By | August 3, 2020
raksha bandhan wikipedia in hindi

raksha bandhan wikipedia in hindi जानिए क्यों मनाया जाता है रक्षाबंधन, पढ़ें- पर्व से जुड़ी कुथ रोचक व ऐतिहासिक कहानियां

हिंदू धर्म में रक्षाबंधन का त्योहार काफी धूमधाम से मनाया जाता है, ये है पर्व भाई-बहन के अटूट रिश्ते का प्रतीक है, इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई में राखी बांधती हैं और उनके अच्छे स्वास्थ और लंबे जीवन की कामना करती हैं, तो वहीं भाई अपनी बहन को इस अवसर पर कठिन परिस्थिति में उसका साथ देने का वादा करता है, रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, देश भर में यह त्योहार 3 अगस्त (यानि सोमवार) को मनाया जाएगा, जिसके लिए बहने ने अच्छी तरह से तैयारी की हैं, वास्तव में रक्षाबंधन भाई बहन के अटूट प्रेम को समर्पित त्योहार है जो सदियों से मनाया जाता आ रहा है.

 

हालांकि यह प्रचलित है, लेकिन अधिकांश को यह बात शायद पता ना हो कि भाई को रक्षासूत्र बांधने से पहले बहनें तुलसी और नीम के वृक्ष को राखी बांधती हैं. ऐसा करके दरअसल, बहनेंं संपूर्ण प्रकृति की रक्षा का वचन लेती हैं, राखी वास्तव में हर उस शख्स को बांधी जा सकती है, जो आपकी रक्षा का वादा करता है, चाहे वह पिता हो या भाई, दोस्त हो या ऑफिस में काम करने वाला कोई सहयोगी.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस त्योहार की शुरुआत सगे भाई-बहनों ने नहीं की थी, रक्षाबंधन कब शुरू हुआ, इसे लेकर कोई तारीख तो स्पष्ट नहीं है लेकिन माना जाता है कि इस पर्व की शुरुआत सतयुग में हुई थी, इस त्योहार से संबंधित कई कथाएं पुराणों में मौजूद हैं……….?
भविष्‍य पुराण की कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार धरती की रक्षा के लिए देवता और असुरों में 12 साल तक युद्ध चला लेकिन देवताओं को विजय नहीं मिली, तब देवगुरु बृहस्पति ने इंद्र की पत्नी शची को श्राणण शुक्ल की पूर्णिमा के दिन व्रत रखकर रक्षासूत्र बनाने के लिए कहा, इंद्रणी ने वह रक्षा सूत्र इंद्र की दाहिनी कलाई में बांधा और फिर देवताओं ने असुरों को पराजित कर विजय हासिल की.
वामन अवतार कथा

एक बार भगवान विष्णु असुरों के राजा बलि के दान धर्म से बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने बलि से वरदान मांगने के लिए कहा, तब बलि ने उनसे पाताल लोक में बसने का वरदान मांगा, भगवान विष्णु के पाताल लोक चले जाने से माता लक्ष्मी और सभी देवता बहुत चिंतित हुए, तब मां ने लक्ष्मी गरीब स्त्री के वेश में पाताल लोक जाकर बलि को राखी बांधा और भगवान विष्णु को वहां से वापस ले जाने का वचन मांगा, उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी, तभी से रक्षाबंधन मनया जाता है.

द्रौपदी और श्रीकृष्‍ण की कथा
महाभारत काल में कृष्ण और द्रोपदी को भाई बहन माना जाता है, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शिशुपाल का वध करते समय भगवान कृष्ण की तर्जनी उंगली कट गयी थी, तब द्रोपदी ने अपनी साड़ी फाड़कर उनकी उंगली पर पट्टी बांधा था, उस दिन श्रावण पूर्णिमा का दिन था, तभी से रक्षाबंधन श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाता है, कृष्ण ने एक भाई का फर्ज निभाते हुए चीर हरण के समय द्रोपदी की रक्षा की थी.
बादशाह हुमायूं और कमर्वती की कथा

रक्षाबंधन पर हुमायूं और रानी कर्मवती की कथा सबसे अधिक याद की जाती है, कहा जाता है कि राणा सांगा की विधवा पत्नी कर्मवती ने हुमांयू को राखी भेजकर चित्तौड़ की रक्षा करने का वचन मांगा था, हुमांयू ने भाई का धर्म निभाते हुए चित्तौड़ पर कभी आक्रमण नहीं किया और चित्तौड़ की रक्षा के लिए उसने बहादुरशाह से भी युद्ध किया.
ऐतिहासिक संदर्भ के मुताबिक –
सिकंदर और राजा पुरु :
एक महान ऐतिहासिक घटना के अनुसार जब 326 ई पू में सिकंदर ने भारत में प्रवेश किया, सिकंदर की पत्नी रोशानक ने राजा पोरस को एक राखी भेजी और उनसे सिंकंदर पर जानलेवा हमला न करने का वचन लिया. परंपरा के अनुसार कैकेय के राजा पोरस ने युद्ध भूमि में जब अपनी कलाई पर बंधी वह राखी देखी तो सिकंदर पर व्यक्तिगत हमले नहीं किये.
रानी कर्णावती और हुमायूँ:

एक अन्य ऐतिहासिक गाथा के अनुसार रानी कर्णावती और मुग़ल शासक हुमायूँ से सम्बंधित है. सन 1535 के आस पास की इस घटना में जब चित्तोड़ की रानी को यह लगने लगा कि उनका साम्राज्य गुजरात के सुलतान बहादुर शाह से नहीं बचाया जा सकता तो उन्होंने हुमायूँ, जो कि पहले चित्तोड़ का दुश्मन था, को राखी भेजी और एक बहन के नाते मदद माँगी. हालाँकि इस बात से कई बड़े इतिहासकार इत्तेफाक नहीं रखते, जबकि कुछ लोग पहले के हिन्दू मुस्लिम एकता की बात इस राखी वाली घटना के हवाले से करते हैं.
1905 का बंग भंग और रविन्द्रनाथ टैगोर :

भारत में जिस समय अंग्रेज अपनी सत्ता जमाये रखने के लिए ‘डिवाइड एंड रूल’ की पालिसी अपना रहे थे, उस समय रविंद्रनाथ टैगोर ने लोगों में एकता के लिए रक्षाबंधन का पर्व मनाया. वर्ष 1905 में बंगाल की एकता को देखते हुए ब्रिटिश सरकार बंगाल को विभाजित तथा हिन्दू और मुस्लिमों में सांप्रदायिक फूट डालने की कोशिश करती रही. इस समय बंगाल में और हिन्दू मुस्लिम एकता बनाए रखने के लिए और देश भर में एकता का सन्देश देने के लिए रविंद्रनाथ टैगोर ने रक्षा बंधन का पर्व मनाना शुरू किया.

सिखों का इतिहास : 18 वीं शताब्दी के दौरान सिख खालसा आर्मी के अरविन्द सिंह ने राखी नामक एक प्रथा का अविर्भाव किया, जिसके अनुसार सिख किसान अपनी उपज का छोटा सा हिस्सा मुस्लिम आर्मी को देते थे और इसके एवज में मुस्लिम आर्मी उन पर आक्रमण नहीं करते थे.
रक्षाबंधन का संदेश :

रक्षाबंधन दो लोगों के बीच प्रेम और इज्जत का बेजोड़ बंधन का प्रतीक है. आज भी देशभर में लोग इस त्योहार को खुशी और प्रेम से मनाते है और एक-दूसरे की रक्षा करने का वचन देते है.

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