अंतरिक्ष से कचरा (Space Junk) हटाना बहुत जरूरी हो गया है नहीं तो आने वाले समय में पृथ्वी (Earth) से बाहर अंतरिक्ष में जाना खतरनाक हो जाएगा. इसके लिए बहुत सी तकनीकों पर काम हो रहा है
अंतरिक्ष से कचरा (Space Junk) हटाना बहुत जरूरी हो गया है नहीं तो आने वाले समय में पृथ्वी (Earth) से बाहर अंतरिक्ष में जाना खतरनाक हो जाएगा. इसके लिए बहुत सी तकनीकों पर काम हो रहा है
(space junk) हाल ही में एक जापानी स्टार्टअप कंपनी ने एक ऐसा सैटेलाइट लॉन्च किया है जो उपयोग या खराब हो चुके उपग्रहों (Satellites) और उसके अवशेषों का पता लगाएगा और पृथ्वी पर वापस लाकर उन्हें नष्ट कराएगा. एस्ट्रोस्केल (Astrosclae) नाम के इस व्यवसायिक सैटेलाइट ऑपरेटर का यह प्रोजेक्ट अपनी तरह का पहला है. लेकिन अंतरिक्ष से कचरा (Space junk) हटाने के लिए यह पहला प्रोजोक्ट नहीं हैं. खगोलीय कचरे को हटाए के लिए कई विचारों पर काम चल रहा है.
इस समय अंतरिक्ष में कचरा (Space Debris) वैसे ही बहुत बढ़ता जा रहा है. अनुमान है कि कचर के 25 हजार से ज्यादा टुकड़े पृथ्वी (Earth) का चक्कर लगा रहे हैं जो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) से टकरा जाने का खतरा बने हुए हैं. जब सैटेलाइट (Satellite) खत्म होता है तो उसके अवशेष पृथ्वी पर नहीं गिरते हैं बल्कि अंतरिक्ष में अभी मौजूद 3000 सैटेलाइट के लिए खतरा बने हुए हैं. अगले दस सालों में करीब 40 हजार से ज्यादा और सैटेलाइट लॉन्च होंगे ऐसा में अंतरिक्ष के कचरे से निपटना एक बड़ी चुनौती होगी.
यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) ने साल 2025 में क्लियरस्पेस 1 (ClearSpace-1) लॉन्च करने की योजना बनाई है. अभी तक यह अंतरिक्ष कचरा (Space Junk) साफ करने के लिए पहला अभियान माना जा रहा था. क्लियर स्पेस स्टार्टअप से ईएसए का साल 2019 में ही इसके लिए करार हो गया था. इसका मुख्य लक्ष्य साल 2013 में लॉन्च हुए 100 किलो वजनी वेस्पा यानि वेगा सेकेंड्री पेलोड एडाप्टर हो हटाना है. वे इस पर निगरानी रखते हुए पहले वेस्पा की गति तक पहुंचकर इसे भुजाओं से जकड़ेंगे जिसके बाद वे वायुमंडल में लाकर उसे जला देंगे.
यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) ने साल 2025 में क्लियरस्पेस 1 (ClearSpace-1) लॉन्च करने की योजना बनाई है. अभी तक यह अंतरिक्ष कचरा (Space Junk) साफ करने के लिए पहला अभियान माना जा रहा था. क्लियर स्पेस स्टार्टअप से ईएसए का साल 2019 में ही इसके लिए करार हो गया था. इसका मुख्य लक्ष्य साल 2013 में लॉन्च हुए 100 किलो वजनी वेस्पा यानि वेगा सेकेंड्री पेलोड एडाप्टर हो हटाना है. यान इस पर निगरानी रखते हुए पहले वेस्पा की गति तक पहुंचकर इसे भुजाओं से जकड़ेंगा जिसके बाद वह वायुमंडल में लाकर उसे जला देगा.
यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) कई तरह के उपायों पर काम कर रही है. इनमें से एक ईडीऑर्बिट मिशन (e.DeOrbit) मिशन है जो साल 2014 में सबसे पहले प्रस्तावित किया गया था. इसमें कई तरह के कैप्चर प्रक्रियाओं के बारे में विचार किया जा रहा है जिसें नेट, बर्छी या हारपून, रोबोटिक आर्म आदि तकनीकियां शामिल हैं. इनका लक्ष्य 800 से एक हजार किलोमीटर की ऊंचाई का कचरा पकड़ना है.
इन सबके अलावा और भी कई विचारों पर काम चल रहा है अमेरिकी एयरफोर्स ने लेजर (Laser) के उपयोग का प्रस्ताव दिया है तो नासा (NASA) के वैज्ञानिक एक खास तरह के सैटेलाइट (Satellite) का सुझाव दिया है जिसें पानी के जहाज की तरह के पाल (Sails) हों और वे कचरे (Space Debris) को पृथ्वी के वायुमंडल में पहुंचाएं. वहीं 2018 में आईएसएस (ISS) ने एक टुकड़े को अपने जाल में फांस लिया था.