By | December 20, 2020
Separatism bill

 Separatism bill in French parliament: फ्रांस के नए कानून में इस्लाम के खिलाफ कौन-सी बात है?

फ्रेंच संसद में सेपरेटिज्म बिल (Separatism bill in French parliament) का पहला ड्राफ्ट पेश किया जा चुका. नेताओं के आश्वस्त करने के बाद भी इसे लेकर मुस्लिम समुदाय (Muslim community) काफी आशंकित है. इसमें मुस्लिम समुदाय इसपर खासा हल्ला मचाए हुए है

इस बुधवार को फ्रांसीसी संसद ने विवादित सेपरेटिज्म बिल का ड्राफ्ट पेश कर दिया. विवादित इसलिए कि ये इस्लामिक कट्टरता पर वार करता है. हालांकि बिल में इस्लाम का जिक्र नहीं है, बल्कि इसे गणतंत्र को ढंग से स्थापित करने की तरह पेश किया जा रहा है. दूसरी ओर मुस्लिम समुदाय इसपर खासा हल्ला मचाए हुए है. जानिए, क्या है इस बिल में ऐसा जो इस्लामिक अलगाववाद को टारगेट करता है.

जब 1971 में भारत को डराने के लिए अमेरिका ने अपना नौसैनिक बेड़ा भेजा, इंदिरा गाँधी ने दिया मुहतोड़ जवाब

आतंकी हमलों से दहला फ्रांस
बीते कुछ सालों या यूं कह लें कि दशकभर में फ्रांस पर एक के बाद एक कई आतंकी हमले हुए. ये सारे ही हमले इस्लामिक कट्टरपंथियों ने किए थे. नया बिल इसी पर लगाम कसने की बात करता है. फ्रांसीसी मुस्लिमों को आश्वस्त करते हुए फ्रेंच प्रधानमंत्री जीन कासटेक्स कहते हैं कि ये किसी धर्म या मुस्लिम धर्म के खिलाफ नहीं, बल्कि अलगाववादी मुस्लिम सोच के खिलाफ है, जो फ्रांस को बांटने की फिराक में है.

फ्रांसीसी संसद के लगातार आश्वस्त करने के बाद भी वहां के मुस्लिमों में तहलका मचा हुआ है. बता दें कि फ्रांस में पूरे यूरोप में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी रहती है. साल 2019 में फ्रांस की कुल जनसंख्या करीब 6.7 करोड़ थी. इसमें करीब 65 लाख मुस्लिम आबादी भी शामिल है. यानी ये कुल आबादी का लगभग 9 प्रतिशत है. देश में अधिकतर सुन्नी-बहुल आबादी है, जो फ्रांस की संस्कृति के बीच ही अपनी पहचान बनाए हुए है. ऐसे में वे डरे हुए हैं कि कहीं इससे उन्हें या उनकी धार्मिक आजादी को कोई खतरा तो नहीं. और यही बात फ्रांस में विवाद का कारण रही.

किताब में भी मुस्लिमों के बढ़ने का जिक्र
इसपर कई साल पहले ख्यात फ्रांसीसी लेखक मीशेल वेलबेक ने एक उपन्यास भी लिख डाला था. सबमिशन नाम से उस उपन्यास में साल 2022 के फ्रांस का जिक्र है, जिसमें लगभग पूरा का पूरा देश मुस्लिम हो चुका होगा. देश में राष्ट्रपति भी इसी धर्म का होगा और ऐसे ही नियम बनेंगे जो फ्रांस का आधुनिकता से पीछे धकेल दें. किताब पर काफी बहसें हुई थीं कि ये साहित्य कहलाएगा या फिर कल्पना की आड़ में इस्लाम से नफरत को बढ़ाने का जरिया.

IAS Success Story: 16 साल की उम्र में सुनने की शक्ति खोयी, मेन्स परीक्षा में आया 103 बुखार इसके बाद

भी पास की आईएएस

IAS preparation in hindi : आईएएस बनने के लिए ऐसे करें तैयारी, इन चीजों

का रखें ध्यान

धर्म को लेकर बढ़ी कट्टरता
फ्रांस में यूरोपियन देशों में सबसे बड़ी आबादी मुस्लिम होने के बाद भी वहां लोगों के दो खेमे हो चुके हैं. एक मुसलमान और उन्हें सपोर्ट करने वाला खेमा और दूसरा वो खेमा जो फ्रांस का मूल निवासी है और जो इस्लाम के बढ़ने को अपने खात्मे की तरह देख रहा है. बढ़ने से यहां हमारा मतलब अलग-थलग दिखने और अलग परंपराएं मानने से है. काम पर जा रहे युवा मुस्लिम भी दिन में पांच बार नमाज को मानते हैं और मदरसों की तालीम पर यकीन करते हैं. एक अनुमान के मुताबिक देश में फिलहाल लगभग 2500 मस्जिदें हैं, जो इसी 9 प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करती हैं.

महामारी के कारण भुखमरी से 1,68,000 बच्चों की मौत का अनुमान

फ्रांस में सेकुलरिज्म का नियम
ये सारी चीजें मुस्लिमों को अलग पहचान देती हैं, जो फ्रांस की मूल धर्मनिरपेक्ष संस्कृति से अलग मानी जा रही हैं. बता दें कि फ्रांस में शुरू से ही दूसरे धर्म के लोगों का जमावड़ा रहा. इससे फ्रांस में यूनिफॉर्मिटी गड़बड़ा सकती थी. यही देखते हुए वहां laïcité का सिद्धांत आया यानी सेकुलरिज्म का नियम. इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक इसके तहत फ्रांस में अपनी धार्मिक पहचान को पहनावे के जरिए बताने पर पाबंदी है. जैसे ईसाई गले में बड़ा सा क्रॉस नहीं पहन सकते. न ही सिख पगड़ी लगा सकते हैं. इसी वजह से ही वहां हिजाब पर भी पाबंदी की बात चली.

बिल की किस बात पर विवाद हो रहा है
इसे सेपरेटिज्म बिल (Separatism bill) कहा जा रहा है. इसके तहत मस्जिदों पर नजर रखी जाएगी कि कहीं वहां कट्टरता को नहीं सिखाई जा रही. साथ ही साथ मुस्लिम समुदाय के बच्चे स्कूली शिक्षा पूरी करें, ये भी पक्का किया जाएगा. उन स्कूल और शिक्षण संस्थानों को बंद करवाया जा सकेगा, जो शिक्षा के बहाने ब्रेनवॉश करते हैं. साथ ही साथ नए कानून के तहत होम-स्कूलिंग पर कड़े प्रतिबंध लगेंगे ताकि ऐसे स्कूलों में बच्चों का दाखिल न किया जाए जो नेशनल करिकुलम से अलग हो.

धार्मिक फंडों पर निगरानी
इसके अलावा फ्रांस में दूसरे देशों से धार्मिक संगठनों के लिए आने वाले फंड पर नजर रखी जा सकेगी. इससे आतंक पर काफी हद तक लगाम कसेगी. मैक्रों खुद कहते हैं कि हमें ये देखना होगा कि पैसे कहां से आते हैं, किसे मिलते हैं और क्यों दिए जाते हैं.

भाषा के जरिए धर्म प्रचार पर पाबंदी
फ्रांस में विदेशी भाषाओं की पढ़ाई पर भी नजर रखी जाएगी. बता दें कि फ्रांस में ELCO प्रोग्राम के तहत विदेशी भाषा में पढ़ाई करवाई जाती है, जो अधिकतर किसी खास धर्म से संबंधित होती है. ये ठीक वैसा ही है, जैसे चीन अपने कन्फ्यूशियस संस्थानों के जरिए अलग-अलग देशों में अपनी पैठ जमा रहा है. तो अब फ्रांस ऐसे शिक्षण पर भी नजर रखेगा.

विदेशी इमामों के आने पर रोक
बिल के आने से पहले ही कई कदम उठाए जा रहे हैं. मिसाल के तौर पर इसी साल की शुरुआत में फ्रांस ने विदेशी इमामों के आने पर रोक लगा दी. मैक्रों ने प्रेस वार्ता कर कहा कि हमने 2020 के बाद अपने देश में किसी भी दूसरे देश से आने वाले मुस्लिम इमामों पर रोक लगा दी है. फ्रेंच सरकार को संदेह है कि यही बाहरी इमाम फ्रेंच मुस्लिमों को भड़काते आए हैं, जबकि स्थानीय मुसलमान हमेशा से फ्रेंच संस्कृति से मिलकर रहे.

Two World twokog.com के सोशल मीडिया चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करिये –

फ़ेसबुक

ट्विटर

इंस्टाग्राम

Leave a Reply