By | June 5, 2021
Sundar pichai biography in hindi
Sundar pichai biography in hindi: पिता की सालभर की कमाई से खरीदा अमेरिका का टिकट और रच दिया इतिहास, जानिए गूगल के सीईओ, Sundar pichai biography in hindi | सुंदर पिचाई के जीवन का प्रेरणादायी सफर
सच्चे दिल से अगर कुछ कर जाने की इच्छा होना तो इस दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं हैं।
क्या आप सोच सकते हैं कि कोई व्यक्ति जिसके घर में टीवी तक नहीं था वो सफलता के उस मुकाम तक पहुंच सकता है जहां तक पहुंचना हर किसी के बस की बात नहीं। इस बात का प्रत्यक्ष उदाहरण है गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई (Sundar Pichai)। सुंदर पिचाई (Sundar Pichai) आज किसी पहचान के मोहताज नहीं है।
Sundar

Sundar

भारतीय मूल के सुंदर पिचाई आज दुनिया की दिग्गज कंपनी के सीईओ (CEO) हैं। एक समय था जब सुंदर पिचाई के घर में ना टीवी था ना कार, यहां तक की उन्हें अपनी शिक्षा प्राप्त करने के लिए अमेरिका जाने तक के पैसे नहीं थे।
उनके पिता ने अपनी साल भर की कमाई को जमा कर उनके लिए अमेरिका जाने का टिकट खरीदा था और आज सुंदर पिचाई अपनी मेहनत और लगन के दम पर इतने बड़े मुकाम पर पहुंच गए हैं जहां पहुंच पाना हर किसी के लिए संभव नहीं होता। एक छोटे से शहर से निकलकर गूगल के CEO बनने तक का सफर तय करना सुंदर पिचाई के लिए आसान नहीं था।
इस बीच उन्होंने बहुत संघर्ष का सामना किया। आइए जानते हैं उनके जीवन के प्रेरणादायी और दिलचस्प कहानी।
1972 में चेन्नई में जन्मे सुंदर पिचाई (Sundar Pichai) का मूल नाम पिचाई सुंदराजन है, लेकिन उन्हें सुंदर पिचाई के नाम से जाना जाता है। उनके पिता ब्रिटिश कंपनी जीईसी में इंजीनियर थे। उनका परिवार दो कमरों के एक मकान में रहता था। उसमें सुंदर की पढ़ाई के लिए कोई अलग कमरा नहीं था। इसलिए वे ड्राइंग रूम के फर्श पर अपने छोटे भाई के साथ सोते थे। घर में न तो टेलीविजन था और न ही कार। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी।
Sundar pichai biography in hindi

Sundar pichai biography in hindi

लेकिन उनके पिता ने अपने बेटे के मन में इंजीनियर बनने के सपने का बीज बो दिया था। इसलिए तमाम तकलीफों को सहते हुए भी उन्हेंने हार नहीं मानी। महज 17 साल की उम्र में उन्होंने आईआईटी की प्रवेश परीक्षा पास कर खड़गपुर में दाखिला लिया। आईआईटी, खड़गपुर से अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई (1989-93) के दौरान सुंदर हमेशा अपने बैच के टॉपर रहे।
घर की स्थिति नहीं थी ठीक, फिर भी पढ़ाई के साथ नहीं किया समझौता

Sundar pichai biography in hindi |

Sundar pichai biography in hindi |

Sundar pichai biography in hindi | 

27 साल की उम्र में सुंदर अमेरिका आ गए थे। लेकिन जब वो भारत छोडकर अमेरिका के स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने आए थे, तो उनके पास अमेरिका आने के पैसे नहीं थे। उनके पिता ने अपनी एक साल की मेहनत की कमाई के बराबर की धन राशि उनकी टिकट पर खर्च कि ताकि वो पढ़ाई के साथ किसी तरह का समझौता ना करें और स्टैनफोर्ड में पढ़ाई कर सकें।

Sundar pichai biography in hindi |

Sundar pichai biography in hindi |

Sundar pichai biography in hindi |

सुंदर पिचाई पहली बार अमेरिका जाने के लिए ही प्लेन में बैठे थे। सुंदर पिचाई 1995 में स्टैनफोर्ड में बतौर पेइंग गेस्ट रहते थे। पैसे बचाने के लिए उन्होंने पुरानी चीजें इस्तेमाल किया, लेकिन पढ़ाई से समझौता नहीं किया।
वे पीएचडी करना चाहते थे लेकिन परिस्थितियां ऐसी बनीं कि उन्हें बतौर प्रोडक्ट मैनेजर अप्लायड मटीरियल्स इंक में नौकरी करनी पड़ी। प्रसिद्ध कंपनी मैक्किंसे में बतौर कंसल्टेंट काम करने तक भी उनकी कोई पहचान नहीं थी।
एक आइडिया ने बदल दी सुंदर की जिंदगी
1 अप्रैल 2004 को सुंदर पिचाई ने गूगल में काम करना शुरू किया। सुंदर का पहला प्रोजेक्ट प्रोडक्ट मैनेजमेंट और इनोवेशन शाखा में गूगल के सर्च टूलबार को बेहतर बनाकर दूसरे ब्रॉउजर के ट्रैफिक को गूगल पर लाना था। इसी दौरान उन्होंने सुझाव दिया कि गूगल को अपना ब्राउजर लांच करना चाहिए। इसी एक आइडिया से वे गूगल के संस्थापक लैरी पेज की नजरों में आ गए।
इसी आइडिया से उन्हें असली पहचान मिलनी शुरू हुई। 2008 से लेकर 2013 के दौरान सुंदर पिचाई के नेतृत्व में क्रोम ऑपरेटिंग सिस्टम की सफल लांचिंग हुई और उसके बाद एंड्रॉइड मार्केट प्लेस से उनका नाम दुनियाभर में हो गया।
गूगल के लिए बनाएं हैं कई ऐप
सुंदर पिचाई ने ही गूगल ड्राइव, जीमेल ऐप और गूगल वीडियो कोडेक बनाए हैं। सुंदर द्वारा बनाए गए क्रोम ओएस और एंड्रॉइड एप ने उन्हें गूगल के शीर्ष पर पहुंचा दिया। एंड्रॉइड डिविजन उनके पास आया और उन्होंने गूगल के अन्य व्यवसाय को आगे बढ़ाने में भी अपना योगदान दिया।
पिचाई की वजह से ही गूगल ने सैमसंग को साझेदार बनाया। प्रोडक्ट मैनेजर के रूप में जब सुंदर ने गूगल ज्वाइन किया था, तो इंटरनेट यूजर्स के लिए रिसर्च किया, ताकि यूजर्स जो इन्स्टॉल करना चाहते हैं, वे जल्दी इन्स्टॉल हो जाए।
हालांकि यह काम ज्यादा मजेदार नहीं था, फिर भी उन्होंने खुद को साबित करने के लिए अन्य कंपनियों से बेहतर संबंध बनाएं, ताकि टूलबार को बेहतर बनाया जाए। उन्हें प्रोडक्ट मैनेजमेंट का डायरेक्टर बना दिया गया। 2011 में जब लैरी पेज गूगल के सीईओ बने, तो उन्होंने तुरंत सुंदर पिचाई को प्रमोट करते हुए सीनियर वाइस प्रेसीडेंट बना दिया था।
परीकथा से कम नहीं है सफर
गूगल का सीईओ (CEO) चुने जाने के बाद अब सुंदर पिचाई का नाम भले ही लोगों की जुबान पर हो। लेकिन दो कमरों के मकान से निकल कर दुनिया की सबसे प्रमुख तकनीकी कंपनी के सीईओ तक पहुंचने का सुंदर का यह सफर किसी परीकथा से कम आकर्षक नहीं।
गूगल के सीईओ बनने से पहले उन्हें ट्विटर ने भी उनको अपने पाले में करने का प्रयास किया था लेकिन सुंदर ने गूगल को चुना। बहुत कम लोग जानते हैं कि सुंदर पिचाई की याददाश्त बहुत तेज है। उन्हें अभी तक कई टेलीफोन नंबर मुंह ज़ुबानी याद है।
सुंदर पिचाई आज भारत के लिए एक गौरव हैं। वो लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत है। सुंदर पिचाई ने अपनी मेहनत और लगन के दम पर अपनी सफलता की कहानी लिखी है। भारत के एक छोटे से गांव से निकलकर अमेरिका में गूगल के सीईओ (CEO) बनने तक का सफर तय करना कोई आसान काम नहीं होता।
हर भारतीय को आज सुंदर पिचाई (Sundar Pichai) पर गर्व है। Bada Business की मेहनत और उनके कार्यों की तहे दिल से प्रशंसा व सराहना करता है। यदि आप Bada Business के बारे में अधिक जानकारी चाहते हैं तो आप हमारी वेबसाइट के इस

बार-बार असफल होने के बाद भी संजीता ने नहीं मानी हार, ऐसे बनीं UPSC टॉपर

 

UPSC में दो बार हुईं फेल, घर जाना भी छोड़ा और तीसरे प्रयास में मधुमिता बनीं आईएएस

 

आईआईटी से पढ़ाई के बाद एकता सिंह ने चुना यूपीएससी का रास्ता

 

ज़ेबा जहाँ से आती है, वहाँ करियर नाम का कोई शब्द डिक्शनरी में नहीं होता

 

Two World twokog.com के सोशल मीडिया चैनल से जुड़ने के लिए यहाँ

क्लिक करिये –

फ़ेसबुक

ट्विटर

इंस्टाग्राम

Leave a Reply