भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को पूर्वी-लद्दाख की मौजूदा स्थिति संसद में बयान की.
उन्होंने कहा, “मुझे सदन को यह बताते हुए ख़ुशी हो रही है कि हमारे दृढ़ इरादे और टिकाऊ बातचीत के फलस्वरूप चीन के साथ पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिणी तट पर सेना के पीछे हटने का समझौता हो गया है.”
पूर्वी-लद्दाख में भारत-चीन सीमा (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर दोनों देशों के बीच क़रीब दस महीने से तनाव रहा है.
इस सीमा-विवाद को सुलझाने के लिए दोनों देशों के बीच अब तक नौ दौर की उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता हो चुकी है और इस बीच, भारत सरकार लगातार ये कहती रही है कि वो बातचीत के ज़रिये शांति बहाली का प्रयास कर रही है.
मैं सदन को यह बताना चाहता हूँ कि भारत ने हमेशा चीन को यह कहा कि द्विपक्षीय संबंध दोनों पक्षों के प्रयास से ही विकसित हो सकते हैं. साथ ही सीमा के प्रश्न को भी बातचीत के ज़रिए ही हल किया जा सकता है.
वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति में किसी भी प्रकार की प्रतिकूल स्थिति का बुरा असर हमारी द्विपक्षीय बातचीत पर पड़ता है.
इस दौरान कई उच्च स्तरीय संयुक्त बयानों का भी ज़िक्र किया गया कि एलएसी तथा सीमाओं पर शांति क़ायम रखना द्विपक्षीय संबंधों के लिए अत्यंत आवश्यक है.
पिछले साल, मैंने इस सदन को अवगत कराया था कि एलएसी के आस-पास, पूर्वी-लद्दाख में कई ऐसे क्षेत्र बन गये हैं, जहाँ टकराव हो सकता है. लेकिन हमारे सशस्त्र बलों ने भी भारत की सुरक्षा की दृष्टि से पर्याप्त और प्रभावी बंदोबस्त कर लिये हैं.
अब मुझे यह बताते हुए गर्व महसूस हो रहा है कि भारतीय सेनाओं ने इन सभी चुनौतियों का डट कर सामना किया और अपने शौर्य एवं बहादुरी का परिचय पैंगोंग त्सो झील के दक्षिण और उत्तर तट पर दिया.
Making a statement in Rajya Sabha on ‘Present Situation in Eastern Ladakh’. Watch https://t.co/FeTXeH7UPI
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) February 11, 2021
भारतीय सुरक्षा-बल अत्यंत बहादुरी से लद्दाख की ऊंची दुर्गम पहाड़ियों और कई मीटर बर्फ़ के बीच भी सीमाओं की रक्षा करते हुए अडिग हैं और इसी कारण वहाँ हमारी पकड़ बनी हुई है.
हमारी सेनाओं ने इस बार भी यह साबित करके दिखाया है कि भारत की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा करने में वो सदैव हर चुनौती से लड़ने के लिए तत्पर हैं.
टकराव वाले क्षेत्रों में डिसएंगेजमेंट के लिए भारत का यह मत है कि 2020 की फ़ॉरवर्ड डेपलॉयमेंट्स (सैन्य तैनाती) जो एक-दूसरे के बहुत नज़दीक हैं, वो दूर हो जायें और दोनों सेनाएं वापस अपनी-अपनी स्थायी एवं मान्य चौकियों पर लौट जाएं.
बातचीत के लिए हमारी रणनीति और दृष्टिकोण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिशा-निर्देश पर आधारित है कि हम अपनी एक इंच ज़मीन भी किसी और को नहीं लेने देंगे. हमारे दृढ़ संकल्प का ही यह फल है कि हम समझौते की स्थिति पर पहुंच गए हैं.
अभी तक सीनियर कमांडर्स के स्तर पर नौ दौर की बातचीत हो चुकी है. मुझे सदन को यह बताते हुए ख़ुशी हो रही है कि हमारे इस दृष्टिकोण और बातचीत के फ़लस्वरूप चीन के साथ पैंगोंग त्सो झील के उत्तर और दक्षिण छोर पर सेनाओं के पीछे हटने का समझौता हो गया है.
मैं आश्वस्त हूँ कि यह पूरा सदन, चाहे कोई किसी भी दल का क्यों न हो, देश की संप्रभुता, एकता, अखंडता और सुरक्षा के प्रश्न पर एक साथ खड़ा है और एक स्वर से समर्थन करता है कि यही सन्देश केवल भारत की सीमा तक ही सीमित नहीं रहेगा बल्कि पूरे जगत को जायेगा: रक्षा मंत्री श्री @rajnathsingh
— रक्षा मंत्री कार्यालय/ RMO India (@DefenceMinIndia) February 11, 2021
पैंगोंग झील के इलाक़े में चीन के साथ डिसएंगेजमेंट का समझौता हुआ है, उसके अनुसार दोनों पक्ष अपनी आगे की सैन्य तैनाती को चरणबद्ध, समन्वय और प्रामाणिक तरीक़े से हटाएंगे.
मैं इस सदन को आश्वस्त करना चाहता हूँ कि इस बातचीत में हमने कुछ भी खोया नहीं है. मैं सदन को यह जानकारी भी देना चाहता हूँ कि अभी भी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनाती और पेट्रोलिंग से जुड़े कुछ विषय बचे हैं. आगे की वार्ताओं में इन पर हमारा ख़ासतौर पर ध्यान रहेगा.
दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल के तहत दोनों देश अपनी सेनाओं को पूर्ण रूप से जल्द से जल्द हटा लें.
चीन भी देश की संप्रभुता की रक्षा के हमारे संकल्प से अवगत है. यह अपेक्षा है कि चीन द्वारा हमारे साथ मिलकर बचे हुए मुद्दों को हल करने का प्रयास किया जाएगा.
No status quo ante = No peace & tranquility.
Why is GOI insulting the sacrifice of our jawans & letting go of our territory?
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) February 11, 2021
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राजनाथ सिंह के भाषण के बाद ट्विटर पर लिखा, “यथास्थिति नहीं, तो शांति नहीं. क्यों भारत सरकार हमारे जवानों के बलिदान को अपमानित कर रही है और हमारे ज़मीन को हाथ से जाने दे रही है?”
रक्षा मंत्री के बयान का क्या मतलब है?
सोशल मीडिया पर एक वर्ग इस समझौते को चीन पर भारत की जीत बता रहा है, मगर जानकार रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा दी गई सूचनाओं पर क्या कह रहे हैं, उस पर ग़ौर करना चाहिए.
द हिन्दू अख़बार के चीन संवाददाता और भारत-चीन संबंधों पर क़िताब लिख चुके अनंत कृष्णन ने ट्विटर पर लिखा है कि “दोनों देशों ने समझौता किया है. भारत फ़िंगर 8 तक गश्त कर सकेगा जबकि चीन ने फ़िंगर 4 तक अपना वर्चस्व क़ायम रखा है. यानी दोनों देशों ने अपने क़दम पीछे खींच लिये हैं. पैंगोंग झील के दक्षिण को लेकर भारत सरकार ने जो क़दम उठाया, वो महत्वपूर्ण दिखाई दे रहा है, क्योंकि उसी की वजह से शायद दोनों पक्षों में इस समझौते पर सहमति बन पाई.”
Both have compromised — India did patrol until Finger 8, but China dominated until Finger 4. So both have taken steps back. India’s countermoves south of the lake appear crucial in getting both sides to agree on some sort of compromise. This, however, has to hold on the ground.
— Ananth Krishnan (@ananthkrishnan) February 11, 2021
कृष्णन ने इसके बाद लिखा है कि “यह उम्मीद करना कि भारत फ़िंगर 8 तक गश्त कर सके और चीन पूरी तरह पीछे हट जाये, यह ज़रूरत से ज़्यादा उम्मीद करने वाली बात होगी, क्योंकि अप्रैल 2020 में भी यह स्थिति नहीं थी. भारत के जवान फ़िंगर 3 पर स्थित अपने बेस में रहें और चीनी सैनिक फ़िंगर 8 के पूर्व में रहें, अगर यह समझौता ज़मीर पर उतर पाया तो मेरी नज़र में यह वाक़ई एक यथोचित समझौता होगा.”
विदेश मामलों के जानकार और वरिष्ठ संपादक प्रवीण स्वामी ने भी इस समझौते पर अपना नज़रिया ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा है, “समर्थक कहेंगे कि यह भारत की सफलता है कि उसने चीन को उत्तर दिशा में पीछे हटने पर मजबूर कर दिया और पैंगोंग त्सो झील पर अपनी ज़मीन वापस ले ली. लेकिन आलोचक कहेंगे कि यह ये यथास्थिति नहीं है और भारत की ज़मीन का कुछ हिस्सा पीएलए के हाथों में चला गया है. मगर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को जो जानकारी दी है, उसका सार यह है कि चीन अपनी सेना की टुकडि़यों को नॉर्थ बैंक में फ़िंगर 8 के पूरब की दिशा में रखेगा. इसी तरह भारत भी अपनी सेना की टुकडि़यों को फ़िंगर 3 के पास अपने स्थायी बेस धन सिंह थापा पोस्ट पर रखेगा. इसी तरह की कार्रवाई साउथ बैंक इलाक़े में भी दोनों पक्षों द्वारा की जाएगी. ये क़दम आपसी समझौते के तहत बढ़ाए जाएंगे और जो भी निर्माण आदि दोनों पक्षों द्वारा अप्रैल 2020 से नॉर्थ और साउथ बैंक पर किया गया है, उन्हें हटा दिया जाएगा और पुरानी स्थिति बना दी जाएगी.”
Supporters will say this is sweet success for India’s counter-grabs of territory south of Pangong, forcing the Chinese to make concessions to the north. Critics will say it’s a sell-out, not the status-quo, and argue unheld spaces like Depsang eventually end up in PLA hands
— Praveen Swami (@praveenswami) February 11, 2021
प्रवीण स्वामी ने लिखा है कि “इस समझौते के अनुसार, परंपरागत स्थानों की पट्रोलिंग अस्थायी रूप से स्थगित रखी जाएगी. पट्रोलिंग तभी शुरू की जायेगी, जब सेना एवं राजनयिक स्तर पर आगे की बातचीत करके कुछ समझौता हो जाएगा. इस समझौते पर कार्रवाई कल से नॉर्थ और साउथ बैंक पर प्रारंभ हो गई है. वहीं सीमा के अन्य इलाक़ों को लेकर दोनों पक्षों के बीच बातचीत जारी रहेगी.”
रक्षा और सामरिक मामलों के विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने भी इस समझौते पर अपना नज़रिया ट्वीट किया है. वे लिखते हैं, “चीन की सेना ने अपने बयान में सिर्फ़ पैंगोंग झील से पीछे हटने की बात कही है, जबकि चीन ने डेपसांग समेत कुछ अन्य सेक्टरों में भी अतिक्रमण किया है. इस इलाक़े को लेकर कमांडर स्तर की वार्ता होनी अभी बाकी है.”
…the ongoing mutual pullback of tanks as a prelude to India's Kailash Range pullout: With its flat-terrain advantage, China can redeploy tanks quickly. Second, PLA's statement made no mention of a return to pre-April 2020 positions. So the spin in Indian press seems a bit rash.
— Brahma Chellaney (@Chellaney) February 11, 2021
“चीन की सेना ने जो बयान जारी किया है, उसमें कहीं भी अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति में लौटने की बात नहीं है. मगर भारतीय मीडिया ने चीनी सेना के बयान से चुनिंदा बातें उठा ली हैं और भारत सरकार ऐसी फंसी हुई स्थिति में है कि चीनी सेना का बयान आने के 24 घंटे बाद भी भारतीय सेना का कोई बयान नहीं आता, बल्कि संसद से राजनीतिक बयानबाज़ी होती है.”
इसी तरह भारतीय सेना के पूर्व कर्नल और रक्षा मामलों के विशेषज्ञ अजय शुक्ला ने भी पेंगोंग से जुड़ी घोषणा पर सवाल उठाये हैं.
More lies about “mutual troop withdrawals” in the Pangong sector!
All that’s happened is some armour pullbacks South of Pangong. No change in infantry positions.
And China has been granted right to patrol to Finger 4. That means LAC effectively shifted from Finger 8 to Finger 4
— Ajai Shukla (@ajaishukla) February 10, 2021
उन्होंने लिखा है, “पेंगोंग सेक्टर में सेनाओं के पीछे हटने को लेकर झूठ बोले जा रहे हैं. कुछ हथियारबंद गाड़ियों और टैंकों को पीछे लिया गया है. सैनिकों की पोज़िशन में कोई बदलाव नहीं हुआ है. चीन को फ़िंगर 4 तक पेट्रोलिंग करने का अधिकार दे दिया गया है. इसका मतलब है कि एलएसी फ़िंगर 8 से फ़िंगर 4 पर शिफ़्ट हो गयी है.”
शुक्ला ने लिखा, “शुरुआत से ही, चीन की सेना का असल मक़सद पूर्वी लद्दाख में डेपसांग पर कब्ज़ा करना रहा है. डेपसांग के बारे में एक शब्द सुनने को नहीं मिला. मसलन, डेपसांग से पीछे हटने का चीनी सेना का कोई प्लान नहीं है. इसीलिए पेंगोंग पर शोर मचाया जा रहा है.”