By | August 1, 2021
nirma company history in hindi

nirma company history in hindi: सरकारी नौकरी करने वाला पिता, जिसने अपनी मृत बेटी को वापस लाने के लिए खड़ी कर दी ‘निरमा’ कंपनी

कहते हैं गुजरात की हवा में व्यापार है. यह बात कई दफे़ साबित भी हो चुकी है. यहां इंसान के पास सोच होनी चाहिए, फिर आर्थिक तंगी मायने नहीं रखती. गुजरात की ज़मीन से उठे व्यापारियों की सबसे खास बात यह है कि ये सभी इतना सोच कर चुप नहीं बैठे रहते कि उनके आइडिया को जमीन पर उतारने के लिए धनराशि नहीं है. ये बस अपनी सोच को सच करने में जुट जाते हैं. उसके लिए भले हि इन्हें कहीं छोटी-मोटी नौकरी करनी पड़े या गली-गली जा कर अपना प्रोडक्ट बेचना पड़े, ये संकोच नहीं करते.

आज हम आपको गुजरात के एक ऐसे ही शख़्स की कहानी बताएंगे जिसने अपने एक सपने को सच करने के लिए सरकारी नौकरी छोड़ दी, घर-घर जा कर अपना प्रोडक्ट बेचा और देखते ही देखते देश के सबसे धनी लोगों की सूची में अपना नाम दर्ज करा लिया.

nirma company history in hindi

“हेमा रेखा जया और सुषमा… सबकी पसंद…” | nirma company history in hindi

गुजरात के अहमदाबाद के एक शख्स ने अपने घर के पीछे डिटर्जेंट पाउडर बनाना शुरू किया. सर्फ बनाने के बाद वह इसे घर घर जा कर बेचा करता था. इतना ही नहीं, वह शख्स डिटर्जेंट पाउडर के हर पैकेट के साथ ये गारंटी भी देता था कि अगर सही ना हुआ तो वह पैसे वापस कर देगा. दूसरी बड़ी बात थी उस शख्स द्वारा बेचे जाने वाले डिटर्जेंट का दाम. उन दिनों बाज़ार में जो सबसे सस्ता डिटर्जेंट बिक रहा था उसकी कीमत भी 13 रुपये किलो थी, मगर यह शख़्स मात्र 3 रुपये किलो दाम पर बेच रहा था. नतीजन, मध्यवर्गीय तथा निम्न मध्यवर्गीय परिवारों में वो अपनी जगह बनाने में कामयाब रहा.

1969 में केवल एक व्यक्ति द्वारा शुरू की गयी कंपनी में आज लगभग 18000 लोग काम करते हैं और इस कंपनी का टर्नओवर 70000 करोड़ से भी ज़्यादा है. उस शख्स का नाम है करसन भाई पटेल और जो वॉशिंग पाउडर इन्होंने बनाया वो है ‘निरमा’. निरमा वॉशिंग पाउडर ने किस तरह से बाज़ार में अपनी जगह बनाई इसका अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं कि आज भी कई लोग जब डिटर्जेंट खरीदने जाते हैं तो दुकानदार को यही कहते हैं, ‘भइया एक पैकेट निरमा देना.’

एक किसान परिवार में पैदा हुए | nirma company history in hindi

करसनभाई पटेल का जन्म 13 अप्रैल 1944 को गुजरात के मेहसाणा शहर के एक किसान परिवार में हुआ था. करसन पटेल के पिता खोड़ी दास पटेल एक बेहद साधारण इंसान थे लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपने बेटे करसन को अच्छी शिक्षा दी. करसनभाई पटेल ने अपनी शुरुआती शिक्षा मेहसाणा के ही एक स्थानीय स्कूल से पूरी की.

21 साल की उम्र में इन्होंने रसायन शास्त्र में बी.एस.सी की पढ़ाई पूरी की. वैसे तो अधिकतर गुजरातियों की तरह करसन भी नौकरी ना कर के खुद का व्यवसाय करना चाहते थे लेकिन घर की स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह खुद के दम पर कोई नया काम शुरू कर सकें. यही वजह रही कि उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद एक प्रयोगशाला में सहायक यानी लैब असिस्टेंट की नौकरी कर ली. कुछ समय तक लैब में नौकरी करने के बाद उन्हें गुजरात सरकार के खनन और भूविज्ञान विभाग में सरकारी नौकरी मिल गई.

वो हादसा जिसने बदल दी ज़िंदगी | nirma company history in hindi

वैसे एक आम इंसान के नजरिए से देखा जाए तो करसन भाई की ज़िंदगी अच्छी कट रही थी. एक सरकारी नौकरी और अपने परिवार के साथ उन्हें खुश रहना चाहिए था. वह खुश तो थे लेकिन सतुष्ट नहीं थे. कुछ अपना और कुछ बेहतर करने की ख्वाहिश उनके दिल में लगातार मचल रही थी लेकिन वह किसी तरह अपनी इच्छा को मार कर नौकरी करते रहे. करसन पटेल अपनी बेटी से बहुत प्यार करते थे. वह चाहते थे कि उनकी बेटी पढ़ लिख कर कुछ ऐसा करे कि पूरा देश उसका नाम जाने.

शायद ऐसा संभव भी हो पाता अगर उनकी बेटी ज़िंदा रहती तो. जब वह स्कूल में पढ़ती थी तभी एक हादसे में उसकी मौत हो गई. बेटी की मौत ने कुछ समय के लिए करसन भाई को अंदर से तोड़ दिया लेकिन इसी हादसे ने उन्हें जीवन की एक नई राह भी दिखाई. 

एक सुबह करसन भाई एक नई सोच के साथ जागे. उन्हें एक ऐसा उपाय सूझा था जिससे वह अपनी बेटी को वापस ला सकते थे और उसे लेकर देखा हुआ सपना भी पूरा कर सकते थे. उन्होंने खुद से वाशिंग पाउडर बना कर बेचने का फैसला किया . यह सोचने वाली बात है कि इससे वह अपनी बेटी को वापस कैसे ला सकते थे और कैसे इस आइडिया से पूरे देश में उनकी बेटी के नाम को प्रसिद्धि मिल सकती थी?  

बात कुछ ऐसी थी कि करसन पटेल की बेटी का नाम निरुपमा था और प्यार से सब उसे निरमा कहते थे. इस तरह करसन पटेल ने अपने इस Product का नाम ‘निरमा’ रखा जिससे कि उनकी बेटी इस नाम के साथ हमेशा ज़िंदा रहे.

भारत रत्न प्राप्त करने वाले एकमात्र उद्योगपति

कई बार मिली असफलता, लेकिन हार नहीं मानी, कुछ इस तरह गुंजन द्विवेदी ने तय किया आईएएस तक का सफर

 

UPSC में दो बार हुईं फेल, घर जाना भी छोड़ा और तीसरे प्रयास में मधुमिता बनीं आईएएस

 

आईआईटी से पढ़ाई के बाद एकता सिंह ने चुना यूपीएससी का रास्ता

 

ज़ेबा जहाँ से आती है, वहाँ करियर नाम का कोई शब्द डिक्शनरी में नहीं होता

 

IAS Success Story: 16 साल की उम्र में सुनने की शक्ति खोयी, मेन्स परीक्षा में आया 103 बुखार इसके बाद

भी पास की आईएएस

 

IAS preparation in hindi : आईएएस बनने के लिए ऐसे करें तैयारी, इन चीजों

का रखें ध्यान

 

Success Story Of IAS Kajal Jwala नौ घंटे की नौकरी के साथ बिना कोचिंग काजल ज्वाला ने पास किया

 

यूपीएससी एग्जाम और बन गईं मिसाल

 

सृष्टि ने यूपीएससी की तैयारी के लिए अपनाया ये तरीका, पहले ही प्रयास में बनीं IAS

 

IAS साक्षी गर्ग Biography हिंदी में, Biography of IAS Sakshi Garg in hindi, Best 350 Rank

 

Two World twokog.com के सोशल मीडिया चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ

क्लिक करिये –

फ़ेसबुक

ट्विटर

इंस्टाग्राम

 

Leave a Reply