दुनिया (World) में कुछ देश ऐसे हैं जहां की करेंसी (Currency) निजी कंपनी (Private Company) छापती है, वहीं कुछ देशों के नोट दूसरे देशों में छपते हैं.
आज दुनिया में कई देश (Countries) ऐसे हैं जिनकी मुद्रा (Currency) दूसरे देश की कंपनी छापती है. इसमें छोटे छोटे देशों की संख्या ज्यादा है जो बढ़िया तकनीक का उपयोग नहीं कर सकते हैं जिससे सुरक्षित मुद्रा प्रिंटिंग (Currency Printing) की जा सके. इतिहास में कई देशों की मुद्राएं दूसरे देशों की निजी कंपनियों के द्वारा मुद्रित हुई है. आज यह के विशेषज्ञता वाला व्यवसाय हो गया है. दुनिया में भले ही ज्यादातर देश अपने सरकारी प्रिंटिंग मशीनों से खुद की मुद्रा छपवाती हों. लेकिन उसके लिए लगने वाला कागज और स्याही बहुत से देश निजी क्षेत्र पर निर्भर हैं.
सबसे अग्रणी कंपनी
लंदन की डी ला रू पीएलसी कंपनी करेंसी प्रिंट करने में सबसे अग्रणी कंपनी है. आज दुनिया में 69 देश उसके ग्राहक है जिनके लिए वह करेंसी नोट से लेकर प्रितभूति कागज छापने में तकनीकी मुहैया कराती है. 1861 में स्थापित की गई यह कंपनी आज प्रतिभूति कागज, करेंसी नोट के अलावा, टैक्स स्टैम्प, ड्राइविंग लाइसेंस और फूड वाउचर तक छापने का काम करती है.
यूरोपीय संघ में छपते हैं कई जगह नोट
यूरोपीय संघ की मुद्रा यूरो के बैंकनोट बहुत से नेशनल बैंक और प्रमाणित प्रिंटर छापते हैं. इनमें हॉलैंड रॉयल जो एनशेडे दस देशों के लिए , फ्रांस की एफ सी ओबेर्थर 8 देशों के लिए करेंसी यूके की डे ला रू चार देशों , जर्मनी की गेइसेकएंड डेवरिएंट सात देशों के लिए नोट छापती हैं. 8 प्रतिशत बैंकनोट यूरोपीय सेंट्रल बैंक को अधीकृत किए जाते हैं वहीं बाकी 92 प्रतिशत बैंक नेशनल सेंट्रल बैंक चलते हैं.
अमेरिका में है इस निजी कंपनी की भूमिका
अमेरिका में सभी नोटों को छापने की जिम्मेदारी ब्योरो ऑफ एन्ग्रेविंग एंड प्रिंटिंग के ऊपर है. हां लेकिन वहां के नोटों के लिए कागज क्रेन करेंसी नाम की कंपनी तैयार करती है. लेकिन ब्यूरो की देखरेख में वॉशिंगटन डीसी और फोर्ट वर्थ टेक्सास में में करेंसी नोट का उत्पादन होता है. ब्योरो फेडरल सरकार के ट्रेजरी विभाग अधीन काम करता है. अमेरिका में पहला करेंसी नोट साल 1861 में छापा गया था. तकनीकी और नोट छपाई के तरीकों में बड़े बदलाव होते रहे हैं, ब्यूरो का नोटों से नियंत्रण कभी नहीं हटा.
ब्रिटेन और भारत में
ब्रिटेन में बैंकनोट डे ला रू कंपनी नोट छापने का काम करती है. जिसका सरकार पर कड़ा नियंत्रण होता है. वहीं भारत में भारत सरकार के निकाय सिक्यूरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया पूरी तरह से प्रिंटिंग का अपने हाथ में लेकर चलती है.
चीन छापता है दूसरे देशों के लिए नोट
चीन में बैंकनोट छापने की दुनिया की सबसे विशाल निकाय है. यहां यह काम बैंकनोट प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉर्पोरेशन करती है. इसके18 हजार कर्मचारी हैं और इसका उत्पादन 10 जगह होता है. लेकिन बीपीएमसी बांग्लादेश, ब्राजील, मलेशिया, नेपाल, श्रीलंका और थाइलैंड के लिए भी नोट छापने का काम करती है.
और कनाडा भी
लोगों को लगता है कि केवल छोटे देश ही निजी कंपनियों को अपने देश की करेंसी छापने देते होंगे. लेकिन ऐसा जरूरी नहीं हैं. कनाडा ने अपने देश के डॉलर छापने की जिम्मेदारी कनेडियन बैंक नोट कंपनी को दे रखी है जो पूरी तरह से निजी कंपनी है. यह कंपनी 1935 से बैंक ऑफ कनाडा को नोट देने का काम कर रही है.
अन्य देशों में सूडान सूडान करेंसी प्रिंटिंग प्रेस से, स्वीडन क्रेन एबी कंपनी से, स्विट्जरलैंड ओरेल फ्यूसिल सिक्योरिटी प्रिंटिंग लिमिटेड से, माल्टा क्रेन करेंसी माल्टा लिमिटेड और डि रा रू करेंसी सिक्योरिटी प्रिटं लिमेटेड से और इंडोनेशिया पूरा ग्रुप टोटल सिक्योरिटी सिस्टम से, अपने देशों की करेंसी छपवाने का काम करते हैं.
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