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kapil dev biography in hindi: भारतीय क्रिकेट के पहले सुपरस्टार कपिल देव की कहानी.
kapil dev biography in hindi: भारतीय क्रिकेट के पहले सुपरस्टार कपिल देव की कहानी. कपिल देव जिन्होंने भारत को बनाया पहली बार वर्ल्ड चैंपियन
कपिल देव, भारतीय क्रिकेट के पहले सुपरस्टार का ध्यान आते ही उनकी कई छवियां जेहन में उभरती है. छह जनवरी कपिल का जन्मदिन है और अब वो 60 साल के हो गए हैं.
लार्ड्स की बालकनी में वर्ल्ड कप उठाए कपिल देव या अपनी आउट स्विंग गेंदों से विपक्षी टीमों को छकाते कपिल, या जिंबाब्वे के ख़िलाफ़ नाबाद 175 रनों की पारी खेलने वाले कपिल.
इस दौरान टेस्ट और वनडे क्रिकेट में बतौर आलराउंडर वे मुकाम दर मुकाम भी बनाते गए. टेस्ट में 5000 से ज्यादा रन और 400 से ज्यादा विकेट. वनडे में 3000 से ज़्यादा रन और 250 से ज्यादा विकेट.
इन सबके साथ कपिल देव का वो चेहरा भी सामने आता है जो बाद में टेस्ट मैचों में एक एक विकेट के लिए संघर्ष करते दिखे.
लेकिन उनकी इस तमाम छवियों से अलग हम आपको कपिल की उन छवियो के बारे में बता रहे हैं जिनके बारे में दुनिया ज़्यादा नहीं जानती.
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‘सबसे बेहतरीन स्ट्राइक रेट’
कपिल देव ने भारत की ओर से कुल 225 वनडे मैच खेले. इन मैचों में उन्होंने कुल 3783 रन बनाए. इस दौरान उनकी स्ट्राइक रेट 95.07 रही, यानी प्रति 100 गेंद पर 95.07 रन.
इस आंकड़े की अहमियत इसलिए भी ज़्यादा है क्योंकि कपिल ने अपना आखिरी वनडे मैच अक्टूबर, 1994 में खेला था, तब तक क्रिकेट की दुनिया में बल्लेबाज़ों का तूफ़ानी दौर शुरू नहीं हुआ था.
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वैसे आपको ये जानकर अचरज होगा वनडे मुक़ाबलों में कपिल की ये स्ट्राइक रेट, सचिन तेंदुलकर, एमएस धोनी, विराट कोहली, विवियन रिचर्ड्स और युवराज सिंह जैसे बल्लेबाज़ों की तुलना में ज़्यादा है. इस मामले में उनसे आगे वीरेंद्र सहवाग और एडम गिलक्रिस्ट ही हैं.
कपिल के साथ क्रिकेट खेल चुके सैयद किरमानी की मानें तो कपिल की बड़ी खासियत यही थी कि वे बोलते कम थे, उनका काम बोलता था. चाहे वो बैटिंग हो या फिर बॉलिंग.
‘स्ट्राइक रोटेट करने में अव्वल’
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स्ट्राइक रेट के अलावा कपिल स्ट्राइक रोटेट करने में भी लाजवाब थे. उन्होंने वनडे में 3,979 गेंदों पर 3,783 रन बनाए थे. इसमें उन्होंने 291 चौके और 67 छक्के जमाए थे. अब इन 358 बाउंड्री को उनकी पारी से निकाल दें तो तो कपिल ने 3,621 गेंदों पर 2,217 रन बनाए.
जिन गेंदों पर वे चौके छक्के नहीं जमा पाए उस पर एक दो रन लेकर रन बनाने की उनकी दर 61.2 रही. क्रीज बदलने की रफ़्तार की दर के मामले सहवगा और गिलक्रिस्ट भी उनसे पिछड़ गए क्योंकि कपिल अव्वल पायदान पर हैं.
कपिल के साथ भारत के लिए क्रिकेट खेल चुके किरण मोरे कहते हैं, “कपिल पाजी जैसा क्रिकेटर तो मैंने देखा ही नहीं. वे क्रीज पर आते ही रन बटोरना जानते थे. उनके पास स्ट्राइक रोटेट करने की अद्भुत क्षमता थी.”
‘रनिंग बिटविन द विकेट’
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कपिल जिस दौर में भारत के लिए खेले, उस दौर में भारतीय खिलाड़ियों की फ़िटनेस बहुत अच्छी नहीं मानी जाती थी, लेकिन कपिल पर उनका असर नहीं पड़ा था. वे विकेटों के पीछे भागने वाले बेमिसाल बल्लेबाज़ थे.
इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 184 टेस्ट पारियों में बल्लेबाज़ी करने के बावजूद वे कभी रन आउट नहीं हुए. इतना ही नहीं, 221 वनडे मैचों में बल्लेबाज़ी के दौरान वे महज 10 बार रन आउट हुए.
किरण मोरे कहते हैं, “अस्सी-नब्बे दशक की टीम इंडिया को देखिए तो कपिल का ये रिकॉर्ड उन्हें लाजवाब बनाता है.”
नोबॉल फेंकने से परहेज
कपिल देव को अपने करियर में जितनी गेंदबाज़ी की, उतना कम ही तेज गेंदबाज़ों को मौका मिला है. इसके अलावा उन्हें लंबे समय तक अपने दम पर टीम इंडिया की तेज़ गेंदबाज़ी की बागडोर संभालनी होती थी. लेकिन अपने पूरे करियर में वे बेहद अनुशासित गेंदबाज़ रहे.
अपने टेस्ट करियर में उन्होंने महज 20 दफ़े नो बॉल फेंकी.
भारत का नंबर एक गेंदबाज़
कपिल देव ने ही तेज़ गेंदबाज़ी की दुनिया में भारत का नाम स्थापित किया. उन्होंने बताया कि तेज गेंदबाज़ यहां भी पैदा हो सकते हैं. उनसे पहले करसन घावरी ने मध्यम गति गेंदबाज के तौर पर 39 टेस्ट में 109 विकेट लिए थे, लेकिन उनमें कपिल जितनी तेजी नहीं थी.
उनसे पहले मोहम्मद निसार और अमर सिंह जैसे तेज़ गेंदबाज़ों ने टेस्ट क्रिकेट में क्रमश: 25 और 28 विकेट हासिल कर पाए थे.
कपिल 434 टेस्ट विकेट तक पहुंचे, जो कई साल तक वर्ल्ड रिकॉर्ड रहा. और उनके बाद जवागल श्रीनाथ, ज़हीर ख़ान और आशीष नेहरा जैसे गेंदबाज़ भी इस मुकाम तक नहीं पहुंच पाए.
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लाजवाब फ़ील्डर
कपिल देव ने अगर 1983 के वर्ल्ड कप फ़ाइनल में विवियन रिचर्ड्स का कैच पीछे भागते हुए नहीं लपका होता तो शायद वर्ल्ड कप भारत के नाम नहीं होता.
184 रनों के लक्ष्य के सामने विवियन रिचर्ड्स 27 गेंद पर 33 रन बनाकर सेट हो चुके थे. मदन लाल की गेंद को उन्होंने मिड विकेट की ओर उछाल दिया. शार्ट मिडविकेट पर खड़े कपिल ने पीछे की ओर भागते हुए शानदार कैच लपका.
2011 के वर्ल्ड कप से पहले एक प्रमोशनल इवेंट में विवियन रिचर्ड्स ने कहा था, “जब कपिल देव ने पीछे भागना शुरू किया था, तभी मैं समझ गया था कि मेरा समय पूरा हो गया.”
किरण मोरे कपिल की फ़ील्डिंग के बारे में बताते हैं, “आउटफ़ील्ड में उनका जैसा बेहतरीन फ़ील्डर मैंने नहीं देखा.”
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वैसी फ़िटनेस अब कहां
भारतीय क्रिकेट टीम चयनसमिति के पूर्व अध्यक्ष रहे किरण मोरे कहते हैं, “कपिल देव जैसी फ़िटनेस मिसाल है कि क्रिकेटर को कैसे अपना ध्यान रखना चाहिए.”
अपने 16 साल लंबे इंटरनेशनल करियर में कपिल कभी फ़िटनेस की वजह से ड्रॉप नहीं किए गए. 1984 में इंग्लैंड के खिलाफ कोलकाता टेस्ट में अगर उन्हें टीम मैनेजमेंट ने ड्रॉप नही किया होता तो 131 लगातार खेलने का कारनामा उनके नाम होता.
सैयद किरमानी के मुताबिक कपिल देव की सबसे बड़ी खासियत ये थी कि वे हर मुश्किल चुनौती का सामना करने को ख़ुद तैयार रहते थे.
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