इस्लामिक स्टेट की पूर्व ‘जिहादी दुल्हन’ शमीमा बेगम ने आतंकवाद से लड़ने में मदद की पेशकश की

By | September 18, 2021

इस्लामिक स्टेट की ‘जिहादी दुल्हन’ रह चुकीं शमीमा बेगम ने कहा है कि उन्हें इस आतंकी संगठन में शामिल होने का जीवन भर पछतावा रहेगा. हालांकि उनका अब कहना है कि वो आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में ब्रिटेन की मदद करना चाहती हैं.

उन्होंने बीबीसी से कहा है कि वो “समाज के लिए उपयोगी” साबित हो सकती है और उन्हें सीरिया के राहत शिविर में “सड़ने” देना बेकार है.

22 साल की शमीमा पर कथित इस्लामिक चरमपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) में सक्रिय भूमिका निभाने का आरोप है. हालांकि वो इससे इनकार करती हैं. ब्रिटेन के तब के गृहमंत्री साजिद जावेद ने राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर शमीमा बेगम से ब्रिटेन की उनकी नागरिकता छीन ली थी. जावेद अब भी अपने उस फ़ैसले पर क़ायम हैं.

इससे पहले, 15 साल की किशोर उम्र में शमीमा बेगम पूर्वी लंदन की दो अन्य स्कूली छात्राओं के साथ ब्रिटेन छोड़कर सीरिया चली गई थीं. वहां जाकर वो सब आईएस में शामिल हो गई थीं. वो बांग्लादेशी मूल की ब्रितानी नागरिक हैं.

वहां, उन्होंने एक डच आतंकी से शादी कर ली और तीन साल से ज़्यादा समय तक आईएस के शासन में रहीं. 2019 में, सीरिया के एक शरणार्थी शिविर में वो नौ महीने की गर्भवती के रूप में मिलीं. बाद में उनके बच्चे की निमोनिया से मौत हो गई. शमीमा ने बताया कि वो इससे पहले दो और बच्चे खो चुकी हैं.

शमीमा ने 2017 में आईएस द्वारा मैनचेस्टर एरेना पर किए गए हमले के बारे में पहले कहा था कि ये आईएस इलाकों पर किए गए हमलों की तरह का है. उन्होंने उस आतंकी हमले को आईएस का “प्रतिशोध” करार दिया था. उस हमले में 22 लोगों की मौत हुई थी.

‘मुझे हमेशा ख़ुद से नफ़रत रहेगी’

बीबीसी संवाददाता जोश बेकर के यह पूछने पर कि दुनिया भर में नरसंहार और हत्या करने वाले समूह का हिस्सा बनकर उन्हें कैसा महसूस हुआ, शमीमा बेग़म ने कहा, “अब इस बारे में सोचकर मैं बहुत परेशान हो जाती हूं. अपने इस फ़ैसले के कारण मुझे ख़ुद से नफ़रत होने लगती है.”

बीबीसी साउंड्स और बीबीसी 5 लाइव को दिए एक इंटरव्यू में शमीमा बेगम ने कहा कि अब वो केवल अपनी सच्ची भावनाओं के बारे में बात करने में ही सहज महसूस करती हैं.

बीबीसी संवाददाता ने उनसे पूछा कि आईएस पर उनकी राय क्या इसलिए बदल गई, क्योंकि वह ख़िलाफ़त क़ायम करने में नाकाम रहा. उन्होंने जवाब दिया, “आईएस के बारे में मेरी ये राय काफी पहले से है, पर मैं अब अपनी सच्ची राय व्यक्त करने में सहज महसूस करती हूं.”

शमीमा ने कहा कि अगर उन्हें ब्रिटेन वापस जाने की अनुमति मिली, तो वो लोगों को सीरिया आने के लिए मनाने की आईएस की रणनीति पर सरकार को सलाह दे सकती हैं. उन्होंने ये भी कहा कि वो कट्टरपंथी बनने की इच्छा रखने वाले लोगों से बात करने के इस्लामिक स्टेट के तरीक़े के बारे में भी बता सकती हैं.

उन्होंने कहा कि वो ऐसा करना अपना “दायित्व” समझती हैं और नहीं चाहतीं कि कोई और लड़की अपना जीवन बर्बाद करे.

बीबीसी के कार्यक्रम में सीरिया से हुईं शामिल

बुधवार को शमीमा बेगम ने आईटीवी के ‘गुड मॉर्निंग ब्रिटेन’ के साथ बात की और उसी दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में देश की “संपत्ति” बनने का सीधा प्रस्ताव दिया.

सीरिया के एक शरणार्थी शिविर से इस कार्यक्रम में शामिल होने वाली शमीमा ने कहा कि इस बात के “कोई सबूत नहीं हैं” कि वो आतंकवादी गति​विधियों को अंजाम देने में शामिल थीं और वो अदालत में अपनी बेगुनाह साबित करने को तैयार हैं.

उन्होंने कहा, “मुझे पता है कि चाहे मैं कुछ भी कहूं या करूं, कुछ लोग ये नहीं मानेंगे कि मैं अब बदल गई हूं. भरोसा कीजिए कि मैं लोगों की मदद करना चाहती हूं. जिनके दिल में थोड़ी सी भी दया, करुणा और सहानुभूति है, उनसे मैं अपने दिल की गहराइयों से कहना चाहती हूं कि मुझे सीरिया में कदम रखने के बाद लिए गए अपने हर फ़ैसले पर खेद है. और मुझे आजीवन इसका पछतावा रहेगा.”

‘मुझे बस एक मौक़ा और दें’

शमीमा बेगम के अनुसार, “मैंने जो किया, उसके लिए मैं किसी और से ज्यादा ख़ुद से ही नफ़रत करती हूं. मैं बस यही कह सकती हूं कि ‘आई एम सॉरी’ और मुझे बस एक और मौक़ा दें.”

उन्होंने कहा कि वो “आईएस में वापस लौटने की बजाय मरना पसंद करेंगी” और कहा कि “मेरा बस एक ही अपराध है कि मैंने आईएस में शामिल होने के बारे में किसी को नहीं बताया”.

शमीमा बेगम कहती हैं कि वो मुक़दमे का सामना करना चाहती हैं. इस बारे में उन्होंने कहा कि वो “अदालत जाने और आरोपों का सामना करने और उसके खंडन को तैयार हैं. मुझे पता है कि मैंने आईएस में एक माँ और पत्नी होने की बजाय कुछ और नहीं किया.”

सरकार ने ब्रिटेन लौटने देने से इनकार किया

हालांकि वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री और पहले गृह मंत्री रह चुके साजिद जावेद का कहना है कि शमीमा बेगम को वापस लौटने देने और नागरिकता हासिल करने के लिए मुक़दमा लड़ने का मौक़ा देने की कोई संभावना नहीं है.

गुड मॉर्निंग ब्रिटेन को उन्होंने बताया कि उनकी ब्रिटेन की नागरिकता छीनने का निर्णय “नैतिक रूप से बिल्कुल सही था. यह क़ानूनी रूप से उचित और ब्रिटेन के लोगों की रक्षा के लिए भी वाज़िब” था.

साजिद जावेद ने कहा, “मैं इसके विस्तार में नहीं जाऊंगा, लेकिन ये जरूर कहूंगा कि आपने वो नहीं देखा, जो मैंने देखा है.” उन्होंने ये भी कहा, “जो मैं जानता था, यदि वो आपको भी पता चले तो आप भी वही निर्णय लेते. इसमें मुझे कोई संदेह नहीं है.”

उधर गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने इस बारे में कहा, “सरकार की सबसे बड़ी प्राथमिकता देश और अपनी जनता की सुरक्षा बनाए रखना है.”

मानवाधिकार संगठन ‘लिबर्टी’ ने पहले शमीमा बेगम की नागरिकता रद्द करने के फ़ैसले को “बहुत ख़तरनाक उदाहरण” करार दिया था और कहा था कि लोकतांत्रिक सरकारों को निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार मनमाने तरीके से नहीं छीनना चाहिए.

शमीमा बेगम के साथ सीरिया जाने वाली एक अन्य लड़की कदीज़ा सुल्ताना कथित तौर पर बमबारी की एक घटना में मारी गईं. हालांकि तीसरी लड़की अमीरा अबासे का अब तक पता नहीं चल सका है.

शमीमा ने पहले बताया था कि उनके पति ने सीरिया के लड़ाकों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था और उसके बाद उन्हें एक जेल में रखा गया, जहाँ उन्हें प्रताड़ित किया जाता था.

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