By | June 14, 2021

NOAA ने बताया है कि मई में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) का स्तर पिछले 40 लाख सालों में सबसे ज्यादा हो गया है. अब दुनिया को जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के लिए ठोस कदम जल्दी उठाने होंगे.

इस पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन (Climate Change) और ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) के दुष्परिणामों से गुजर रही है. दुनिया भर के पर्यावरणविद लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि अब संसार के सभी देशों को तत्काल ही बड़े उठाकर इसकी भरपाई करनी हो. वहीं वैश्विक लॉकडाउन के बाद भी जलवायु समस्याओं में किसी तरह की कोई कमी नहीं आई है. वायुमंडल में मौजूद कार्बनडाइऑक्साइड के नए स्तरों (CO2 Levels) ने ना केवल आधुनिका काल के रिकॉर्ड को तोड़ा है, बल्कि यह 40 लाख सालों में सबसे ज्यादा स्तर का है.

अमेरिका के नेशनल ओसियानिक एंड एटमॉस्फियरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) ने हाल ही में ऐलान किया है कि मई के महीन में पृथ्वी (Earth) पर कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर (CO2 Levels) 419.13 पार्ट्स पर मिलनियन पाया था जो साल 2021 में का उच्चतम स्तर है. नोआ की ग्लोबल मॉनिटरिंग लैबोरेटरी के वरिष्ठ जलवायु वैज्ञानिक पीटर टैन्स ने बताया कि हम हर साल करीब 40 अरब मैट्रिक टन का कार्बन डाइऑक्साइड का प्रदूषण हर साल वायुमंडल (Atmosphere) में जोड़ रहे हैं.

टैन्स का कहना है कि अगर हमें जलवायु परिवर्तन (Climate Chagne) के भयावह विनाश को रोकना चाहते हैं तो हमें जल्द से जल्द ही कार्बनडाइऑक्साइड (CO2 Levels) को शून्य स्तर सबसे बड़ी प्राथमिकता के तौर पर करना होगा. वैज्ञानिकों का कहना है कि 419.13 का यह नया उच्च स्तर पिछले 60 सालों में सबसे ज्यादा मासिक औसत है जबसे सटीक वायुमंडलीय मापन होना शुरू हुए हैं. लेकिन इस नतीजे का सही पैमाना दशकों में नहीं मापा जा सकता है क्योंकि इसके लिए हमें समय के बहुत पीछे जाकर यह जानना होगा पृथ्वी (Earth) आज कार्बन डाइऑक्साइड से कितनी ज्यादा भरी है.

नोआ का कहना है कि प्लियोसीन युग (Pliocene) के आसपास के समय, करीब 41 से 45 लाख साल पहले कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा (CO2 Levels) आज के प्रदूषित आसमान के बराबर हुआ करती थी. हम ऐसा इसलिए जानते हैं क्योंकि शोधकर्ताओं ने पहले के समय के वायुमडंलीय हालात के कार्बनडाइऑक्साइड के स्तरों की पड़ताल की है. इसके लिए उन्होंने कई जटिल पद्धतियों का उपयोग किया है. पृथ्वी (Earth) के प्लियोसीन युग के अंत समय में हालात बहुत अलग थे और औद्योगिक काल की तुलना में 2 से 3 डिग्री औसत तापमान ज्यादा था.

प्लियोसीन काल (Pliocene) में पृथ्वी (Earth) के ध्रुवीय इलाके इतने गर्म थे कि वहां जंगल हुआ करते थे और वहां का पानी जो बाद में अंटार्कटिका और आर्क्टिक की बर्फ बना, महासागर का पानी था जिसका जलस्तर आज को जलस्तर से 20 मीटर ऊंचा था. वैज्ञानिकों को आशंका है कि हम इन हालात में वापस पहुंचने से केवल कुछ ही सौ साल दूर हैं. आज के कार्बनडाइऑक्साइड के स्तर (CO2 Levels) के हिसाब से हमारे ग्रह को गर्म करने के लिए पर्याप्त समय है. उससे पहले ही बढ़ता समुद्र जलस्तर करोड़ों लोगों को विस्थापित होने के लिए मजबूर कर देगा. और बचे हुए लोगों को लिए घातक गर्मी को सहन करना संभव ना होगा.

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