Russia Ukraine Conflict: रूस फिलहाल किन देशों को अपना दोस्त मान रहा है और क्यों

By | March 24, 2022
Russia's President Putin meets with India's PM Modi, in New Delhi

रूस यूक्रेन विवाद (Russia Ukraine Conflict) में युद्ध के हालात बुरे होते जा रहे हैं, यूक्रेन पर हमले बढ़ने लगे हैं और पश्चिमी देशों ने भी प्रतिक्रयाएं देनी शुरू कर दी है. एक तरफ अमेरिका (USA) और पश्चिमी देशों सहित नाटो (NATO) है वहीं दूसरी तरफ रूस लेकिन रूस के सहयोगी कौन कौन हैं यह भी एक सवाल है और इन हालात में वे उसकी कितनी मदद कर सकेंगे.

रूस (Russia) अपने और यूक्रेन (Ukraine) के बीच विवाद के जड़ नाटो और अमेरिका को बता रहा है. अब नाटो (NATO) देश के सदस्यों के अलावा अधिकांश दुनिया अमेरिका की वजह से रूस के खिलाफ खड़े हैं. ऐसे में देखने वाली बात यह है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रूस के सहयोगी कौन से देश हैं. रूस शीत युद्ध केबाद भले ही एक बड़ी आर्थिक शक्ति नहीं रहा लेकिन उसके अब भी बहुत से राजनैतिक और आर्थिक सहयोगी हैं. इनमें से कुछ तो ऐसे हैं जो इस संकट की घड़ी में पूरी तरह से रूस केसाथ खड़े रहेंगे.

शीत युद्ध वाली बात नहीं रही
इस समय शीत युद्ध का युग नहीं हैं. उस समय रूस सोवियत संघ का जिसका अपना एक रुतबा हुआ करता था. वह राजनैतिक के साथ सामरिक और आर्थिक महाशक्ति भी था. लेकिन अब वो हालात नहीं  हैं. ऐसे में रूस को अपने साथ सहयोग खड़े करने में खासी मुश्किल हो सकती है. अब यूक्रेन संकट के कारण शायद ही दुनिया दो हिस्सों में बंट पाए.

खुद पर ही ज्यादा भरोसा
लेकिन रूस अपने सहयोगियों की जगह खुद की शक्तियों पर ज्यादा निर्भर रहता आया है.  काफी पहले से यह कहा भी जाता रहा है कि रूस के केवल दो ही सहयोगी हैं उसके सेना और नौसेना. इसकी वजह यही रही है कि इतिहास में रूस ने हमेशा अपने ही बल पर खुद को उठाया और बचाया है. खुद व्लादिमीर  पुतिन ने इसी वक्तव्य का जिक्र किया था जब साल 2015 में उनसे सहयोगियों के बारे में पूछा गया था. लेकिन पुतिन ने फौरन यह भी कहा था कि वे मजाक में ऐसा कह रहे हैं

अभी कौन हैं रूस के सहयोगी
तो क्या है रूस के सहयोगियों की स्थिति और क्या वे यूक्रेन संकट में रूस का निर्णायक सहयोग दे सकेंगे. रूस ने नाटो की तरह कलेक्टिव सिक्यूरिटी ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (CSTO) संधि 1992 में छह पूर्व सोवियत राज्यों के साथ की थी. इसमें रूस के साथ अर्मेनिया, बेलारूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान और कजाकिस्तान शामिल थे.  इसके चार्टर में सुरक्षा,स्थायित्व, क्षेत्रीय एकता और संप्रभुता के लिए खतरे की स्थिति में संयुक्त रक्षा प्रदान करने का लक्ष्य भी शामिल था.

कितना कारगर होगा CSTO
आज CSTO में25000 ट्रूप्स की सेना है. अभी तक ऐसा कोई मौका नहीं आया है इसे लड़ना पड़ा हो, लेकिन  संगठन ने कई बार संयुक्त सैन्य अभ्यास भी किया है. रूस  कई बार CSTO सहयोगियों का जिक्र करता रहा है. लेकिन एक सवाल यह भी है कि इन देशों का सहयोग रूस के लिए कितना उपयोगी साबित होगा.

ये तीन देश भी
जार्जिया से अलग हुए दो देश अबकाजिया और साउथ ओसेटिया को भी रूस ने पूरी सुरक्षा दे रखी है.  रूस उन पांच देशों में जिन्होंने इन देशों को मान्यता दे रखी है. CSTO और इन दो देशों से ही रूस की सैन्य संधि है. इसके अलावा सीरिया की बशर अल असद कीसरकार को भी रूस का पूरा समर्थन है. रूस सीरिया को अपना सहयोगी बताया रहा है, लेकिन इसका मतलब बशर अल असद सरकार से ही है.

और चीन का सहयोग?
रूस के एक बड़े सहयोगी के रूप में चीन सामने आ सकता है. अभी वह खुल कर ऐसा नहीं कर रहा है. दोनों देश एक साथ कई बार सैय अभ्यास भी कर चुके हैं दोनों के बीच बहुत से स्तरों पर आर्थिक संबंध हैं. चीन पीछे से रूस का साथ दे सकता है लेकिन वह खुल कर अमेरिका और पश्चिमी देशों का विरोध कर अपनी मुसीबतें नहीं बढ़ाना चाहेगा. वहीं रूस चीन का दूसरा सहयोगी साबित नहीं करना चाहेगा. और वह अभी वरिष्ठ सहयोगी नहीं हो सकता है.

एक विचार यह भी है कि रूस भारत को अपना सहयोगी बना सकता है. बेशक भारत और रूस के  बीच अच्छे संबंध हैं और बेहतर हो भी सकते हैं. लेकिन भारत की कुछ सीमाएं भी हैं भारत और एक साथ रूस के साथ आ पाएं यह बहुत मुश्किल काम है. इसके अलावा भारत अमेरिका के साथ अपने संबंधों में संतुलन बनाए रखना चाहेगा. इसके अलावा दुनिया में और कई देश हैं जो अमेरिका के साथ ना आकर रूस के साथ खड़े हो सकते हैं. लेकिन इससे कोई बहुत फर्क पड़ेगा इसकी संभावना अधिक नहीं है.

Written : Kajal Kushwah

रूस के सैनिकों ने यूक्रेनी परिवार को गोलियों से छलनी किया, झकझोरने वाली रिपोर्ट

 

बलात्कार को कैसे रोके

Two World twokog.com के सोशल मीडिया चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करिये –

फ़ेसबुक

ट्विटर

इंस्टाग्राम

Leave a Reply