By | March 2, 2022
mrf tyres success story in hindi

mrf tyres success story in hindi: बच्चों के लिए गुब्बारे बनाने से की थी शुरुआत, आज है भारत की सबसे बड़ी टायर मैन्युफैक्चरर

mrf tyres success story in hindi: MRF Tyres टायर, ट्रेड्स, ट्यूब्स, कन्वेयर बेल्ट्स, पेंट्स, खिलौने बनाने के साथ-साथ स्पोर्ट्स गुड्स और मोटर स्पोर्ट्स के कारोबार में भी है। आज एमआरएफ टूव्हीलर, ट्रक, बस, कार, ट्रैक्टर, लाइट कमर्शियल व्हीकल्स, ऑफ द रोड टायर्स और एरोप्लेन टायर्स बनाती है। एमआरएफ के नाम कई अवार्ड भी हैं।

mrf tyres success story in hindi

एमआरएफ टायर (MRF Tyres) का नाम तो आपने सुना ही होगा। कभी मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर इस कंपनी के ब्रांड एंबेस्डर थे और हर मैच में उनके पास एमआरएफ का बैट दिखता था। आज विराट कोहली इसके ब्रांड एंबेस्डर हैं। एमआरएफ भारतीय मल्टीनेशनल टायर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी है, जो कभी मद्रास रबर फैक्ट्री के नाम से जानी जाती थी।

यह कंपनी टायर, ट्रेड्स, ट्यूब्स, कन्वेयर बेल्ट्स, पेंट्स, खिलौने बनाने के साथ-साथ स्पोर्ट्स गुड्स और मोटर स्पोर्ट्स के कारोबार में भी है। इतना ही नहीं MRF Pace Foundation और MRF Institute of Driver Development को भी चलाती है। इतने बड़े पैमाने पर कारोबार करने वाली एमआरएफ ने शुरुआत बच्चों के लिए गुब्बारे बनाने से की थी। आइए जानते हैं कैसे इस कंपनी ने गाड़े अपनी कामयाबी के झंडे…

एमआरएफ की शुरुआत 1940 के दशक में 14000 रुपये की फंडिंग से रबर बैलून फैक्ट्री के तौर पर हुई थी। इस टॉय बैलून फैक्ट्री को केएम मैम्मेन मप्पिलाई ने 1946 में मद्रास के तिरुवोत्तियुर में एक शेड में शुरू किया था। 1949 आते-आते कंपनी ने लेटेक्स कास्ट टॉयज, ग्लव्स और कॉन्ट्रासेप्टिव्स बनाना शुरू कर दिया था। साथ ही अपने पहला कार्यालय मद्रास की थांबू चेट्टी स्ट्रीट पर खोल लिया था।

1952 में शुरू की ट्रेड रबर की मैन्युफैक्चरिंग : mrf tyres success story in hindi
1952 में इस फैक्ट्री में ट्रेड रबर की मैन्युफैक्चरिंग शुरू हुई और यहीं से इसका गौरवशाली इतिहास लिखा जाना भी शुरू हुआ। 4 साल के अंदर यानी 1956 तक एमआरएफ 50 फीसदी मार्केट शेयर के साथ भारत में ट्रेड रबर बाजार की लीडर बन चुकी थी। नवंबर 1960 में मद्रास रबर फैक्ट्री लिमिटेड नाम अस्तित्व में आया।

1961 में एमआरएफ एक पब्लिक कंपनी बन गई। साथ ही कंपनी ने अमेरिका की मैन्सफील्ड टायर एंड रबर कंपनी के साथ टेक्निकल कोलैबोरेशन भी स्थापित किया।

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1960 के दशक में उतरी एक्सपोर्ट में | mrf tyres success story in hindi
1964 में एमआरएफ ने बेरुत में अपना कार्यालय खोला, जो विदेश में टायर एक्सपोर्ट करने की दिशा में एक कदम था। यही वह साल था जब ‘एमआरएफ मसलमैन’ अस्तित्व में आया। 1967 में एफआरएफ टायर टेक्नोलॉजी के जनक कहे जाने वाले अमेरिका में टायर एक्सपोर्ट करने वाली पहली भारतीय कंपनी बनी।

इसके बाद 1970 में कपंनी ने अपना दूसरा प्लांट कोट्टायम में खोला। कंपनी का तीसरा प्लांट 1971 में गोवा और चौथा प्लांट 1972 में अरक्कोनम में खुला।

जब एमआरएफ सुपरलग- 78 टायर बना सबसे ज्यादा बिकने वाला ट्रक टायर | mrf tyres success story in hindi
1973 में एमआरएफ ने नायलॉन पैसेंजर कार टायर्स को बनाना और बेचना शुरू किया। 1978 में कंपनी ने हैवी ड्यूटी ट्रकों के लिए एमआरएफ सुपरलग- 78 टायर बनाया। बाद के वर्षों में यह प्रॉडक्ट देश का सबसे ज्यादा बिकने वाला ट्रक टायर बन गया।

मैन्सफील्ड टायर एंड रबर कंपनी ने 1979 में एमआरएफ में अपनी हिस्सेदारी बेच दी और फिर एक साल के अंदर कंपनी का नाम एमआरएफ हो गया। 1985 में कंपनी ने टूव्हीलर्स के लिए नाइलोग्रिप टायर्स लॉन्च किए।

एमआरएफ के इतिहास के कुछ और अहम साल | mrf tyres success story in hindi

1988: एमआरएफ पेश फाउंडेशन की स्थापना के साथ स्पोर्ट्स में एंट्री। यह फाउंडेशन भारत और विदेश में भविष्य के बॉलिंग सुपरस्टार तैयार करती है।

1989: 
दुनिया की सबसे बड़ी खिलौना कंपनी हैसब्रो इंटरनेशनल यूएसए के साथ कोलैबोरेशन किया और फनस्कूल इंडिया को लॉन्च किया। इसी साल कंपनी ने पॉलीयूरेथेन पेंट फॉर्म्युलेशंस बनाने के लिए वैपोक्योर ऑस्ट्रेलिया के साथ कोलैबोरेशन किया। साथ ही MUSCLEFLEX Conveyor एंड Elevator Belting के लिए Pirelli के साथ हाथ मिलाया। कंपनी की मेदक यूनिट भी 1989 में ही ओपन हुई।

1993: 
केएम मैम्मेन मपिल्लई को पद्मश्री से सम्मानित किया गया। वह यह अवार्ड पाने वाले पहले साउथ इंडियन इंडस्ट्रियलिस्ट बने।

1996: 
एमआरएफ ने पुडुचेरी में रेडियल्स की मैन्युफैक्चरिंग के लिए पूरी तरह समर्पित एक स्पेशल फैक्ट्री शुरू की। 1997 में कंपनी पहली बार एफ3 कार्स में उतरी। इसी साल देश में कंपनी का पहला टायर्स एंड सर्विस फ्रेंचाइजी स्टोर खुला।

2007: 
कंपनी ने 1 अरब डॉलर टर्नओवर के मार्क को पार किया। इसी साल कंपनी ने पहले इको फ्रेंडली टायर लॉन्च किए। 2011 में कंपनी का 7वां प्लांट अंकनपल्ली में खुला और कंपनी ने 2 अरब डॉलर टर्नओवर को छुआ। कंपनी का 8वां प्लांट इसी साल त्रिची में खुला। 9वां प्लांट त्रिची में ही 2012 में शुरू हुआ।

2013: एमआरएफ का एयरो मसल, सुखोई 30 एमकेआई फाइटर जेट के लिए चुना गया।

2015: एमआरएफ को फोर्ब्स इंडिया की भारत की बेस्ट कंपनियों की सुपर 50 लिस्ट में पहली बार जगह मिली। कंपनी ने 2017 में भी बेहतर रैंकिंग के साथ इस लिस्ट में जगह बनाई।

आज कितना बड़ा कारोबार
आज एमआरएफ के एक शेयर की कीमत बीएसई सेंसेक्स पर 485.75 रुपये है। कंपनी का मार्केट कैप 28,077.02 करोड़ रुपये है। साल 2021 में कंपनी की बिक्री 15921.35 करोड़ रुपये की रही, वहीं टोटल इनकम 16128.58 करोड़ रुपये की रही। दिसंबर 2021 तिमाही में एमआरएफ की एकल आधार पर कुल आय 4898.84 करोड़ रुपये रही।

एमआरएफ मारुति 800 के लिए भी टायर सप्लाई कर चुकी है। आज एमआरएफ टूव्हीलर, ट्रक, बस, कार, ट्रैक्टर, लाइट कमर्शियल व्हीकल्स, ऑफ द रोड टायर्स और एरोप्लेन टायर्स बनाती है।

एमआरएफ के नाम कई अवार्ड भी हैं। कंपनी 13 बार जेडी पावर अवार्ड जीत चुकी है। देश की सबसे भरोसेमंद टायर कंपनी के तौर पर यह TNS और CAPEXIL अवार्ड भी अपने नाम कर चुकी है। एमआरएफ भारत की सबसे बड़ी टायर मैन्युफैक्चरर है।

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