pregnancy symptoms in hindi: गर्भावस्था में मतली और उल्टी को मॉर्निंग सिकनेस कहा जाता है और लगभग 85 फीसदी प्रेगनेंट महिलाओं को मॉर्निंग सिकनेस होती ही है। प्रेगनेंसी के शुरुआती महीनों में महिलाओं को मॉर्निंग सिकनेस अधिक प्रभावित करती है।
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अगर किसी महिला को गर्भावस्था के दौरान मॉर्निंग सिकनेस न हो तो इसका क्या मतलब होता है?
अच्छा संकेत है मॉर्निंग सिकनेस
प्रेगनेंसी में मॉर्निंग सिकनेस होना एक अच्छा संकेत है। अध्ययनों में सामने आया है कि जिन महिलाओं को प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में उल्टी और मतली होती है, उनमें उन महिलाओं की तुलना में मिसकैरेज का खतरा कम होता है जिन्हें मॉर्निंग सिकनेस महसूस नहीं होती है।
रिसर्च का मानना है कि प्रेगनेंसी में मतली और उल्टी ह्यूमन कोरिओनिक गोनाडोट्रोफिन यानी एचसीजी हार्मोन की वजह से होती है। फर्टिलाइज एग के यूट्राइन लाइनिंग से जुड़ने के बाद एचसीजी हार्मोन तेजी से बनने लगता है। गंभीर मॉर्निंग सिकनेस वाली महिलाओं में एचसीजी का लेवल अन्य गर्भवती महिला की तुलना में बहुत ज्यादा होता है।
इसके अलावा मल्टीपल प्रेगनेंसी में महिलाओं को मॉर्निंग सिकनेस की संभावना अधिक होती है और इनका भी एचसीजी लेवल ज्यादा होता है। इसी तरह एस्ट्रोजन भी प्रेगनेंसी के दौरान बढ़जाता है। इस हार्मोन का संबंध गर्भावस्था के दौरान मतली और उल्टी होने की गंभीरता को बढ़ाता है।
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चिंता की नहीं है बात
ऐसा नहीं है कि हर प्रेगनेंट महिला को मॉर्निंग सिकनेस होती ही है। कुछ प्रेगनेंट महिलाओं को कभी भी मॉर्निंग सिकनेस नहीं होती। यदि आपको गर्भावस्था में मॉर्निंग सिकनेस नहीं हो रही है तो इसे लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है। कई महिलाओं के साथ ऐसा होता है।
प्रेगनेंसी की पहली तिमाही में मॉर्निंग सिकनेस महसूस नहीं हो रही है तो इस स्थिति में आप एचसीजी हार्मोन का टेस्ट करवा सकती हैं। इसके लेवल से आप जान सकती हैं कि आपकी प्रेगनेंसी नॉर्मल है या नहीं।
शिशु के बारे में क्या पता चलता है
ऐसा नहीं है कि हर मामले में मॉर्निंग सिकनेस हेल्दी प्रेगनेंसी का ही संकेत हो। गंभीर रूप से मतली और उल्टी होना प्रेगनेंसी प्रॉब्लम का संकेत हो सकता है। मोलर प्रेगनेंसी में भी गंभीर मॉर्निंग सिकनेस हो सकती है। इसमें प्लेसेंटा के ऊतक असामान्य रूप से विकसित होने लगते हैं जबकि भ्रूण का विकास रुकजाता है।
प्लेसेंटा की असामान्य ग्रोथ के कारण एचसीजी का स्तर नॉर्मल प्रेगनेंसी से ज्यादा बढ़ जाता है। एचसीजी के अधिक होने की वजह से महिलाओं को गंभीर रूप से मतली और उल्टी होती है।
शिशु के स्वास्थ्य का पता चलता है
हम गर्भ के अंदर शिशु को सिर्फ अल्ट्रासाउंड की मदद से ही देख सकते हैं। अगर आपको प्रेगनेंसी के लक्षण कम दिख रहे हैं तो अल्ट्रासाउंड करवा लें। प्रेगनेंसी के छह से सात सप्ताह के अंदर शिशु की दिल की धड़कन शुरू हो जानी चाहिए। यदि ऐसा है तो मिसकैरेज का खतरा 70 से 90 फीसदी कम हो जाता है।
लड टेस्ट में एचसीजी के लेवल को टेस्ट कर के भी आप जान सकती हैं कि आपकी प्रेगनेंसी नॉर्मल है या नहीं। गर्भावस्था में एचसीजी का लेवल लगभग दोगुना हो जाता है।
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