By | July 31, 2022
Importance of money in hindi

Importance of money in hindi : जब आपके पास पैसा ना हों और आपके घर के किसी सद्स्य गम्भीर बीमारी हों जाएं और इलाज़ के लिए पैसा बहुत ज़रूरी हों जाता हैं। एक सुन्दर पत्नि के लिए आपको अमीर होना बहुत ज़रूरी हैं, क्योंकि इंडिया में लोग अपनी बेटी अच्छे घर और अमीर घर में भेजना चाहते हैं। अच्छी शिक्षा पाने के महंगे कॉलेज में प्रवेश के लिए पैसा जरूरी हो जाता हैं।

Importance of money in hindi

जीवन की मूलभूत सुविधाओं के लिए पैसा बहुत आवश्यक है लेकिन कुछ कार्यों को हम थोड़े दिन के लिए निरस्त भी कर सकते हैं और पैसे की व्यवस्था भी कर सकते हैं । लेकिन उनसे पूछो जिनके परिवार का कोई सदस्य हॉस्पिटल में भर्ती है और उसको इलाज की आवश्यकता है लेकिन उनकी फैमिली के पास पर्याप्त पैसे नहीं है तो और लाचार हो जाता है उसके लिए उस समय पैसा सबसे महत्वपूर्ण हो जाता है।

Importance of money in hindi

जब हमें पैसे की बहुत ज्यादा जरूरत होती है जैसे शादी ,हॉस्पिटल में ,घर लेने में ,या किसी बड़े बिजनेस को स्टार्ट करने में तो उस समय हमेशा बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण लगने लग जाता है पर वास्तव में कहां जाए, यह सही बात है कि पैसा बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है इसलिए हमें पैसे की बचत करनी चाहिए।

अब एक कहानी के माध्यम से समझाता हूँ |

Importance of money in hindi

पिता ने बेटे से कहा। बेटा पिता की बात मानते हुए उस सौ के नोट को कुएँ में फेंक आता है।

मनोहर अपने जवान होते बेटे की ग़ैर ज़िम्मेदाराना ब्यवहार और निठल्लेपन से दुखी था। वह जवान था लेकिन काम चोर था। काम न कर कही से भी पैसे ऐंठ कर गुज़र बसर कर लेता था। पिता की फटकारऔर दुत्कार का उस पर कोई असर न होता। उसे पैसे का महत्व समझाने ले लिए और मेहनत करने के लिए प्रेरित करने के लिए मनोहर ने एक योजना बनाई।

एक दिन सबेरे उसने अपने बेटे को बुलाया और साफ़ शब्दों में उससे कहा -“बाज़ार जा कर कुछ कमा कर ला नहीं तो रात का खाना नहीं मिलेगा।” पिता की कठोर बातें उस पर बे असर रहीं। लेकिन मनोहर ने ठान लिया था कि उसे सबक़ सिखाना हीं है। रात उसने बेटे को बुला कर पूछा – कितना कमा कर लाया।

बेटे ने सरलता से जवाब दिया – कुछ भी नहीं।

Importance of money in hindi

मनोहर ने सख़्त शब्दों में पत्नी और बेटी से कह दिया – कोई उसे खाना न दे। अगर दे दिया तो मैं ज़हर खा कर जान दे दूँगा।

सचमुच उस दिन बेटे को भूखा सोना पड़ा। अगले दिन मनोहर का बेटा काम की तलाश में निकला। लेकिन निकम्मा होने के कारण कोई उसे काम नहीं देता। थक हार कर साम हुए जब वह घर लौटा तब उसके चेहरे पर दो दिन से कुछ न खाने का असर साफ़ दिख रहा था। माँ से उसकी दशा देखी न गयी। उसने उसे अपने पास जमा किए सौ रुपए दे दिए।

रात पिता ने जब उसे बुलाया और पूछा कि आज उसने क्या कमाया तो उसने माँ से लिए हुए सौ रुपए पिता की ओर बढ़ा दिए। “जा, इसे कुएँ में फेंक आ।” मनोहर ने बेटे की ओर देखे बिना हीं कहा। बेटा पिता की आज्ञा मान कर सौ रुपए कुएँ में फेंक आता है और घर आ कर पेट भर भोजन करने के बाद सो जाता है। उसने सोचा, चलो छुटकारा मिला।

अगले दिन मनोहर सुबह होते हीं उसे फिर अपने पास बुलाता है और वही बात दुहरा देता है। “जा, बाज़ार से कुछ कमा कर ला, नहीं तो रात खाना नहीं मिलेगा।”

बेटे की समझ में कुछ नहीं आया कि वह क्या करे। दिन भर बाज़ार में काम ढूँढने पर भी उसे कोई काम न मिला। साम होने पर वह उदास चेहरा लिए घर आ गया। माँ देखते हीं समझ गयी। लेकिन अब उसके पास उसे देने के लिए कुछ नहीं था। वह मायूस हो कर बैठा था कि बहन ने उसकी हथेली पर पचास रुपए रख दिए। रुपए देख वह बहुत ख़ुश हुआ।

रात पिता जब घर लौटा तो उसने बेटे को पास बुलाया और पूछा कि आज उसने क्या कमाया तब बेटे ने उसके आगे पचास रुपए रख दिए। मनोहर ने बेटे की ओर देखे बिना हीं उसे कल रात वाली बात दुहरा दी – “जा, इसे भी कुएँ में फेंक आ।”

बेटे ने पिता की आज्ञा का पालन किया और पचास रुपए कुएँ में फेंक आया। उसे जहाँ इस बात की तसल्ली थी कि आज भी भर पेट भोजन मिलेगा, इस बात की चिंता भी थी कि कल क्या होगा। ख़ैर, कल की कल सोचेंगे। मन हीं मन स्वयं को सांत्वना देकर उसने भर पेट भोजन किया और सो गया।

लेकिन उस रात उसे नींद न आयी। रात भर वह इसी चिंता में था कि कल वह कहाँ से पैसे लाएगा। दोस्त यार के पास तो पहले से हीं क़र्ज़ चढ़ा हुआ है। बचपन में एक कहानी सुनी थी ख़ैर, सुबह हुई। मनोहर ने पिछले तीन दिन की भाँति आज भी उसे बुला कर साफ़ शब्दों में कह दिया कि बिना कुछ कमा कर लाए उसे खाना नहीं मिलेगा।

मनोहर का बेटा आज निश्चयकर के घर से निकला कि आज वह कुछ न कुछ काम अवश्य हीं ढूँढ लेगा। पिछले दो दिनों से वह बाज़ार में काम के लिए घूम रहा था। इस बात को बाज़ार के जाने माने लोगों ने देखा। तीसरे दिन भी काम की तलाश में आया देख कर एक बनिए ने उसे अनाज की बोरियाँ ढोने के लिए काम पर रख लिया। सारा दिन अनाज की बोरियाँ बैल गाड़ियों से उतारना और गोदाम में रखना।

उसकी पीठ और कमर पर बल पड़ गए। पसीने ने लथपथ, बुरी तरह थका हारा, रातबीते जब वह घर पहुँचा, तब उसके चेहरे पर आत्म विश्वास का एक अलग तेज़ था। थोड़ी देर में मनोहर घर आया। आते ही उसने मनोहर को पास बुलाया और पूछा – आज क्या कमा कर लाया।

बेटे ने बीस का तुड़ा मुड़ा नोट उसकी हथेली पर कह दिया। पिता ने उसकी ओर देखे बिना हीं रोज़ की तरह आज भी उसे कुएँ में फेंक आने को कहा। इस बार बेटे ने ग़ुस्से में तमतमाते हुए मनोहर से कहा – “पूरे दिन अनाज की बोरियाँ ढो ढो कर मेरी कमर और पीठ पर बल पड़ गए और इतनी मेहनत से कमाए गए रुपए को आप कह रहे कि कुएँ में फेंक आ? आप अपने होश में नहीं शायद। लेकिन मैं ये रुपए कुएँ में नही फेंकूँगा।”

कह कर बेटा चुप हो गया। मनोहर ने उसे समझाया – “पिछले दो दिन से मैंने तुझे उन रुपयों को कुएँ में फेंकने को कहा, तब तुझे उन रुपयों को फेंकने में ज़रा भी दर्द महसूस नहीं हुआ। क्यूँकि वो रुपए तेरे कमाए हुए नहीं थे। लेकिन आज तुमने अपनी मेहनत से कमाए बीस रुपयों को जब कुएँ में फेंकने की बारी आयी तब तुझे ये अहसास हुआ कि मेहनत से कमायें रुपए की क़ीमत क्या होती है।

जो मैं तुझे इतने सालों में नहीं समझा सका, वह तीन दिनों में तूने सीख लिया।अब मुझे तुझ पर यक़ीन हो गया है। तू अपनी मेहनत से अपनी ज़िंदगी को एक नयी दिशा देगा।”

क्या कोई ऐसा व्यक्ति है, जो शेयर बाजार में करोड़पति बना हो?

UPSC की तैयारी के दौरान मेंटल हेल्थ का खयाल रखना बेहद जरूरी

 

Two World twokog.com के सोशल मीडिया चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ

क्लिक करिये –

फ़ेसबुक

ट्विटर

इंस्टाग्राम

Leave a Reply