दुनिया भर में महिला खिलाड़ियों के यौन उत्पीड़न की खबर कभी कभार शर्म के पर्दे से छनकर बाहर आती रही है. अब स्केटिंग में दो बार दक्षिण कोरियाई ओलंपिक चैंपियन शिम सुक ही के यौन उत्पीड़न के लिए उनके पूर्व कोच को सजा हुई है.
ओलंपिक चैंपियन शिम सुक ही ने अपने पूर्व कोच को और कड़ी सजा देने की मांग की है. उनके वकील ने अपनी मुवक्किल की इस मांग के बारे में प्रेस को जानकारी दी. सालों से शिम का यौन उत्पीड़न करते आ रहे पूर्व कोच को पिछले दिनों साढ़े दस साल की जेल हुई थी. शिम की मांग ठीक ऐसे समय में आई है जब एक अन्य मामले में एक पूर्व फिजिकल थेरेपिस्ट को एक महिला ट्रायएथलीट के शारीरिक शोषण के लिए आठ साल की जेल हुई है. पूर्व थेरेपिस्ट के शोषण से तंग आकर उस खिलाड़ी ने आत्महत्या कर ली थी.
छोटे ट्रैक की स्केटर शिम, देश की सितारा खिलाड़ियों में एक हैं. 2019 में अपने एक सार्वजनिक बयान में उन्होंने अपने तत्कालीन कोच, चो जाई-बियोम पर आरोप लगाया था कि उसने तीन साल तक उनका यौन उत्पीड़न किया था. वो 17 साल की थी जब उस कोच ने उनके साथ पहली बार दुर्व्यवहार किया था. सामाजिक रूढ़ियों वाले देश में उनके बेलाग बयान ने शर्म और संकोच की कथित संस्कृति को चुनौती दी थी.
इस बात ने कई और भी एथलीटों का हौसला बढ़ाया और वे ऐसे ही आरोपों के साथ सामने आयीं. तब खेल अधिकारियों का माफी मांगने का सिलसिला शुरू हुआ.
साढ़े दस साल की सजा
सुवोन की जिला अदालत ने सुनवाई के बाद इस हफ्ते चो को दोषी पाया और उसे साढ़े दस साल की जेल की सजा सुनायी. लेकिन शिम के वकील का कहना है कि वो अदालत से सजा की मियाद बढ़ाने को कहेंगे. सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 20 साल की जेल की सजा की मांग की थी. शिम के वकील सांग-हियोक ने एएफपी को बताया, “मेरे मुवक्किल को उम्मीद है कि अभियोजन की अपील के बाद अपराधी को और कड़ी सजा मिलेगी.” सुवोन के अभियोजन कार्यालय ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि वो अदालती आदेश और कड़ी सजा की शिम की मांग पर “बारीकी से” विचार करेगी.
23 साल की शिम सुक ही के नाम चार ओलंपिक मेडल हैं. इनमें सोची 2014 की रिले में मिले स्वर्ण पदक और घरेलू मैदान पर चार साल बाद प्योंगचांग खेलों के दौरान हासिल स्वर्ण पदक भी शामिल है. दक्षिण कोरिया आला दर्जे के खिलाड़ियों का घर है. समर ओलंपिक हो या विंटर ओलंपिक, तमाम खेल मुकाबलों की पदक तालिका में दक्षिण कोरिया टॉप टेन में रहता है.
उसे अपने कई खिताब, शॉर्ट ट्रेक वाली स्पीज स्केटिंग से हासिल होते हैं. लेकिन पहले से ही घोर प्रतिस्पर्धी समाज में, जहां कोचों का एथलीटों के करियर पर गहरा नियंत्रण और प्रभाव रहता है, वहां ये खेल शारीरिक और जबानी दुर्व्यवहार के लिए लंबे समय से कुख्यात भी रहा है.
शिम सुक ही को शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचाने के अलग अलग आरोपों में चो को जनवरी 2019 में 18 महीने की जेल हुई थी. शिम ने कोर्ट को बताया कि महज सात साल की उम्र से उन पर हिंसा की जाने लगी थी. शिम के वकील का कहना है, “मेरी मुवक्किल ने दुनिया को ये यकीन दिलाने के लिए सच्चाई का साथ दिया कि किसी और को वो सब न भुगतना पड़े जो उन्होंने भुगता है.” उन्होंने उम्मीद जतायी कि “आने वाले समय में अदालत का फैसला हमारे समाज में कहीं भी मौजूद पीड़ितों को सामने आने में मदद करेगा.”
अन्य मामले में आठ साल सजा
खेल से जुड़े दूसरे यौन उत्पीड़न मामले में एक पूर्व फिजिकल थेरेपिस्ट को शुक्रवार को आठ साल जेल की सजा दी गयी और उस पर एक करोड़ वोन का जुर्माना लगाया गया. उसे ट्रायएथलीट चोई सुक-हियोन के यौन और शारीरिक उत्पीड़न का दोषी पाया गया था. चोई सुक-हियोन ने पिछले साल आत्महत्या कर ली थी. योनहाप समाचार एजेंसी के मुताबिक दाएगु की जिला अदालत ने अपने फैसले में कहा कि चोई ने अपनी जान इसलिए ली क्योंकि वो आन जू-हियोन के वर्षों से चले आ रहे उत्पीड़न को और नहीं सह पाई. अदालत ने कहा, “अपराध की गंभीरता को देखते हुए कड़ी सजा अवश्यंभावी है.”
गायोंगजू शहर के ट्रायथलॉन टीन के पूर्व थेरापिस्ट आन जू-हियोन पर धोखाधड़ी और शारीरिक हिंसा करने के आप थे. अदालत ने उसे बच्चों, किशोरों और विकलांग खिलाड़ियों के साथ काम करने पर सात साल के लिए रोक लगा दी है. उसे 80 घंटे का यौन अपराधी इलाज कराने को भी कहा गया है. चोई ने अपनी मां के साथ मेल के जरिए आखिरी दिनों की एक बातचीत में अपना उत्पीड़न करने वालों के पाप का पर्दाफाश करने की गुजारिश की थी. ये मेल स्थानीय मीडिया में खूब दिखाया गया था. उसके अन्य कथित उत्पीड़कों के खिलाफ भी दाएगु की अदालत में मुकदमा चल रहा है.
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