नैनीताल ( उत्तराखंड). उत्तराखंड (Uttrakhand) में नैनीताल (Nainital) कोरोना वायरस (coronavirus) लॉकडाउन (Lockdown) में जहाँ पूरी दुनियां में बस सब लोग यही सोच रहे की कब इस बीमारी से निजात मिलेगा कब लॉकडाउन से लोग बाहर आ पाएंगे।
नैनीताल (Nainital) जिले के ओखलकांडा ब्लॉक के एक गांव में बने क्वारंटाइन सेंटर में दो युवकों ने दलित महिला के हाथ से बना खाना खाने से इनकार कर दिया.
In the Quarantine Center in Nainital, the youths refused to eat food cooked by a Dalit woman
वही भारत में एक जाति विशेष समुदाय में मामला सामने आया है दरअसल उत्तराखंड के नैनीताल जिले के ओखलकांडा ब्लॉक के एक गांव में चौंकाने वाला मामला सामने आया है.
यहां क्वारंटाइन किए गए दो सवर्ण लड़कों ने गांव की ही रहने वाली दलित भोजनमाता के हाथ से बना खाना खाने से इनकार कर दिया. जब मामले ने तूल पकड़ा और मामला ग्राम प्रधान तक पहुंचा. इसके बाद ग्राम प्रधान ने पहले सवर्ण युवकों को समझाने की कोशिश की, लेकिन जब नहीं माने तो पटवारी चौकी में शिकायत दर्ज की.
मामला नैनीताल जिले के ओखलकांडा ब्लॉक के भुमका गांव का है. यहां हिमाचल प्रदेश और हल्द्वानी से आए चाचा-भतीजे को स्कूल में बने क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया है. सेंटर में खाना-पीना बनाने की जिम्मेदारी स्कूल में भोजनमाता का काम करने वाली एक दलित महिला को दी गई है.
लेकिन स्कूल में बने क्वारंटाइन में किए गए दो युवक इस महिला के हाथ से बना हुआ भोजन और दिया हुआ खाना खाने से इनकार कर रहे हैं. यही वजह है कि इन दोनों के लिए अब घर से बना खाना मंगाया जा रहा है.
पटवारी को की गई है शिकायत
गांव के प्रधान मुकेश चंद्र बौद्ध ने नाई पट्टी के पटवारी को शिकायत की है. यहां उनके गांव में बाहर से आए 5 प्रवासियों को क्वारंटाइन किया गया है. जिसमें तीन दलित और दो सवर्ण शामिल हैं. लेकिन सवर्णों ने क्वारंटाइन सेंटर में मिल रहा भोजन करने से इनकार कर दिया.
दोनों की दलील है कि भोजन बनाने वाली महिला दलित है इसलिए वह उसके हाथ का भोजन नहीं कर सकते. इसलिए उन्हें घर का भोजन दिया जाए. प्रधान ने दोनों सवर्णों के खिलाफ एससी एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करने की मांग की है. पटवारी ने ग्राम प्रधान पर कार्रवाई का भरोसा दिया है.
लेकिन सोचने वाली बात यहाँ पर यह है की जब देश और दूनिया में इतनी बड़ी महामारी फैली हुयी लोगो के जान की बनी है तब भी ऐसी हरकत क्या आज के इस दौर पड़े लिखे समाज में ये सब सोभा देता है नहीं ना।
एक तरफ तो समानता की बात की जाती है वही दूसरी तरफ सिर्फ कुछ लोगो की हरकतों की बजह से पूरा समाज बदनाम हो जाता है क्या इस तरह की चीजे एक समाज, एक अच्छे समाज के विकास में बाधा उत्पन्न नहीं करेंगी।
हमें समझने की जरुरत है ऐसे लोगो को समझाने की जरुरत है की, अब २१वि सदी में जो पहले से ही एक छुआछूत बदनामी का जो टीका लगा हुआ उसको आगे न बढ़ाने दिया जाए और सब समाज में मिलकर रहे इस समाज में ऐसे लोगो को रोकने की जरुरत है।
आपको क्या लगता है ऐसे लोगो को किस प्रकार की सजा मिलनी चाहिए वो हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर जरूर बताइये।