Cricket News Today In Hindi: T20: दुनिया के 53 खिलाड़ी टी20 में लगा चुके हैं शतक, विराट कोहली 90 मैच बाद भी नहीं कर सके ऐसा
T20 Records: आयरलैंड के ओपनर बल्लेबाज पॉल स्टर्लिंग (Paul Stirling) ने टी20 में नया इतिहास रचा. उन्होंने जिम्बाब्वे के खिलाफ तीसरे टी20 में शतक लगाया. वे टी20 इंटरनेशनल में शतक लगाने वाले दुनिया के 53वें खिलाड़ी बने. लेकिन भारतीय कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) अब तक यह कारनामा नहीं कर सके हैं
नई दिल्ली. टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) लंबे समय से इंटरनेशनल क्रिकेट में शतक नहीं लगा सके हैं. आयरलैंड के दिग्गज बल्लेबाज पॉल स्टर्लिंग (Paul Stirling) ने जिम्बाब्वे के खिलाफ तीसरे टी20 में शतक लगाया. वे टी20 इंटरनेशनल में शतक लगाने वाले दुनिया के 53वें खिलाड़ी बने. लेकिन कोहली अब तक टी20 इंटरनेशनल में एक भी शतक नहीं लगा सके हैं. विराट कोहली 90 टी20 इंटरनेशनल मुकाबलों में उतर चुके हैं. इस साल अक्टूबर-नवंबर में टी20 वर्ल्ड कप (ICC T20 World Cup) होना है. अब विराट कोहली इस टूर्नामेंट में यह कारनामा करना चाहेंगे.
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टी20 इंटरनेशनल में सबसे अधिक शतक लगाने वाले खिलाड़ियों की बात करें तो टीम इंडिया के ओपनर रोहित शर्मा (Rohit Sharma) टाॅप पर हैं. वे अब तक 4 शतक लगा चुके हैं. ऑस्ट्रेलिया के ग्लेन मैक्सवेल और न्यूजीलैंड के कोलिन मुनरो 3-3 शतक के साथ संयुक्त रूप से दूसरे नंबर पर हैं. 6 बल्लेबाजों ने 2-2 शतक लगाए हैं. इसमें ऑस्ट्रेलिया के एरोन फिंच, वेस्टइंडीज के क्रिस गेल, न्यूजीलैंड के मार्टिल गप्टिल, वेस्टइंडीज के एविन लुईस, न्यूजीलैंड के ब्रेंडन मैक्कुलम और भारत के केएल राहुल ऐसा कर चुके हैं.
टी20 इंटरनेशनल की बात करें तो भारत की ओर से सिर्फ 3 खिलाड़ी शतक लगा चुके हैं. रोहित शर्मा और केएल राहुल के अलावा सुरेश रैना ने ऐसा किया है. टी20 में सबसे बड़ा व्यक्तिगत स्कोर बनाने का रिकॉर्ड ऑस्ट्रेलिया के एरोन फिंच के नाम है. उन्होंने 2018 में जिम्बाब्वे के खिलाफ 172 रन की पारी खेली थी. सिर्फ तीन बार कोई बल्लेबाज 150 से अधिक रन का आंकड़ा छू सके हैं. 2019 में अफगानिस्तान के हतरातुल्लाह जाजई ने आयरलैंड के खिलाफ नाबाद 162 और एरोन फिंच ने 2013 में इंग्लैंड के खिलाफ 156 रन की पारी खेल चुके हैं.
30 टीमों की ओर से लगे हैं शतक
टी20 इंटरनेशनल की बात की जाए तो अब तक 30 टीमों की ओर से टी20 में शतक लगे हैं. सबसे अधिक 8 शतक न्यूजीलैंड की ओर से लगे हैं. ऑस्ट्रेलिया और भारत की ओर से 7-7 शतक लग चुके हैं. साउथ अफ्रीका और वेस्टइंडीज के खिलाड़ियों ने 4-4 शतक जड़े हैं. आयरलैंड के पॉल स्टर्लिंग देश की ओर से शतक लगाने वाले दूसरे खिलाड़ी बने. उन्होंने जिम्बाब्वे के खिलाफ तीसरे टी20 में 75 गेंद पर नाबाद 115 रन बनाए. 8 चौके और 8 छक्के लगाए. टीम ने यह मुकाबला 40 रन से जीतकर पांच मैचों की सीरीज में 2-1 की बढ़त बना ली है. आयरलैंड ने पहले खेलते हुए 2 विकेट पर 178 रन बनाए. जवाब में जिम्बाब्वे की टीम 138 रन पर सिमट गई.
Ind vs Eng: टीम इंडिया को अतिरिक्त बल्लेबाज शामिल नहीं करने पर हुआ नुकसान लेकिन कोहली जिद पर अड़े
India vs England: इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज में 5 विशेषज्ञ गेंदबाजों के साथ उतरने की रणनीति का नुकसान टीम इंडिया (Team India) को हो रहा है. भारतीय कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) ने साफ कर दिया है कि उनकी टीम में अतिरिक्त बल्लेबाज शामिल करने की मंशा नहींं है.
नई दिल्ली. लॉर्ड्स टेस्ट के अंतिम दिन मोहम्मद शमी (Mohammed Shami) और जसप्रीत बुमराह (Jasprit Bumrah) की दमदार बल्लेबाजी के बावजूद इंग्लैंड के खिलाफ चल रही सीरीज में लोअर ऑर्डर भारत के लिए बड़ी चिंता का विषय है. 7वें नंबर के बाद टीम इंडिया में रन बनाने के लिए किसी खिलाड़ी पर भरोसा नहीं किया जा सकता लेकिन कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) 5 विशेषज्ञ गेंदबाजों के साथ खेलने के सिद्धांत से समझौता नहीं करना चाहते. लीड्स में मिली हार के बाद विराट ने साफ कर दिया है कि उन्हें अतिरिक्त बल्लेबाज वाली बात पर ज्यादा यकीन नहीं है. कप्तान ने कहा था कि अगर आपके शीर्ष छह बल्लेबाज काम नहीं कर पा रहे तो इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि अतिरिक्त बल्लेबाज आपके लिए मैच बचा ले.
शार्दुल ठाकुर के चोटिल होने की वजह से समीकरण बिगड़ा
सीरीज के पहले तीन टेस्ट मैचों में रवींद्र जडेजा ने स्पिन विकल्प के तौर पर खेलते हुए ऋषभ पंत के बाद 7वें नंबर पर बल्लेबाजी की. हालांकि जडेजा की भूमिका स्पिन गेंदबाज से ज्यादा विशेषज्ञ बल्लेबाज की रही. नॉटिंघम, लॉर्ड्स और हेडिंग्ले में सीमर के अनुकूल माहौल ने टीम प्रबंधन को चार तेज गेंदबाजों को शामिल करने के लिए प्रेरित किया. इसकी वजह से वर्तमान में टेस्ट क्रिकेट के सबसे बेहतरीन ऑफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन को बेंच पर बैठना पड़ा.
शार्दुल ठाकुर ने पहला टेस्ट खेला और बल्ले से उनकी क्षमता ने निचले क्रम को मजबूती दी. उनके चोटिल होने के बाद अगले दो टेस्ट मैचों में नंबर 8, 9, 10 और 11 पर शमी, इशांत शर्मा, बुमराह और मोहम्मद सिराज उतरे. लॉर्ड्स टेस्ट में बुमराह-शमी ने असाधारण बल्लेबाजी की लेकिन इनसे हर बार बहुत अधिक रनों की उम्मीद नहीं की जा सकती है. मध्य क्रम में अच्छी साझेदारी होने पर भी विपक्षी टीम हर समय खेल में बनी रहती है, क्योंकि लगातार दो विकेट गिरने से जल्द ऑलआउट की संभावना हमेशा बनी रहती है.
भारतीय टीम के साथ समस्या क्या है?
जडेजा के अलावा तेज गेंदबाजों से बल्लेबाजी की उम्मीद नहीं की जा सकती. वहीं भारत के विशेषज्ञ बल्लेबाज गेंदबाजी नहीं करते हैं. रोहित शर्मा, केएल राहुल, चेतेश्वर पुजारा, विराट कोहली और अजिंक्य रहाणे को टेस्ट मैचों में कभी-कभार ही गेंद डालते हुए देखा गया है. पांच विशेषज्ञ गेंदबाजों की रणनीति ने टीम इंडिया को कुछ समझौते करना पर मजबूर कर दिया है. जडेजा को हाल के बल्लेबाजी फॉर्म के आधार पर अश्विन पर तरजीह दी गई. हालांकि अश्विन ने इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज के दौरान शतक बनाया था. इंग्लैंड के हालात दो स्पिनरों को खेलने के लिए प्रोत्साहित नहीं करते क्योंकि भारत को विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप फाइनल में उनके नुकसान का एहसास हुआ. हालांकि, अश्विन WTC फाइनल में कीवी टीम के खिलाफ ज्यादा प्रभावी थे.
शार्दुल को पहले टेस्ट में इशांत शर्मा और उमेश यादव की जगह टीम में शामिल किया गया क्योंकि वह निचले क्रम में उपयोगी रनों का योगदान दे सकते थे. इससे पता चलता है कि थिंक टैंक समस्या से अवगत था. हार्दिक पंड्या की चोट ने उन्हें आईपीएल में भी गेंदबाजी करने से रोक दिया. एक सीमर-ऑलराउंडर के तौर पर पंड्या इंग्लैंड में प्रभावी हो सकते थे.
विशेषज्ञ बल्लेबाज नहीं होने से हुआ नुकसान
अगर भारत के टॉप-5 बल्लेबाज रनों का अंबार लगा रहे हो तो पांच विशेषज्ञ गेंदबाजों के साथ उतरा जा सकता है. लेकिन नंबर 3 पर पुजारा, 4 पर कोहली और 5वें नंबर रहाणे बिलकुल फॉर्म में नहीं है. दूसरी ओर नंबर 6 बल्लेबाज पंत इस बात को लेकर असमंजस में हैं कि उन्हें क्या करना चाहिए. शर्मा और राहुल की ओपनिंग जोड़ी ने पहले दो टेस्ट में अच्छी शुरुआत दी, लेकिन जब वे हेडिंग्ले में ऐसा करने में असफल रहे, तो इसने आउट ऑफ फॉर्म मध्य क्रम पर दबाव पड़ा. इसका नतीजा ये हुआ कि भारत को पारी से हार मिली.
इंग्लैंड को जो रूट ने बचा लिया
इंग्लैंड की टीम में शीर्ष छह में विकेटकीपर (पहले तीन टेस्ट में जोस बटलर और गुरुवार से शुरू हो रहे चौथे टेस्ट के लिए जॉनी बेयरस्टो) शामिल है. पहले दो टेस्ट मैचों में इंग्लैंड के बल्लेबाज खराब प्रदर्शन कर रहे थे और कप्तान जो रूट ने रन बनाने का जिम्मा अपने कंधों पर उठाया. इंग्लैंड भी पांच गेंदबाजों (भारत की तरह चार सीमर और एक स्पिनर) के साथ खेला, लेकिन उनका निचला क्रम आम तौर पर भारत की तुलना में बहुत अधिक मजबूत है. मोईन अली, सैम कुरेन, ओली रॉबिन्सन और क्रेग ओवर्टन जैसे खिलाड़ियों पर दबाव में कुछ रन बनाने के लिए भरोसा किया जा सकता है.
टेस्ट की महान टीमें भी 4 गेंदबाजों के साथ ही उतरी
1970 से 1990 के दशक की शुरुआत तक वेस्टइंडीज की टीम और 1990 से 2000 के दशक की शुरुआत में ऑस्ट्रेलियाई टीम को टेस्ट इतिहास की सबसे मजबूत टीम माना जाता है. ये दोनों टीमों चार विशेषज्ञ गेंदबाजों के साथ खेली. हर परिस्थितियों में इनके गेंदबाज ढल जाते थे. कैरेबियाई पेस चौकड़ी और ग्लेन मैक्ग्रा, ब्रेट ली और शेन वार्न का ऑस्ट्रेलियाई आक्रमण मैच जीतने के लिए काफी अच्छा था. वे छह विशेषज्ञ बल्लेबाजों के साथ खेले और उनके विकेटकीपर भी जबरदस्त थे. अगर टीम में जैक कैलिस, एंड्रयू फ्लिंटॉफ और शेन वॉटसन जैसा कोई खिलाड़ी नहीं तो अधिकांश टीमें हाल तक टेस्ट क्रिकेट में छह विशेषज्ञ बल्लेबाजों के साथ उतरती रही है.
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