तृणमूल कांग्रेस की सांसद नुसरत जहां आजकल अपने वैवाहिक स्थिति को लेकर चर्चाओं में हैं. इन चर्चाओं के बीच उनका नाम बंगाल के अभिनेता और बीजेपी के नेता यश दासगुप्ता से भी जोड़ा जा रहा है. कौन हैं यश. कैसे उनका नाम खूबसूरत नुसरत के साथ लिया जा रहा है.हालांकि यश ने नुसरत जहां के साथ अपने रिलेशनशिप से इनकार किया है. उनका कहना है कि हम महज दोस्त हैं.
यश दासगुप्ता की उम्र 36 साल है. उनका जन्म 10 अक्टूबर 1985 को हुआ था. टाइम्स ऑफ इंडिया ने उन्हें बंगाल के 10 डिजायरेबल पुरुषों की लिस्ट में सबसे ऊपर रखा हुआ है. दिलचस्प बात है कि वो हाल फिलहाल में नुसरत जहां के साथ एक ऐसी फिल्म कर रहे हैं, जिसमें तृणमूल की दूसरी खूबसूरत सांसद और अभिनेत्री मिमी चक्रवर्ती भी शामिल हैं. वैसे नुसरत के साथ ये उनकी तीसरी फिल्म है.
वो एक्टर भी हैं, मॉडल और भारतीय जनता पार्टी के जुड़े नेता भी. हाल के बंगाल विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने उन्हें कंदीताला से उम्मीदवार बनाया था लेकिन वो वहां कांग्रेस की स्वाति खांदोकर से हार गए. स्वाति को करीब 50 फीसदी वोट मिले तो यश को 30 फीसदी. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता इसी साल मार्च में ली. वो चांदीताला में बीजेपी के स्टार कैंडीडेट बनकर चुनावों में उतरे. उन्होंने जमकर चुनाव प्रचार भी किया. लेकिन कांग्रेस की स्वाति ने उन्हें 41347 वोटों से हरा दिया.
उन्होंने अपना करियर टेलीविजन के साथ शुरू किया. हालांकि उन्हें जो पहली बंगाली फिल्म गैंगस्टर मिली थी, उसमें वो टाइटल रोल यानि मुख्य भूमिका में थे. इसके बाद उनकी कई फिल्में ऐसी आईं, जिससे वो चर्चित हो गए. वो चर्चित टीवी सीरियल ना आना इस देश लाडो में भी थे, जो महिलाओं से जुड़ी सामाजिक समस्याओं के चारों ओर घूमती है.
हालांकि कोलकाता में वो एक टैलंट हंट के जरिए सामने आए लेकिन इसके बाद वो मुंबई में शिफ्ट हो गए. वहां वो टीवी के लिए काम करने लगे. उन्होंने कुछ हिंदी टीवी सीरियल्स में काम किया. इसके अलावा वो ईटीवी बांग्ला के डांस रियलिटी शो में शिरकत कर चुके हैं. दासगुप्ता आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी हैं. उन्हें यात्राएं करने के साथ फोटोग्राफी पसंद है. साथ ही एडवेंचर स्पोर्ट्स भी. फिटनेस फ्रीक हैं. बॉडी बिल्डिंग उन्हें पसंद है.
चूंकि उनके पिता का सारे देश में ट्रांसफर होता था, लिहाजा वो दिल्ली, मुंबई, मध्य प्रदेश, सिक्किम जैसी जगहों पर रह चुके हैं और पढ़ चुके हैं. एक्टिंग का चस्का उन्हें स्कूल की सांस्कृतिक गतिविधियों के दौरान पड़ा.क्योंकि वो ऐसे कार्यक्रमों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे.
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