By | February 27, 2022
Modi

यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के ख़िलाफ़ संयुक्त राष्ट्र में हुई वोटिंग से दूरी बनाने के बाद अमेरिका ने भारत से कहा है कि वो अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की सुरक्षा के लिए रूस पर अपने रिश्तों के प्रभाव का इस्तेमाल करे.

अंग्रेज़ी अख़बार टाइम्स ऑफ इंडिया ने इस ख़बर को प्रमुखता से जगह दी है. अख़बार के अनुसार संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन मसले पर लाए गए प्रस्ताव को लेकर ख़ुलकर पश्चिमी देशों के गठबंधन का समर्थन न करने और वोटिंग से दूरी बनाए रखने के बाद भारत और अमेरिका के बीच थोड़ी असहजता आ गई है.

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राइस से जब पूछा गया कि क्या यूक्रेन संकट ने भारत और अमेरिका के संबंधों को तनावपूर्ण बना दिया है क्योंकि भारत के रूस और अमेरिका दोनों से ही अच्छे संबंध हैं. इस पर नेड प्राइस ने कहा कि अमेरिका ये समझता है कि भारत की रूस से रिश्तों की प्रकृति अमेरिका से उसके संबंधों की तुलना में अलग है.

लेकिन उन्होंने कहा कि अमेरिका ने भारत पर भरोसा जताते हुए उससे कहा है कि दुनियाभर के देश, ख़ासतौर पर वो देश, जिनका रूस पर प्रभाव है, उन्हें अपने प्रभाव को अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की रक्षा के लिए इस्तेमाल करने की आवश्यकता है.

नेड प्राइस ने ये भी कहा कि इसी तरह के नियम आधारित व्यवस्थाओं ने बीते 70 सालों में भारत, अमेरिका, उसके यूरोपीय सहयोगी देशों और नेड रूसी संघ के हित के लिए काम किया है.

अमेरिका ने ऐसे समय में भारत से हस्तक्षेप करने को कहा है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस और यूक्रेन दोनों ही देशों के नेताओं से बात की है. हालांकि, अभी तक इस बातचीत का असर देखने को नहीं मिला है.

इससे पहले भारत, चीन और यूएई ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की निंदा करने वाले प्रस्ताव पर वोटिंग नहीं की थी. हालांकि, वोटिंग से दूरी बनाने का भारत का कदम बाइडेन प्रशासन के लिए नया नहीं था लेकिन फिर भी दोनों देशों के बीच थोड़ी असहजता को बढ़ावा मिलता दिखा.

हालांकि, संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी राजदूत टीएस तिरुमूर्ति ने बाद में बयान जारी कर बताया कि भारत ने वोट क्यों नहीं दिया. बयान के मुताबिक, “ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि कूटनीति के रास्ते को छोड़ दिया गया. हमें दोबारा इसी रास्ते पर जाना चाहिए. इसलिए भारत ने प्रस्ताव पर वोट नहीं किया.”

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