पृथ्वी पर तूफान, भूंकप, ज्वालामुखी जैसी कई विनाशकारी घटनाएं होती हैं. इनमें भूकंप की वजह से महासागरों में आई सुनामी भी बहुत प्रयलकारी मानी जाती है. लेकिन क्या इस तरह की घटनाएं अंतरिक्ष में भी होती हैं. हमारा ब्रह्माण्ड (Universe) कई ऐसी हैरतअंगेज नजारों और घटनाओं से भरा पड़ा है जो देखने में धरती पर होने वाली घटनाओं की जैसी भी लग सकती हैं. हमारे वैज्ञानिकों ने हाल ही में ऐसी घटना होने की संभावना जताई है जो सुपरमासिव ब्लैक होल (Supermassive) से पैदा हो सकती है
नासा के खगोलभौतिकविदों ने कम्प्यूटर सिम्यूलेशन (Computer Simulation) के जरिए यह दर्शाया ह कि गहरे अंतरिक्ष में बड़े पैमाने पर सुनामी (Tsunami) जैसे सरंचनाएं बन सकती हैं. ऐसी संचरना सुपमासिव ब्लैक होल (Super Massive Black Hole) के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव से बच कर निकलने वाले गैस (Escaping Gases) से बन सकती है. वास्तव में तो सुपरमासिव ब्लैकहोल के वातावरण में ब्रह्माण की विशालतम सुनामी संरचनाएं पैदा हो सकती हैं. नासा अनुदानित यह अध्ययन एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित हुआ है.
नेवेदा में लास वेगास यूनिवर्सिटी के खगोलभौतिकविद डिनियल प्रोगा का कहना हैकि धरती पर होने वाली परिघटनाओं को संचालित करने वाले नियम भौतिकी के नियम हैं जो बाहरी अंतरिक्ष (Space) से लेकर ब्लैक होल (Black Hole) तक की व्याख्या कर सकते हैं. ब्लैक होल अपने आप में बहुत रहस्यमयी पिंड होते हैं. लेकिन प्रोगा जैसे सैद्धांतिक खगोलभोतिकविदों के लिए इससे भी मुश्किल पहेली उस गणितीय समीकरण (Mathematical Equation) सुलझाना है जो कई प्रकाशवर्ष दूर स्थित ब्लैक होल के वातावरण को संचालित करती है.
जब किसी गैलेक्सी (Galaxy) के केंद्र में आसापास की डिस्क से पादर्थ को खींच कर लाखों सूर्य के भार के बराबर ब्लैक होल अपनी खुराक हासिल करता है, इस सिस्टम को एक्टिव गैलेक्टिक न्यक्लियस (Active Galactic Nucleus) कहते हैं. जिसमें उसके ध्रुवों से जेट निकल सकती है. केंद्रीय गतिविधियां आसपास के पदार्थों के कारण दिखाई नहीं देती हैं. ब्लैक होल (Black Hole) के बाहर पदार्थ बहुत ही चमकीला एक्स रे उत्सर्जन करते हैं. इस विकिरण के कारण केंद्रीय क्षेत्र से बहुत तेज गति से हवाएं चलती हैं जिसे आउटफ्लो कहते हैं. शोधकर्ता इस गैस और एक्स रे के बीच की अंतरक्रिया समझने का प्रयास कर रहे थे. इन केंद्रीय एक्स रे विकरण का प्रभाव कई प्रकाशवर्ष दूर तक जाता है.
एक्स रे विकिरण इस आउटफ्लो (Outflow) में बहुत से घने बादलों (Gas Clouds) की उपस्थिति की व्याख्या कर सकते हैं. शोधकर्ताओं का हना है कि ये बादल सूर्य की सतह से दस गुना ज्यादा गर्म हैं और सौर पवनों की गति से चल रहे हैं. शोधकर्ताओं ने पहली बार आउट फ्लो के इन बादलों की जटिलताओं को बताया है. उनके सिम्यूलेशन बताते हैं कि जहां ब्लैक होल (Black Hole) का प्रभाव खत्म ही होता है वहां तलुनात्मक रूप से ठंडा वातावरण होता है जहां घूमती हुई डिस्क तरंगे पैदा करती है जैसे की महासागरों की सतह पर होता है. ये तरंगे 10 प्रकाशवर्ष तक का भंवर बना सकती हैं. और जब तक ये सुनामी के आकार के बादल बन जाते हैं ब्लैक होल के गुरुत्व का प्रभाव खत्म हो जाता है.
सिम्यूलेशन दर्शाते हैं कि कैसे एक्स रे का प्रकाश ब्लैक होल (Black Hole) के पास के प्लाज्मा से आते हुए पहले गर्म गैस को एक्रीशन डिस्क (Accretion Disk) में फुलाता है. यह गर्म प्लाज्मा गुब्बारे की तरह फैलता है और आसपास की ठंडी गैस को प्रभावित कर सकता है. यह गैस के गुब्बारे एक्रीशन डिस्क में ज्वालामुखी की तरह काम करते हैं और सुनामी (Tsunami) की तरह व्यवधान पैदा करते हैं. यह सुनामी की तरह विशाल संरचना एक्रीशन डिस्क की पवन को रोकती है, और भवर बनाना शुरू कर देती है. हर भंवर एक प्रकाशवर्ष के आकार का होता है.
अपने सिम्यूलेशन के नतीजों से शोधकर्ता उम्मीद कर रहे हैं कि वे खगोलविदों के अवलोकनों से समन्वय स्थापित करेंगे. फिलहाल किसी भी सैटेलाइट अवलोकन से इनकी पुष्टि नहीं हो सकती है. लेकिन नासा की चंद्रा एक्सरे वेधशाला और यूरोपीय स्पेस एजेंसी की एक्सएमएस न्यूटन ने एक्टिव गैलेक्टिक न्यूक्लियस (Active Galactic nucleus) के पास प्लाज्मा (Plasma) की मौजूदगी पाई है जिनके तापमान और गति सिम्यूलेशन से संगत पाए गए हैं. शोधकर्ताओं को उम्मीद है भविष्य के अभियान मजबूत प्रमाण हासिल करेंगे.
क्या है कंपोजिट मटेरियल, जिससे बनी अग्नि प्राइम मिसाइल, क्या हैं खूबियां?
बहुत तेजी से गर्मी पकड़ रही है हमारी पृथ्वी, एक नहीं है वजह
Microsoft Windows 11: लॉन्च के बाद ऐसा हुआ रंग-रूप, ये हैं टॉप के फीचर्स
इस द्वीप में समुद्री घास से बने घर
कोरोना वैक्सीन से शरीर के ‘चुंबक’ बनने का दावा, क्या हो सकता है ऐसा?
तूफान से पहले और बाद में क्या करना है बहुत जरूरी, जानिए वो बातें
भविष्य में हवा में सांस लेंगे सैटेलाइट, जानिए क्या होंगे उनके फायदे नुकसान
मंगल में मिल गयी ऑक्सीजन