samrat prithviraj movie review : अक्षय कुमार की ‘सम्राट पृथ्वीराज’, यहां पढ़ें रिव्यू

Samrat Prithviraj Movie Review

Samrat Prithviraj Movie Review: अक्षय कुमार (akshay kumar)की ‘सम्राट पृथ्वीराज’, यहां पढ़ें रिव्यू  | Samrat Prithviraj Movie Review: शौर्य, पराक्रम के साथ भावनाओं से लबरेज है अक्षय कुमार (akshay kumar) की ‘Samrat Prithviraj‘, यहां पढ़ें रिव्यू

Samrat Prithviraj Movie Review : हमारा देश सदियों से वीरों की भूमि रहा है। उनकी वीरता, शौर्य और पराक्रम पर हिंदी सिनेमा में समय-समय पर फिल्‍में भी बनती रही हैं। अब देश के अंतिम हिंदू सम्राट पृथ्वीराज चौहान के पराक्रम, देशप्रेम और महिलाओं के प्रति उनके सम्‍मान पर चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने फिल्‍म सम्राट पृथ्‍वीराज बनाई है।

आदित्‍य चोपड़ा द्वारा निर्मित यह फिल्‍म महाकवि चंदबरदाई द्वारा रचित पृथ्वीराज रासो पर आधारित है।

फिल्‍म का आरंभ 1192 ईसवी में अफगानिस्‍तान से होता है। गजनी के शासक मु‍हम्‍मद गौरी (मानव विज) ने सम्राट पृथ्‍वीराज चौहान (अक्षय कुमार) को बंदी बनाया हुआ है। सुल्‍तान सिर झुका कर माफी मांगने के बदले रिहाई का प्रस्‍ताव देता है।

Samrat Prithviraj Movie Review

अपनी मातृभूमि से अथाह प्रेम करने वाले पृथ्‍वीराज इन्‍कार कर देते हैं। स्‍क्रीन पर उनका चेहरा सामने आते ही आप देखकर सिहर जाते हैं। उनकी दोनों आंखों को निकाल लिया गया हैं पर हौसलों में कोई कमी नहीं है। सम्राट पृथ्‍वीराज शब्‍द भेदी वाण विद्या में प्रवीण थे।

samrat prithviraj chauhan
samrat prithviraj chauhan

यानी आवाज सुनकर अचूक निशाना लगाते थे। मुकाबले के लिए भेजे गए खूंखार शेरों को अपने बचपन के मित्र और महाकवि चंदबरदाई (सोनू) से मिले संकेतों के आधार पर मार गिराते हैं।

वहां से कहानी पृथ्‍वीराज के बचपन की हल्‍की सी झलक देती है जिसमें बताया जाता है कि वह आवाज सुनने में कितने माहिर हैं। वहां से कहानी उनके यौवन में आती है। कुशल नेतृत्‍व, बेजोड़ राजनीति और युद्ध कौशल की वजह से पृथ्‍वीराज का यशोगान हर तरफ होता है।

कन्‍नौज के राजा जयचंद की बेटी संयोगिता भी उन पर मोहित है। जयचंद पृथ्वीराज के गौरव और उनकी आन से ईर्ष्या रखता है। दिल्‍ली को हासिल करने की चाहत में राजसूय यज्ञ के साथ संयोगिता के स्वयंवर का आयोजन करता है।

इस आयोजन में पृथ्वीराज को छोड़कर सभी प्रमुख राजा-महाराजाओं को आमंत्रित किया जाता है। पृथ्वीराज को अपमानित करने के लिए जयचंद उनकी मूर्ति बनवाकर द्वारपाल के स्थान पर लगवा देता है। स्वयंवर के समय पृथ्वीराज समारोह स्‍थल पर पहुंच कर संयोगिता को उठाकर ले जाते हैं।

samrat prithviraj chauhan akshay kumar seen
samrat prithviraj chauhan akshay kumar seen

प्रतिशोध की आग में जल रहा जयचंद गौरी से हाथ मिलता है। पृथ्‍वीराज इससे पहले युद्ध में गौरी को परास्‍त करके क्षमादान दे चुके होते हैं।

डा चंद्रप्रकाश द्विवेदी के पास पृथ्‍वीराज की स्क्रिप्‍ट करीब 18 साल से थी। उन्‍होंने ही फिल्‍म कहानी, स्क्रिनप्‍ले और डायलाग लिखा है। उन्‍होंने जटिल कहानी को बहुत सहजता से कहा है। उनका फोकस मुहम्‍मद गौरी साथ टकराव और संयोगिता के साथ प्रेम कहानी पर रहा है।

उसके अलावा उनकी किसी अन्‍य उपलब्धि को उन्‍होंने नहीं छुआ है। उन्‍होंने अपने तकनीकी सहयोगियों के साथ पृथ्‍वीराज के समय की वास्‍तु कला,युद्ध कला,वेशभूषा,सामाजिक आचरण और व्‍यवहार,राजनीतिक और पारिवारिक मर्यादाओं का कहानी में समुचित तरीके से समावेश किया है।

उन्‍होंने उस समय के सामाजिक,वैचारिक और धार्मिक मुद्दों को भी स्‍पर्श किया है।

Prithviraj_poster
Prithviraj_poster

हालांकि फिल्‍म में नायक और प्रतिपक्ष के बीच टकराव को थोड़ा और प्रभावी बनाने की जरूरत थी। फिल्‍म में कई ऐसे पल आते हैं जिन्‍हें देखकर आप भावुक हो जाते हैं। पर्दे पर युद्ध के दृश्‍यों को पहले भी कई बार देखा गया है।

यहां पर पृथ्‍वीराज द्वारा युद्ध के मैदान में अपनाई गई रणनीतियां देखकर आप चकित और गौरवान्वित होते हैं। हालांकि पृथ्‍वीराज द्वारा लड़ी गई लड़ाइयों को देखते हुए युद्ध के दृश्‍यों को थोड़ा विस्‍तार देने की आवश्यकता थी। फिल्‍म का बैकग्राउंड संगीत कहानी साथ सुसंगत है।

वरूण ग्रोवर द्वारा लिखित गीत पृथ्‍वीराज का महिमामंडन बहुत बारीकी से करते हैं। हद कर दे और हरि हर गाना पहले ही धूम मचा चुके हैं।

वैभवी मर्चेंट द्वारा की गई कोरियोग्राफी भी खूबसूरत है। पृथ्‍वीराज के किरदार को अक्षय कुमार ने आवश्‍यक गहराई और गंभीरता दी है। अक्षय ने युद्ध के मैदान से लेकर भावनात्‍मक उथल-पुथल के घमासान तक में पृथ्‍वीराज के गर्व और द्वंद्व को अपेक्षित भाव देने की कोशिश की है।

पूर्व विश्‍व सुंदरी मानुषी चिल्‍लर ने इस फिल्‍म से अपने अभिनय सफर का आगाज किया है। उन्‍होंने संयोगिता की दृढ़ता, साहस और प्रेम के समर्पण को बहुत शिद्दत से पेश किया है। फिल्‍म में सती होने का दृश्‍य प्रभावशाली है। चंदबरदाई बने सोनू सूद इस किरदार के लिए सटीक कास्टिंग हैं।

काका कन्‍हा के सीमित किरदार में संजय दत्‍त प्रभावित करते हैं। गौरी बने मानव विज के किरदार को बेहतर तरीके से लिखे जाने की जरुरत थी। फिर भी फिल्‍म का क्‍लाइमेक्‍स भावुक करने के साथ गौरवान्वित कर जाता है। यह देश के गौरवशाली इतिहास का अहम हिस्‍सा है। इसे जरूर देखा जाना चाहिए।

 UPSC टॉपर श्रुति शर्मा बायोग्राफी

 

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