं हैं. बल्कि उन जीनों पर आधारित है जो किसी पेय पदार्थ के दिमाग पर होने वाले असर से जुड़े हैं. कॉर्नेलिस ने बताया, “हमारी पसंद को तय करने की आनुवांशिकी इन पेय पदार्थों में मौजूद ऐसे तत्व हैं जो हमारी मनोस्थिति पर असर डालते हैं. लोगों को कॉफी या कोई और पेय पीने के बाद कैसा महसूस होता है इसी से उनकी पसंद या नापसंद बनती है.”
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की तरफ से कराए गए रिसर्च में करीब 336,000 लोगों से उनके 24 घंटे के खानपान के बारे में सवाल पूछे गए. पेय पदार्थों को उनके कड़वे या मीठे स्वाद के हिसाब से अलग अलग समूहो में बांट दिया गया. कड़वे पेय पदार्थ में कॉफी, चाय, मौसमी का जूस, रेड वाइन और अल्कोहल रखा गया जबकी मीठे पेय के समूह में चीनी वाले पेय, कृत्रिम रूप से मीठे पेय और बगैर मौसमी जूस वाले पेय रखे गए.
इसके बाद लोगों के उपभोग की प्रवृत्ति का जीनोम के साथ अध्ययन किया गया. कॉर्नेलिस का कहना है, “स्वाद एक कारण हो सकता है लेकिन यह एक अर्जित स्वाद है.” कॉफी को उसकी कड़वाहट के कारण, “ऐसी चीज है जिससे हम शुरुआत से बचते रहना चाहिए.” कॉर्नेलिस ने बताया, “लेकिन हम इसका उपभोग करते हैं क्योंकि हमने इसके स्वाद की बराबरी कैफीन के असर से करना सीख लिया है. हालांकि रिसर्चरों ने एक और चीज पर ध्यान नहीं दिया है कि कॉफी की कड़वाहट को कम करने के लिए उसमें चीनी या क्रीम मिलाई जा सकती है.
रिसर्च में देखा गया कि जिन लोगों में एक खास किस्म का जीन था उन्हें मीठा पेय पसंद आया. इस खास जीन को एफटीओ कहते हैं. रिसर्चर इस बात से भी थोड़े हैरान हैं क्योंकि इस जीन वाले लोगों को पहले मोटापे से कम खतरा बताया गया था. कॉर्नेलिस का कहना है, एफटीओ एक रहस्यमय जीन है और हम नहीं जानते कि इसे मोटापे से कैसे जोड़ा गया. यह व्यवहार में एक भूमिका निभाता है जिसे वजन के मैनेजमेंट से जोड़ा जा सकता है.”
इस रिसर्च के नतीजों से वैज्ञानिक आगे चल कर उन तरीकों को ढूंढ सकते हैं जिनके जरिए उपभोग की प्रवृत्ति के अस्वास्थ्यकर होने पर उनमें दखल दिया जा सके. चीनी वाले पेय मोटापे और इस तरह की कई चीजों से जुड़े हैं. अल्कोहल को भी 200 से ज्यादा बीमारियों के लिए जिम्मेदार माना जाता और दुनिया भर में होने वाली मौतों में से 6 फीसदी इन्हीं बीमारियों के कारण होती हैं